कोलकाता: बच्चों के विकास के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ का कहना है कि कि जल्दी शादी और बाल श्रम जैसी सामाजिक रीतियां देश में बाल अधिकारों को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती हैं. महानगर में एक कार्यक्रम के दौरान स्टेट ऑफ वर्ल्ड्स चिल्ड्रन रिपोर्ट जारी करने के बाद भारत में यूनिसेफ के उप प्रतिनिधि (कार्यक्रम ) डेविड मैकलाफलिन ने कहा कि हमारे लिए प्रमुख चुनौती संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन मौजूदा सामाजिक रीतियां हैं. हमें अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए उन्हें बदलना होगा. बच्चों में कुपोषण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि देश में आधे से ज्यादा शिशुओं को शुरू के छह महीनों के दौरान स्तनपान नहीं कराया जाता है, जिसका नतीजा बच्चों की खराब सेहत होती है. श्री मैकलाफलिन ने कहा कि हमें मातृत्व को बचपन से दूर रखना होगा. जिन की शादी किशोर उम्र में हो जाती हैं, बच्चे उन युवाओं माताओं से जन्म ले रहे हैं. वह तब दुग्धपान के लिये अस्वास्थ्यकर और असुरक्षित तरीके अपनाती हैं. यह सामाजिक रीतियां हमारे सामने चुनौती हैं. उन्होंने कहा कि यूनिसेफ को बच्चों के जीवन स्तर को सुधारने की लड़ाई में सरकार और भारत के निजी क्षेत्र का पूरा सहयोग मिल रहा है.
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सामाजिक रीतियां बाल अधिकारों को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती
कोलकाता: बच्चों के विकास के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ का कहना है कि कि जल्दी शादी और बाल श्रम जैसी सामाजिक रीतियां देश में बाल अधिकारों को लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती हैं. महानगर में एक कार्यक्रम के दौरान स्टेट ऑफ वर्ल्ड्स चिल्ड्रन रिपोर्ट जारी करने के बाद भारत […]
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