16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड को दूरदर्शी और मजबूत नेतृत्व की जरूरत

कन्हैया सिंह अर्थशास्त्री, एनसीएइआर झारखंड गठन के बाद विडंबनाओं का राज्य बन गया है. यह संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद विकास के पैमाने पर पिछड़ता गया. देश के कुल कोयला भंडार का 28 फीसदी झारखंड में है, जबकि कोयले से बिजली उत्पादन महज दो फीसदी ही होता है.किसी क्षेत्र में सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता ही […]

कन्हैया सिंह
अर्थशास्त्री, एनसीएइआर
झारखंड गठन के बाद विडंबनाओं का राज्य बन गया है. यह संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद विकास के पैमाने पर पिछड़ता गया. देश के कुल कोयला भंडार का 28 फीसदी झारखंड में है, जबकि कोयले से बिजली उत्पादन महज दो फीसदी ही होता है.किसी क्षेत्र में सिर्फ संसाधनों की उपलब्धता ही विकास की गारंटी नहीं होती है.
इसके लिए मजबूत नेतृत्व और दृढ़इच्छाशक्ति होनी चाहिए. झारखंड में इसका अभाव रहा है. चीन में संसाधनों की उतनी उपलब्धता नहीं है, लेकिन इच्छाशक्ति की बदौलत आज वह विकास में मामले में विश्व के अग्रणी देशों में शुमार हो चुका है. झारखंड खनिज संसाधनों के मामले में अन्य राज्यों के मुकाबले काफी आगे है, लेकिन कमजोर राजनीतिक नेतृत्व की वजह से वह छोटे अफ्रीकी देशों जैसा हो गया है.
झारखंड में कोयले का सबसे अधिक भंडार है. कोयले से बिजली उत्पादन होती है और इसका उपयोग खेती से लेकर उद्योग में किया जाता है. बिना ऊर्जा की उपलब्धता के कुछ नहीं हो सकता है. राज्य में सड़क, बिजली और बुनियादी सुविधाएं काफी कमजोर है. आखिर इसकी जिम्मेवारी किसकी है? इसका सीधा उत्तर है, राजनीतिक नेतृत्व. गठन के बाद से ही वहां स्थिर सरकारें नहीं बन पायी है. सत्ता बचाने के लिए किये गये समझौतों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला. अस्थिरता और भ्रष्टाचार से विकास की गति प्रभावित होती है. उद्योग वहीं निवेश करते हैं, जहां बेहतर कानून-व्यवस्था के साथ बिजली, सड़क और पानी की उपलब्धता हो. साथ ही बिजली सस्ती भी होनी चाहिए. सस्ती बिजली वही मुहैया करा सकता है, जो इसका निर्माण करता है.
झारखंड गठन के बाद विडंबनाओं का राज्य बन गया है. यह संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद विकास के पैमाने पर पिछड़ता गया. देश के कुल कोयले के भंडार का 28 फीसदी झारखंड में है, जबकि कोयले से बिजली उत्पादन महज दो फीसदी ही होता है. महाराष्ट्र में सिर्फ 4 फीसदी कोयला है, लेकिन इससे वह 15 फीसदी बिजली का उत्पादन करता है. ऐसे में स्वाभाविक है कि उद्योग झारखंड की बजाय महाराष्ट्र को प्राथमिकता देंगे.
उसी तरह विकास योजनाओं के कारण छत्तीसगढ़ की विकास दर झारखंड से अधिक है. बिजली उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर हो गया है. उसका लाभ उसे विभिन्न तरीकों से मिल रहा है. अगर झारखंड सिर्फ बिजली उत्पादन बढ़ाने पर ही ध्यान केंद्रित करे तो उद्योग भी आयेंगे और बिजली बेचकर राज्य को राजस्व भी मिलेगा. साथ ही राज्य को संसाधनों में वैल्यू एडीशन करना होगा, क्योंकि जब तक वैल्यू एडीशन नहीं होगा तो पूंजी नहीं आयेगी. इसके अलावा निवेशकों को काम करने की आजादी भी मिलनी चाहिए. निवेश होने से राज्य में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
राज्य में पारदर्शी शासन मुहैया कराने के लिए ईमानदार लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनात करना होगा. इसके लिए राजनीतिक स्थिरता जरूरी है. पारदर्शी शासन से ही राज्य में नीतियों का सही क्रियान्वयन हो सकता है. महत्वपूर्ण यह नहीं होता है कि नीतियां सिर्फ अच्छी हो, बल्कि उसका क्रियान्वयन किस तरीके से हो इस पर ध्यान देना चाहिए. राज्य को विकास के लिए खुद के संसाधनों के जरिये राजस्व जुटाने पर ध्यान देना चाहिए. राज्य के विकास के लिए विजन की आवश्यकता है. उत्तराखंड में हाडड्रो पावर उत्पादन में अच्छी सफलता हासिल की है. खास बात यह है कि रोड और बिजली का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है.
बेहतर सड़क से परिवहन के खर्च में भी कमी आती है. दुर्भाग्य से झारखंड के राजनीतिक नेतृत्व में इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है. झारखंड का समग्र विकास सिर्फ सामाजिक विकास से संभव नहीं है. इसके लिए कृषि, उद्योग और अन्य क्षेत्रों के विकास पर फोकस करने की आवश्यकता है.
राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास की भी काफी संभावना है. कृषि और कृषि से जुड़े क्षेत्रों के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकते हैं. आर्थिक विकास से ही सामाजिक क्षेत्र के विकास को और अधिक तवज्जो दी जा सकती है. पर लचर कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार के कारण सामाजिक योजनाओं का लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाया है.
जिस उम्मीद के साथ राज्य का गठन किया गया था, वे उम्मीदें अब टूटती दिख रही है. अब राज्य के राजनीतिक वर्ग को भी जागरूक होना होगा और चाहे किसी पार्टी की सरकार बने, उसे यह तय करना होगा कि राज्य के विकास के लिए किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे. एक मजबूत और दूरदर्शी नेतृत्व के सहारे झारखंड अपने संसाधनों की बदौलत भारत का सबसे विकसित राज्य बन सकता है.
(आलेख बातचीत पर आधारित)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें