गांव की जनता के वोट से विधायक बनते हैं, परंतु गांव का ही विकास नहीं करते.गुमला. एक राष्ट्रीय पार्टी के दो नेता उरांव जी व भगत जी से नामांकन केंद्र के समीप मुलाकात हुई. तेवर पुराने दिखे. जनता के बारे में अच्छी सोच थी. परंतु उनका चेहरा लटका हुआ था. मलाल था. पांच साल फील्ड में मेहनत की. खूब पसीना बहाया. गाड़ी में घूम कर पैसा भी तेल में जलाया. उम्मीद थी. जनता के बीच रहने का मिलेगा इनाम. विस चुनाव में टिंकट मिलेगा. जीत तो पक्की थी. क्योंकि जनता पसंद कर रही थी. परंतु टिकट नहीं मिली. अब फिर पांच साल तैयारी करेंगे. परंतु उनसे बात करने में एक बात अच्छी लगी. उन्होंने प्रत्याशियों की स्थिति के बारे में बताया. शहरों में रहनेवाले नेता (प्रत्याशी), जिनकी जिंदगी ठसक भरी है, अब गांव की गलियों में घूम रहे हैं. जहां जाने के लिए सड़क नहीं है. वहां भी जाना पड़ रहा है. सुबह से शाम तक गांव में ही गुजर रही है. जिस गांव में कभी नहीं गये. वहां के लोग खरीखोटी भी सुना रहे हैं. दरअसल वोट तो गांव में ही है. गांव के लोगों के ही वोट से नेता विधायक बनते हैं. इधर बातों ही बातों में उरांव जी व भगत जी ने कहा कि गांव में रहनेवाले जिन लोगों के वोट से नेता लोग विधायक बनते हैं. वही गांव आज बदहाल है. न चलने के लिए सड़क है. न पीने के लिए स्वच्छ पानी. आज भी लोग ढिबरी जला कर रहते हैं.
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शहर के नेता घूम रहे हैं गांव की गलियों में
गांव की जनता के वोट से विधायक बनते हैं, परंतु गांव का ही विकास नहीं करते.गुमला. एक राष्ट्रीय पार्टी के दो नेता उरांव जी व भगत जी से नामांकन केंद्र के समीप मुलाकात हुई. तेवर पुराने दिखे. जनता के बारे में अच्छी सोच थी. परंतु उनका चेहरा लटका हुआ था. मलाल था. पांच साल फील्ड […]
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