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बदल गयी है भारत की विदेश नीति

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे पर हैं. उनकी विदेशी नेताओं से ताबड़तोड़ बातचीत से स्पष्ट है कि भारत विश्वगुरु बन कर उभरना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रयास प्रशंसनीय है. इससे भारत पर पड़नेवाला विदेशी दबाव कम होगा. खाद्य सुरक्षा मामले में यही हुआ. अब लगता है कि प्रधानमंत्री का अगला […]

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे पर हैं. उनकी विदेशी नेताओं से ताबड़तोड़ बातचीत से स्पष्ट है कि भारत विश्वगुरु बन कर उभरना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रयास प्रशंसनीय है. इससे भारत पर पड़नेवाला विदेशी दबाव कम होगा. खाद्य सुरक्षा मामले में यही हुआ.

अब लगता है कि प्रधानमंत्री का अगला निशाना सीमा पर पाकिस्तान और चीन को अलग-थलग भी करना है, ताकि दोनों देशों से हो रही घुसपैठ रोकी जा सके. इसके बाद तीसरा काम सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए विश्व समुदाय का समर्थन हासिल करना है. इससे ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बल मिलेगा और वह आगे बढ़ेगा.

वहीं, सीमा पर पाकिस्तान को युद्धविराम के नियमों को तोड़ने के एवज में भारत की ओर से करारा जवाब दिया गया है, उसे भी उसे समझ लेना चाहिए कि अब भारत की विदेश नीति बदल रही है. उसकी ओर से की जानेवाली नापाक हरकत के बाद मोदी सरकार हाथ पर हाथ धर के बैठने वाली नहीं है. गोली का जवाब बोली से नहीं, बल्कि गोली से दिया जायेगा. वहीं, सरकार ने चीन सीमा पर हो रही गतिविधियों के विरोध में जो कदम उठाया है, वह सकारात्मक है.

भारत में चीन के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान हुई वार्ता से तो उसे समझ में आ ही गया है, साथ ही म्यांमार के सम्मेलन से भी उसे भारत के रुख को समझ लेना चाहिए. इसके अलावा, सरकार की ओर से आर्थिक सुधार की दिशा में भी सकारात्मक कदम उठाये जा रहे हैं. महंगाई को कम करने के लिए बाजार को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है.

डॉ भुवन मोहन, रांची

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