चतरा : जंगल व पहाड़ों से घिरा अमकुदर गांव 1997 में माओवादियों द्वारा 11 लोगों की हत्या किये जाने के बाद सुर्खियों में आया था़ यह गांव जिला मुख्यालय से 50 किमी व प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर है़ सड़क के अभाव में लोग पैदल आवागमन करते हैं. आज तक इस गांव में बीडीओ, सीओ स्तर के काई भी पदाधिकारी नहीं पहुंच़े पंचायत सेवक व रोजगार सेवक ही इस गांव तक पहुंच पाये हैं. आज तक यहां कोई भी प्रत्याशी वोट मांगने नहीं आया. गांव की आबादी 500 है़ यहां गंझू, भुईयां जाति के लोग रहते हैं.
इस गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं. बिजली, शिक्षा व पेयजल की भी समस्या है़ गांव के लोग मजदूरी कर अपना जीविका चलाते है़ गांव में मनरेगा के तहत मिट्टी-मोरम सड़क बनी है़ गांव के लोग वर्षा पर आधारित खेती करते हैं. गांव में एक भी चापाकल नहीं है़ इस गांव तक पहुंचने के लिए चार पहाड़ पार करना पड़ता है़ सबसे अधिक परेशानी मरीजों को इलाज कराने में होती है़ बीमार लोगों को डोली-खटोली के माध्यम से प्रखंड मुख्यालय तक लाया जाता है़ चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी यहां नहीं जाते हैं.