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अब नहीं खरीदना होगा बाहर का गेहूं बीज

पटना: रबी में इस बार राज्य के बाहर उत्पादित बीजों से गेहूं की पैदावार नहीं होगी. कृषि विभाग के फार्म में तैयार बीजों से गेहूं की बोआई होगी. राज्य में इस बार करीब 25 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगने का अनुमान है. इसके लिए करीब एक लाख 70 हजार क्विंटल बीज की जरूरत […]

पटना: रबी में इस बार राज्य के बाहर उत्पादित बीजों से गेहूं की पैदावार नहीं होगी. कृषि विभाग के फार्म में तैयार बीजों से गेहूं की बोआई होगी. राज्य में इस बार करीब 25 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगने का अनुमान है. इसके लिए करीब एक लाख 70 हजार क्विंटल बीज की जरूरत पड़ेगी.

इतनी मात्र में बीजों का उत्पादन कृषि फार्म में कर लिया गया है. कृषि रोडमैप में शामिल महत्वपूर्ण तथ्यों में एक है बीज के मामले में आत्मनिर्भर बनना. इसके मद्देनजर ही लक्ष्य को प्राप्त किया गया है. अगले साल बीज के उत्पादन को बढ़ा कर दो लाख 50 हजार क्विंटल करने का लक्ष्य है.

अनुदानित दर पर मिलेगा : गेहूं बीज के लिए जिन किस्मों का उत्पादन किया गया है उनमें एचडी 2967,एचडी 2884 व टीबीडब्ल्यू 502 मुख्य हैं. इन तीनों किस्मों के करीब 30 हजार क्विंटल बीज तैयार किये गये हैं. इसके अलावा भी चार-पांच किस्मों का उत्पादन किया गया है. ये उत्पादित बीज मुख्यमंत्री तीव्र बीज ग्राम विस्तार योजना व बीज ग्राम योजना के अलावा 10 रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर पर किसानों को दिये जायेंगे. आनेवाले दो वर्षो में गेहूं के सभी प्रमुख और बेहतरीन किस्मों के बीज के उत्पादन में राज्य आत्मनिर्भर हो जायेगा. राज्य में उत्पादित गेहूं के बीज बाजार या दूसरे राज्यों से आये बीजों के मुकाबले करीब एक हजार प्रति क्विंटल सस्ता पड़ेगा.

अब भी है चुनौती : अब भी कई किसान ऐसे हैं, जो पारंपरिक या कुछ खास किस्म के बीज बाजार से खरीदते हैं. इनकी संख्या करीब 40 फीसदी है. उन्हें राज्य में उत्पादित बीज मुहैया कराना बड़ी चुनौती है. इस वजह से गेहूं बीज के उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के बाद भी सीड रिप्लेसमेंट रेट 35 फीसदी ही है यानी राज्य में इस बार गेहूं के 35 फीसदी नये बीज बोये जायेंगे.

राज्य में चार जगहों पर प्रोसेसिंग यूनिट

बीज उत्पादन के लिए कृषि विभाग के चार मुख्य प्रोसेसिंग यूनिट कुदरा (भभुआ), बेगूसराय, हाजीपुर व भागलपुर में हैं. इस बार इन्हीं यूनिटों में बीज तैयार हुआ है. प्रोसेसिंग यूनिटों की संख्या बढ़ाने की योजना पर गंभीरता से काम चल रहा है.

कृषि रोड मैप में निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक इस बार सफलता प्राप्त की गयी है. आनेवाले दिनों में बीज का इतना उत्पादन करने की योजना है,ताकि इन्हें बाहर भी भेजा जा सके. साथ ही अन्य बेहतरीन किस्म के बीज का उत्पादन राज्य में ही हो सके. सीड रिप्लेसमेंट रेट को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

अमृत लाल मीणा, प्रधान सचिव, कृषि विभाग

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