खुदरा महंगाई घटीकर्ज हो सकता है सस्ताएजेंसियां, नयी दिल्लीखाद्य वस्तुओं के दामों में नरमी से खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर में घट कर 5.52 प्रतिशत रह गयी. जनवरी 2012 में नयी शृृंखला के आंकड़ों के बाद से यह सबसे कम है. यह लगातार चौथा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति या खुदरा मुद्रास्फीति घटी है. इससे पिछले महीने यह घट कर 6.46 प्रतिशत पर आ गयी थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खाद्य मुद्रास्फीति अक्तूबर में घट कर 5.59 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पूर्व महीने में 7.67 प्रतिशत थी. ऐसे में अब अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआइ के पास कर्ज सस्ता करने का अवसर आ गया है. उनके अनुसार ऐसे में दो दिसंबर को आनेवाली मौद्रिक नीति की समीक्षा में रिजर्व बैंक 0.25 फीसदी तक कर्ज सस्ता कर सकता है. इसके अलावा खनन और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और पूंजीगत सामानों की मांग में तेजी के चलते सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में ढाई प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. औद्योगिक उत्पादन की यह वृद्धि दर तीन माह में सबसे ऊंची है. सब्जी, अंडा, मछली, मांस के दाम घटे सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सब्जियों का खुदरा मूल्य 1.45 प्रतिशत घटा, जबकि सितंबर में इसमें 8.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. फलों की मुद्रास्फीति घट कर 17.49 प्रतिशत रह गयी, जो सितंबर में 22.4 प्रतिशत पर थी. इसी प्रकार, अंडा, मछली और मांस जैसे उच्च प्रोटीन आधारित खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्तूबर में 6.34 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 6.35 प्रतिशत थी. अक्तूबर के लिए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा शुक्रवार को जारी होगा. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में पांच साल के निम्न स्तर 2.38 प्रतिशत पर आ गयी, जिसका कारण खाने-पीने की चाजें तथा ईंधन का सस्ता होना था.विनिर्माण क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शनइसी तरह खनन और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और पूंजीगत सामानों की मांग में तेजी के चलते सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. औद्योगिक उत्पादन की यह वृद्धि दर तीन माह में सबसे ऊंची है. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक द्वारा आंका जानेवाला औद्योगिक उत्पादन पिछले साल इसी माह के दौरान 2.7 प्रतिशत बढ़ा था. इससे पिछले महीने अगस्त की वृद्धि दर को 0.42 प्रतिशत के अस्थायी अनुमान से संशोधित कर 0.48 प्रतिशत किया गया है. जून में औद्योगिक उत्पादन में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी, जबकि जुलाई में यह महज 0.4 प्रतिशत बढ़ा था. अप्रैल-सितंबर के दौरान, आइआइपी 2.8 प्रतिशत बढ़ा, जबकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 0.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. सितंबर में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन ढाई प्रतिशत बढ़ा, जबकि बीते साल की इसी अवधि में इसमें 1.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. आइआइपी में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान 75 प्रतिशत से अधिक है. अप्रैल-सितंबर अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में दो प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, जबकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. आलोच्य माह में खनन क्षेत्र का उत्पादन 0.7 प्रतिशत बढ़ा, जो बीते साल सितंबर में 3.6 प्रतिशत था. अप्रैल..सितंबर के दौरान खनन क्षेत्र की वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत थी, जबकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें ढाई प्रतिशत की गिरावट आयी थी. सितंबर में पूंजीगत सामान क्षेत्र में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि बीते साल सितंबर में इस क्षेत्र में 6.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. अप्रैल-सितंबर अवधि में पूंजीगत सामान क्षेत्र के उत्पादन में 5.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि बीते वित्त वर्ष की इसी अवधि में इसमें 0.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी.
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राहत. मुद्रास्फीति घटी, औद्योगिक उत्पादन बढ़ा
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