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प्रवचन:::: कर्मयोग से शारीरिक व मानसिक क्षमता का विकास होता है

विश्व में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो सिर्फ ज्ञानयोग की ही साधना के लिए तत्पर हों तथा आत्मा की खोज के लिए विवेक का सहारा लेना चाहते हों. इसलिए अधिकांश व्यक्तियों के लिए प्रारंभ में योग का एक समन्वित अभ्यास क्रम अधिक उपयुक्त होगा, जिसमें हठयोग से शरीर का शुद्धिकरण, शारीरिक स्वास्थ्य, […]

विश्व में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो सिर्फ ज्ञानयोग की ही साधना के लिए तत्पर हों तथा आत्मा की खोज के लिए विवेक का सहारा लेना चाहते हों. इसलिए अधिकांश व्यक्तियों के लिए प्रारंभ में योग का एक समन्वित अभ्यास क्रम अधिक उपयुक्त होगा, जिसमें हठयोग से शरीर का शुद्धिकरण, शारीरिक स्वास्थ्य, बल तथा स्थिरता की प्राप्ति होगी. कर्मयोग से शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का विकास होगा. भक्तियोग से भावनाओं को बाहर निकलने का मार्ग मिलेगा तथा ज्ञानयोग चिंतन एवं तर्क को प्रश्रय देगा. कुछ साधक ऐसे भी होते हैं जिनमें मानसिक स्थिरता अपेक्षाकृत अधिक होती है, परंतु उनके लिए भी आध्यात्मिक साधना प्रारंभ करने के लिए तर्क तथा नैतिक प्रशिक्षण इसलिए आवश्यक होता है कि वे प्रभावी ढंग से ज्ञानयोग की साधना प्रारंभ कर सकें. दर्शन तथा सिद्धांत की बातें करना तो बहुत आसान है, परंतु सामान्य आदमी के लिए उन्हें अपने दैनिक जीवन में व्यवहार में लाने तथा अपने अस्तित्व की एकता के प्रति निरंतर सजग रहना बहुत मुश्किल कार्य है.

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