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सुरक्षा परिषद में महिलाओं की बढ़ती भूमिका

बीबीसी का लोगोजब मैडेलीन अलब्राइट ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में काम किया था तो वो अक्सर जी-7 के बारे में बातें करती थीं. यह दुनिया के सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले सात देशों के क्लब का नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र में गिनी-चुनी महिला राजदूतों का जिक्र था. 1990 […]

बीबीसी का लोगोजब मैडेलीन अलब्राइट ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि के रूप में काम किया था तो वो अक्सर जी-7 के बारे में बातें करती थीं. यह दुनिया के सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले सात देशों के क्लब का नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र में गिनी-चुनी महिला राजदूतों का जिक्र था. 1990 के शुरु आती दशक में अलब्राइट ने इस समूह को अनौपचारिक रूप से इकट्ठा किया.आज संयुक्त राष्ट्र में 31 महिलाएं स्थायी प्रतिनिधि हैं और सुरक्षा परिषद में छह सीटों पर महिलाएं हैं, जो अर्जेंटीना, जॉर्डन, लिथुआनिया, लग्जमबर्ग, नाइजीरिया और अमेरिका से आती हैं. संयुक्त राष्ट्र के सबसे महत्वपूर्ण निकाय में महिलाओं की यह उपिस्थति भी एक रिकॉर्ड है.महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय मैत्रीपरिषद की एक महिला सदस्या हैं अमेरिकी राजदूत समंथा पावर. वर्ष 2010 में इसमें केवल तीन महिलाएं थीं. इसी वर्ष महिलाओं की संख्या पांच तक पहुंची, जो परिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई है. नाइजीरिया की पूर्व विदेश मंत्री रहीं राजदूत जोय ओगवू भी समंथा पावर की तरह महिला सदस्यों में अंतरराष्ट्रीय मैत्री का भाव देखती हैं. जोय कहती हैं, किसी समस्या को हल करने में महिलाओं की अंतरदृष्टि काफी गहरी होती है. जॉर्डन की दीना कवर भी परिषद की स्थायी प्रतिनिधि हैं. लग्जमबर्ग की राजदूत सिल्वी लूकास पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने के काम को लेकर महिलाओं की सहभागिता की जरूरत पर लगातार बल देती हैं.संवेदनशीलजब इन महिला सदस्यों ने सीरियाई महिलाओं से मुलाकात की थी तो अर्जेंटीना की राजदूत मारिया क्रिस्टीना पर्सेवल ने उनसे अपने देश की उन मांओं के बारे में जिक्र किया, जिनके बेटे सैन्य शासन के दौरान गायब हो गये थे. उन्होंने इस आंदोलन के चिह्न के रूप में सफेद स्कार्फ दिया. लिथुआनिया की राजदूत रायमोंडा मुमार्ेकैट यूक्रे न से क्र ीमिया को अलग करने पर रूस की सबसे कड़ी आलोचक रही हैं तो समंथा पावर अपने रूसी समकक्ष, विटेली चुर्किन की कड़ी आलोचना करती रहती हैं.महत्वपूर्ण पदअब स्थिति यह है कि परिषद की पांच में चार स्थायी सदस्यों के रिक्त स्थान पर महिलाओं को वरिष्ठ राजदूत बनाया जाना है. परिषद में अब तक चार महिलाओं ने अमेरिका की ओर से प्रतिनिधित्व किया है – जीन किर्कपैट्रिक, मैडेलीन अलब्राइट, सुजैन राइस और अब समंथा पावर. पूरे संयुक्त राष्ट्र में अब महिलाएं अधिक महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी संभाल रही हैं. पूर्व ब्रिटिश मंत्री वैलेरी एमोस मानवीय सहायता की प्रमुख हैं. जर्मनी की एंजेला केन नि:शस्त्रीकरण मामले की संयुक्त राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं. उन्होंने सीरिया के रासायनिक हथियार खत्म करने के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.महिला कमांडरडच राजदूत सिग्रिड काग ने इन हथियारों को नष्ट करने के काम की निगरानी की. विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख डॉ मार्गरेट चान हैं. पिछले अगस्त में मेजर जनरल क्रि स्टीन लुंड संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा बल की पहली महिला कमांडर बनीं. हालांकि अभी भी सबसे महत्वपूर्ण जगहों पर पुरु षों का दबदबा है लेकिन 2016 में जब बान-की मून का कार्यकाल पूरा होगा तो सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर यह नैतिक दबाव होगा कि वो इस पद के लिए महिला को चुनें. लेकिन यह अभी दूर की कौड़ी ही नजर आती है. अभी भी संयुक्त राष्ट्र में 84 प्रतिशत राजदूत पुरु ष हैं.(साभार : बीबीसी हिंदी डॉट कॉम)

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