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त्रिपाठी-नामधारी की प्रतिष्ठा दावं पर

अविनाश डालटेनगंज विधानसभा क्षेत्र एड़ी-चोटी लगा रहे हैं सभी प्रत्याशी मेदिनीनगर : एकीकृत बिहार के जमाने से ही डालटेनगंज विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से कुल 26 प्रत्याशी अपना भाग्य अजमा रहे हैं. समाजवादी नेता पूरन चंद इस सीट से […]

अविनाश
डालटेनगंज विधानसभा क्षेत्र
एड़ी-चोटी लगा रहे हैं सभी प्रत्याशी
मेदिनीनगर : एकीकृत बिहार के जमाने से ही डालटेनगंज विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से कुल 26 प्रत्याशी अपना भाग्य अजमा रहे हैं. समाजवादी नेता पूरन चंद इस सीट से लगातार जीतते रहे थे. उसके बाद इंदर सिंह नामधारी ने लगातार चुनाव जीता.
गत चुनाव में इंदर सिंह नामधारी चतरा के सांसद थे, तब उन्होंने अपनी परंपरागत सीट पर अपने पुत्र दिलीप सिंह नामधारी को मैदान में उतारा था. वह भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे, तब कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में केएन त्रिपाठी ने दिलीप सिंह नामधारी को हराया था.
2014 के चुनाव में केएन त्रिपाठी बतौर राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री चुनाव मैदान में हैं. वहीं राज्य के प्रथम स्पीकर श्री नामधारी के पुत्र दिलीप सिंह नामधारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार भाजपा के प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह हैं. वह भाजपा के जिलाध्यक्ष भी हैं. वहीं झाविमो प्रत्याशी के रूप में स्वर्गीय अनिल कुमार चौरसिया के पुत्र आलोक चौरसिया मैदान में हैं. अब तक जो स्थिति है, उसमें मंत्री केएन त्रिपाठी अपने विधानसभा क्षेत्र में कराये गये कार्यो के भरोसे मैदान में हैं.
उनके द्वारा कराये गये कार्य की चर्चा है, चुनाव में इसका कितना लाभ उन्हें मिलेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा. वहीं इंदर सिंह नामधारी का लगातार प्रतिनिधित्व लोगों से जुड़ाव और राजनीति में महारथ के भरोसे उनके पुत्र मैदान मारने की उम्मीद में सक्रियता से जुटे हैं. टिकट बंटवारे, उसके बाद भीतरघात की आशंका के बीच भाजपा प्रत्याशी भी अपना ग्राफ बढ़ाने में जुटे हैं. देश भर में लहर और कैडर वोट के भरोसे भाजपा कांग्रेस को चुनौती दे पाने की स्थिति में है. अब तक की जो स्थिति हैं, उसमें भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप सिंह नामधारी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले में यह सीट फंसा है, यद्यपि झाविमो के आलोक चौरसिया भी इस लड़ाई को चतुष्कोणीय बनाने में जुटे हैं, क्योंकि अनिल चौरसिया के जमाने से ही खास वोटर रहे हैं, जो किसी भी परिस्थिति में बिखरते नहीं हैं, ऐसा कहा जाता है.
कई चुनावों में यह स्पष्ट भी हुआ है. अब ऐसे में देखना दिलचस्प है कि डालटेनगंज विधानसभा की राजनीतिक तसवीर क्या होगी. वैसे इस बार विकास का मुद्दा प्रभावी है. अब तक भाजपा को लहर का भरोसा है, तो कांग्रेसियों को अपने द्वारा किये गये विकास कार्य पर और नामधारी को भरोसा है कि अपने कार्य के अलावा क्षेत्र के लोगों के दिलों पर राज का. देखना है कि ताज किसे मिलता है.

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