झारखंड में राजनीति की खेल में टेंशन भारी है. कई पार्टी के सुप्रीमो के रातों की नींद हराम है. संताल परगना में 25 वर्षो तक तीर-घनुष थाम कर चलने वाले दिग्गज कई वर्षो तक इधर-उधर करते रहे. सूचना है कि पुराने घर में वापसी कर रहे हैं. जब थे,तो पार्टी में खूब रुतबा था. परिस्थिति ने दर बदर कर दिया. नेताजी कुछ दिन पहले कंघी लेकर चल रहे थे. फिर तीर-घनुष थाम लेंगे, तो कंघी वालों को ज्यादा परेशानी नहीं है. परेशानी तो है कि इनका चेला भी उनके साथ न चला जाये. संताल परगना के एक दूसरी सीट पर नेता जी का चेला मजबूत दावेदार है.
चेला भी कंघी लेकर घूम रहा है. सूचना है कि चेला अभी जाने की तैयारी में नहीं है, लेकिन राजनीति कब कौन करवट बदलेगी, कौन जाने. कल तक पानी पी-पी कर कोसने वाले गुरुजी जब उड़ान मार लिये, तो अब चेला का क्या भरोसा है. लेकिन कंघी वालों की निगरानी कड़ी है. चेला को भरोसा है कि कंघी से मेक -अप कर विधानसभा तक जरूर पहुंच जायेंगे.