नयी दिल्ली : गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को मोदी कैबिनेट में रक्षा मंत्री बनाये जाने की अटकले तेज हो गयी हैं. राजनीतिक हलकों में ये चर्चा है कि 9 या 10 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट का विस्तार करेंगे. इसमें 20 से 25 लोगों को जगह मिलने की बातें भी की जा रही है.
इसमें सबसे पहला नाम गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का है. सादगी पसंद पर्रिकर को मोदी का नजदीकी भी बताया जाता है. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्हें प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में कई बार पर्रिकर ने सामने लाने का प्रयास किया था. दोनों के संबंध उस समय से काफी अच्छे रहे हैं.
सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर है पर्रिकर
दूसरी बार गोवा के मुख्यमंत्री बनें मनोहर पर्रिकर अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहते हुए भी पर्रिकर सादे कपड़े और चप्पल पहनकर ही हर प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. इतना ही नहीं पर्रिकर कभी क्षेत्र भ्रमण पर निकलते हैं तो अपने सहयोगियों के साथ स्कूटर से भी चल पड़ते हैं.
पर्रिकर का लिबास इतना सादा होता है कि किसी पांच सितारा में होटल में किसी कार्यक्रम में शामिल होने जाते वक्त उन्हें दरबानों द्वारा कई बार रोका भी गया है. पर्रिकर ने पहली बार 24 अक्तूबर 2000 में गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी. पांच साल के बाद उनकी पार्टी के हारने के बाद वे विपक्ष के नेता बनें थे.
शुरू से मोदी के पैरवीकार रहे हैं पर्रिकर
मनोहर पर्रिकर शुरू से ही मोदी के पैरवीकार रहे हैं. नरेंद्र मोदी जब भाजपा के शीर्ष नेताओं के तौर पर नहीं जाने जाते थे, तब से पर्रिकर उन्हें राष्ट्रीय नेता के तौर पर परिभाषित किया करते थे. इसके साथ ही पर्रिकर के अपने निजी कार्यक्रमों में भी नरेंद्र मोदी विशेष तौर पर आमंत्रित रहते थे.
2009 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में करारी हार के बाद पर्रिकर ने आडवाणी को सड़ा हुआ अचार कहा था. पर्रिकर ने उसी समय कहा था कि देश को नरेंद्र मोदी जैसे नेता की आवश्यकता है. वहीं भाजपा को शीर्ष तक पहुंचा सकतें हैं. ये बातें पर्रिकर ने उस समय कही थीं जब नरेंद्र मोदी को भाजपा के केन्द्रीय समिति में कोई खास जगह नहीं दी गयी थी.
भाजपा पर्रिकर को काफी समय से केंद्र में लाना चाहती है
दूसरी बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर पर्रिकर ने 13 दिसंबर 2012 को शपथ ली. तब से पार्टी के शीर्ष नेता पर्रिकर को केंद्रीय समिति में जगह देना चाहते थे. लेकिन पर्रिकर ने अपनी गोवा राज्य के विकास को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल रखा. उन्होंने स्पष्ट रूप से तो नहीं लेकिन राज्य की राजनीति में अपनी रूचि दिखायी.
इस दौरान जब 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने केंद्र में बहुमत की सरकार बनायी तो शुरू से ही पर्रिकर को मंत्रीमंडल में रखे जाने की चर्चा हो रही थी. फिर जब मंत्रियों ने शपथ लिया और अमित शाह को पार्टी की कमान सौंपी गयी तब पर्रिकर को भी केंद्र में लाने की अटकले लगायी जा रही थी.
तमाम अटकलों के बाद अब मोदी सरकार ने पर्रिकर को केंबिनेट में रखने का मन बनाया है. इस दौरान उन्हें एक अहम मंत्रालय रक्षा सौंपने की तैयारी चल रही है. हालांकि अभीतक इस संबंध में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि पर्रिकर ही अगले रक्षा मंत्री होंगे.
मजबूत इच्छाशक्ति के स्वामी हैं परिकर
मनोहर परिकर मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते हैं. मुंबई आइआइटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद राजनीति में आये पर्रिकर के लिए शुरुआती करियर काफी चुनौति भरा था. अपने छोटे से परिवार के साथ पर्रिकर ने कई त्याग किये और अपने को राजनीति में स्थापित किया.
2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बने पर्रिकर ने सफलतापूवर्क 2005 तक गोवा का शासन संभाला. हालांकि बदलाव की गरज से जनता ने अगले विस चुनावों में उन्हें विपक्ष की कुर्सी सौंप दी. विपक्ष में भी एक जिम्मेवार नेता के रूप में पर्रिकर ने अपनी जिम्मेवारियों का भली प्रकार निर्वहन किया.
आज जब पाकिस्तान की ओर से बार बार सीजफायर का उल्लंघन और चीन की ओर से घुसपैठ किया जा रहा है तब विपक्ष की ओर से लगातार रक्षा मंत्रालय को अलग करने की मांग की जा रही है. पिछले दिनों अरूण जेटलनी की तबियत बिगड़ गयी थी. उसी समय भारत-पाक सीमा पर तनाव का माहौल था.
ऐसे में कांग्रेस बार-बार रक्षा मंत्री के रूप में किसी और को जिम्मेवारी सौंपने का मांग कर रहा था. इस बीच नरेंद्र मोदी की पारखी नजरों ने पर्रिकर को रक्षामंत्री के रूप में सुयोग्य पाया और उन्हें यह बड़ी जिम्मेवारी देने की तैयारी की है. इस जिम्मेवारी को निभाने में पर्रिकर की मजबूत इच्छाशक्ति काफी काम आयेगी.