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मोबाइल ऐप की मदद से मिलेंगे ऑटो

डेविड रीथ टेक्नालॉजी संवाददाता, दिल्ली भारत के कई शहरों में सूचना तकनीक की मदद से ऑटो की सवारी करना पहले से आसान हो गया है. बस आपके पास आपका स्मार्टफ़ोन होना चाहिए. दिल्ली के परिवहन विभाग ने ‘पूछो’ नाम से एक ऐप विकसित किया है. इस ऐप की मदद से आप को ऑटो ढूंढने में […]

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भारत के कई शहरों में सूचना तकनीक की मदद से ऑटो की सवारी करना पहले से आसान हो गया है. बस आपके पास आपका स्मार्टफ़ोन होना चाहिए.

दिल्ली के परिवहन विभाग ने ‘पूछो’ नाम से एक ऐप विकसित किया है. इस ऐप की मदद से आप को ऑटो ढूंढने में मुश्किल नहीं होगी और ऑटो चालकों की आमदनी भी बढ़ेगी.

ये ऐप ऑटो में लगे जीपीएस सिस्टम की मदद से काम करता है. आपको ऐप का आयकन अपने मोबाइल फ़ोन पर दबाना होगा, इसकी मदद से आप की बातचीत नज़दीक के ऑटो चालक से होने लगेगी. अगर आप हिंदी नहीं बोल पाते हों तो एसएमएस करने से भी अगले कुछ मिनट में ही ऑटो उपलब्ध होगा.

ऑटो चालक राजेश शीना कहते हैं, "हमें अब लोगों का इंतज़ार नहीं करना होता है. हम कहीं भी हों, हमसे लोग संपर्क कर लेते हैं."

किराया बताता है ऐप

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इतना ही नहीं ‘पूछो’ ऐप की मदद से आपको किराए का पता भी चल जाएगा. ऐप में एक कैलकुलेटर लगा हुआ है, जो मीटर नहीं चलने पर भी आपको उपयुक्त किराया बता देगा.

ऑटो चालक राम नारायण कहते हैं, "इससे लोगों को ऑटो सहजता से मिल जाता है, पैसों को लेकर भी किचकिच नहीं होती है."

हालांकि ‘पूछो’ ऐप में अभी कुछ मुश्किलें आ रही है, लेकिन इसके निर्माता मुश्किल को दूर करने में लगे हुए हैं.

इसको लेकर कई लोग शिकायत भी करते हैं. ऑटो चालक बशीर हुसैन कहते हैं, "किसी ने मुझे फ़ोन कॉल नहीं किया, मुझे तो कोई फ़ायदा नहीं हुआ."

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दिल्ली से दूर दक्षिण भारत के बैंगलोर में, ऑटो चालक एक निजी पहल ‘एमगाड़ी’ ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बेहतर कोशिश

‘एमगाड़ी’ ऐप लांच करने वाली कंपनी का दावा है कि उसके ऐप से चालक और सवारी दोनों ख़ुश हैं. कंपनी ऑटो वालों से प्रति यात्रा पांच रुपए शुल्क लेती है.

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ऑटो वाले पैसे इसलिए देते हैं क्योंकि उनके पास हमेशा सवारी होती है. उन्हें हमेशा मीटर से चलना होता है, इसलिए सवारियों को भी मुश्किल नहीं होती.

इस ऐप की मदद से उन्हें सवारी की तलाशने के लिए ईंधन ख़र्च नहीं करना होता है. ‘एमगाड़ी’ ऐप को विकसित करने वाले किरण राज कहते हैं, "हम ऑटो चालकों को लगातार सवारियां देते हैं, उनका वक़्त बर्बाद नहीं होता, इसलिए वे उपभोक्ताओं से ज़्यादा पैसे नहीं मांगते."

‘एमगाड़ी’ ऐप दिल्ली के ‘पूछो’ ऐप से अलग है क्योंकि इसके लिए महंगे जीपीएस सिस्टम की जरूरत नहीं होती और ना ही महंगे स्मार्टफ़ोन की.

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‘एमगाड़ी’ ऐप के जरिए ऑटो चालक पहले से दिए गए ‘एमगाड़ी’ नंबर पर फ़ोन करना होता है, दो बार घंटी बजने के बाद आप फ़ोन रख देते हैं. फिर ऑटो चालक की स्थिति का पता, उनके फ़ोन करने की स्थिति से लगाया जाता है और उधर की सवारी दी जाती है.

दिल्ली में पूछो और बैंगलुरु में ‘एमगाड़ी’ ऐप की मदद से सार्वजनिक परिवहन की तस्वीर थोड़ी बेहतर जरुर हुई है.

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