31 अक्तूबर, 1984 को कौन-सा दिन (वार) था? सवाल पूरा होते ही प्रत्युष ने अपनी आंखें बंद की और कुछ सेकंड में उसका जवाब हाजिर – बुधवार. अब अगला सवाल – 20 दिसंबर, 2018 को कौन-सा दिन होगा? सवाल खत्म हुआ नहीं कि प्रत्युष का जवाब तैयार – गुरुवार.
पटना: प्रत्युष की उम्र सिर्फ आठ साल है, लेकिन दिमाग किसी कैलकुलेटर या छोटे-मोटे कम्प्यूटर की तरह है. आप उससे गुजरे हुए किसी साल या आने वाले साल की कोई तिथि बताइए और वह तुरंत यह बता देगा कि उस दिन कौन वार था या पड़ेगा. यही नहीं आप कुछ अंक बताएं और प्रत्युष बगैर कागज पर लिखे, उसे तुरंत जोड़ कर रिजल्ट आपके सामने रख देगा.
जहानाबाद जिले के टेहटा के सरेन मठ गांव का प्रत्युष अपनी आंखों से दुनिया को नहीं देख सकता. वह दिल्ली के एक आवासीय नेत्रहीन स्कूल में पढ़ाई करता है. उसके पिता नंदकिशोर गिरि फेरी लगा कर मनिहारी का सामान बेचते हैं. गरीबी, अभाव और संघर्ष के बीच पनपी प्रत्युष की इस विलक्षण प्रतिभा के बारे में उसके पिता को भी दो साल पहले जानकारी मिली. वह जब दिल्ली में प्रत्युष को स्कूल में रख कर वापस लौट रहे थे, तो उसने पूछा – पापा, आप मुङो लेने कब आओगे? नंदकिशोर ने कोई तिथि बतायी, तो प्रत्युष ने कैलकुलेट कर तुरंत उसका दिन बता दिया. जब एक-दो बार ऐसा हुआ, तो नंदकिशोर ने क्रॉस चेक करने के ख्याल से कुछ और तिथियां बतायीं, जिसका प्रत्युष ने सही-सही दिन बता दिया. फिर तो पिता को पक्का विश्वास हो गया कि उनके बेटे के आइ क्यू का स्तर ऊंचा है.
दिल्ली आने-जाने के क्रम में प्रत्युष ने नयी दिल्ली से पटना या गया से होकर गुजरने वाली तमाम ट्रेनों का समय कंठस्थ कर लिया है. आप उससे पूछें कि श्रमजीवी एक्सप्रेस नयी दिल्ली से पटना आने के क्रम में किन-किन स्टेशनों पर रूकती है, तो वह न केवल सिलसिलेवार स्टेशनों का नाम, बल्कि ठहराव की टाइमिंग तक बता देगा. उसे याद है कि वह कब-कब अपने गांव टेहटा से कौन-सी ट्रेन से, किस तारीख को नयी दिल्ली गया.
दो साल की उम्र में चली गयी आंखों की रोशनी
प्रत्युष का जन्म 28 सितंबर, 2006 को जहानाबाद के टेहटा स्टेशन के समीप सरेन मठ गांव में हुआ. उम्र अभी मात्र आठ साल है. 2008 से उसकी आंखों की रोशनी कम होने लगी. पिता नंदकिशोर गिरि ने कई जगहों पर डॉक्टरों से दिखाया. जांच में पता चला कि रेटिना डिटेचमेंट हो चुका है. इसी साल एक अगस्त को पता चला कि आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकती है. यहां तक कि आई ट्रांसप्लांट के जरिये भी रोशनी वापस नहीं आ सकती है. यानी प्रत्युष अब इस दुनिया को नहीं देख सकता है. नंदकिशोर ने वर्ष 2011 में प्रत्युष का दाखिला दिल्ली के जेपीएम सीनियर सेकेंड्री स्कूल फॉर ब्लाइंड में करवाया. वह तीसरी कक्षा का छात्र है. नंदकिशोर कहते हैं, बेटा भले ही देख नहीं सकता है, लेकिन उसमें कुछ खास तो है. वह बाकी बच्चों से अलग है. प्रत्युष अपने घर में सबसे छोटे हैं और अपने पिता के सबसे करीब हैं.
तरह-तरह के सवाल करता है प्रत्युष
प्रत्युष भले ही देख नहीं सकता है, लेकिन अगर वह कोई बात एक बार सुन ले, तो वह उसके दिमाग में रिकॉर्ड हो जाती है. वह जिज्ञासु प्रवृत्ति का है. उसकी एकाग्रता इतनी मजबूत हैं, कि किसी भी तरह की घोषणा को एक बार सुन कर याद कर लेता है. वह स्टेशनों पर एकाग्र हो कर घोषणाएं सुनता है. वह तरह-तरह के और अटपटे सवाल करता है. मसलन – यात्र के दौरान वह पूछता है कि यदि ट्रेन चलते हुए उलट जाये, तो क्या होगा. उसमें ज्यादातर किसी चीज के परिणाम जानने की उत्कंठा रहती है.
जब राज पूछने पर बिफर पड़ा
प्रत्युष अपने पिता के साथ प्रभात खबर के पटना कार्यालय में पहुंचा था. जब उससे पूछा गया कि आखिर तुम इतनी जल्दी किसी तिथि का दिन कैसे बता देते हो, तो वह बिफर पड़ा. उसके पिता ने अनुरोध किया – इससे दो सवाल मत पूछिए. एक, उसके स्कूल के बारे में और दूसरा कैलेकुलेशन के बारे में. वह शरारती भी बहुत है और चाहता है कि उसके पिता भी उसके साथ स्कूल में रहें.
कौटिल्य पंडित : जुबानी याद है एटलस
हरियाणा के करनाल केकौटिल्या पंडित को विश्व के 213 देशों की भौगोलिक सीमाएं, क्षेत्रफल व अन्य तमाम जानकारियां जुबानी याद हैं. आपने सवाल किया नहीं कि जवाब तुरंत हाजिर. देश के राजनीतिक घटनाक्र मों पर राय देने में भी वह तनिक भी देर नहीं लगाता. एकबार वह अचानक अपने दादा से देश दुनिया की बातें पूछने लगा. दादा जी ने जो बात बतायी, उसने उसे एक ही बार में मानस पटल के स्मृति बैंक में सदा-सदा के लिए अंकित कर लिया. बच्चे के इस विलक्षण गुण से उसके दादा व पिता हैरान हो गये. उसे विश्व के सभी देशों की भौगोलिक सीमाएं, क्षेत्नफल व अन्य तमाम जानकारियां उसे जुबानी याद है, मानो ऐसा कि विश्व का एटलस उसके दिमाग में घूम रहा हो. सौरमंडल से संबंधित सभी ग्रह व उपग्रह के आंकड़े चंद सेकेंड में वह बता देता है. कौटिल्य का जन्म 24/12/2007 को हुआ है.
कुवल सनम चिंताला : कंप्यूटर विजकिड
आंध्रप्रदेश के कुवल सनम चिंताला अभी 19 वर्ष के हैं. लेकिन, 11 वर्ष की उम्र में ही कुवल एक कम्प्यूटर विजकिड बन गए थे. उन्हें आनलाइन एग्जाम में ए प्लस सर्टििफकेट मिला. इस परीक्षा का आयोजन अमेरिका की कम्प्यूटर टेक्नोलाजी इंडस्ट्री एसोसिएट्स ने किया था. इस परीक्षा को पास करने वाला कुवल भारत का सबसे कम उम्र का लड़का है. अपने उम्र के दूसरे बच्चों की तरह कुवल को खेलने में मजा नहीं आता है. कुवल कहते हैं कि वो वैसे काम में अपना समय बर्बाद नहीं करते जो उनके दिमाग को चुनौती नहीं दे. कुवल के पास वीबी नेट सर्टिफिकेट भी है जिसे माइक्रोसाफ्ट ने दिया है. कुवल कहता है कि आने वाले समय में बिल गेट्स मेरे करीब भी नहीं होंगे.
ओरलैंडो : र्यूबिक क्यूब मास्टर
केरल के निवासी बनेट ओरलैंडो र्यूबिक क्यूब चैंपियन हैं. 2008 में आइआइटी कानपुर में हुए इंडियन ओपन र्यूबिक्स क्यूब चैंपियनशिप को जीते. आंख पर पट्टी बांधकर र्यूबिक क्यूब को सॉल्व करने वाले दुनिया में सबसे कम उम्र हैं ओरलैंडो. उनके नाम 26 राष्ट्रीय रिकार्ड और छह एशियन रिकार्ड है. ओरलैंडों को सिर्फ इसी में महारत हासिल नहीं है. उन्हें 1600 से 2100 के बीच किसी भी साल के तारीख का दिन बता सकते हैं. ओरलैंडो की प्रतिभा से पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे कलाम भी प्रभावित हुए थे.