भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के लिए एटीएम के मुफ्त इस्तेमाल की संख्या में कमी कर दी है. हालांकि, इस संबंध में प्रत्येक बैंक को अपने-अपने स्तर से नियमों को लागू करने की भी स्वतंत्रता दी गयी है. क्या था एटीएम को शुरू करने का मकसद, भारत में कब हुई इसकी शुरुआत, कितना है इसके रखरखाव का खर्चा आदि जैसे पहलुओं पर नजर डालने के साथ-साथ भारत में एटीएम संबंधी आंकड़ों के बारे में बता रहा है आज का नॉलेज..
सतीश सिंह
(लेखक बैंक अधिकारी हैं)
भा रतीय रिजर्व बैंक ने दूसरे बैंकों के एटीएम के हर महीने मुफ्त इस्तेमाल की संख्या एक नवंबर से घटा दी है. ग्राहक को हर महीने दूसरे बैंक के एटीएम से केवल तीन बार मुफ्त ट्रांजेक्शन की मंजूरी दी गयी है. पहले यह संख्या पांच थी. होम बैंक के एटीएम से पांच बार मुफ्त ट्रांजेक्शन की अनुमति दी गयी है, जो असीमित थी. इसके बाद हर वित्तीय ट्रांजेक्शन पर 20 रुपये और गैर-वित्तीय ट्रांजेक्शन के लिए आठ रुपये की दर से शुल्क लगाया जायेगा. ट्रांजेक्शन से आशय वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों से है.
हालांकि अपने ग्राहकों को मुफ्त ट्रांजेक्शन की सुविधा देने के मामले में बैंकों को स्वतंत्रता दी गयी है. इसलिए इस संबंध में एकरूपता नहीं है. अभी यह नियम देश के छह बड़े शहरों-मुंबई, दिल्ली, चेन्नई,कोलकाता, बेंगलुरु औरहैदराबाद में लागू होगा. यह नियम नो फ्रिल्स, बेसिक सेविंग एवं छोटे खातों पर लागू नहीं होगा.
फिलहाल, आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी व एक्सिस बैंक ने अपने नियमों में बदलाव नहीं किया है. कोटक महिंद्रा बैंक ने 10,000 रुपये से ज्यादा बैलेंस रखनेवाले ग्राहकों को असीमित ट्रांजेक्शन की सुविधा देने की घोषणा की है. सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक बैंकों ने भी अब तक अपने मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक खाते में अधिक बैलेंस रखनेवाले ग्राहकों को अधिक मुफ्त एटीएम ट्रांजेक्शन की सुविधा देगा. एक लाख रुपये बैलेंस अपने बचत खाते में रखने वाले ग्राहकों को मेट्रो में दूसरे बैंक के एटीएम से तीन मुफ्त ट्रांजेक्शन व नॉन-मेट्रो में दूसरे बैंक के एटीएम से पांच मुफ्त ट्रांजेक्शन की सुविधा दी जायेगी. वहीं एक लाख रुपये से अधिक बैलेंस रखने वाले ग्राहकों को होम बैंक एवं दूसरे बैंक के एटीएम से असीमित मुफ्त ट्रांजेक्शन की सुविधा दी जायेगी.
क्या था एटीएम की शुरुआत का मकसद
एटीएम का आविष्कार मूल रूप से ग्राहकों को बैंक परिसर के बाहर बैंकिंग सुविधाएं देने के मकसद से किया गया था, क्योंकि बैंक शाखा में ट्रांजेक्शन करना बैंक के लिए घाटे का सौदा था. कुछ साल पहले ग्राहक आम तौर पर रकम निकालने व ट्रांसफर करने, खाते संबंधी पूछताछ, स्टेटमेंट आदि के लिए बैंक जाते थे. ग्राहकों द्वारा बैंक परिसर में ट्रांजेक्शन करने के कारण बैंक कर्मचारी कार्यालय अवधि में सिर्फ रोजाना के कार्य कर पाते थे, जिसके कारण बैंक के दूसरे महत्वपूर्ण कार्यो जैसे- बीमा और म्यूचुअल फंड, शुल्क आधारित अन्य सेवा, लोन की मार्केटिंग, कर्ज की वसूली आदि सुचारु रूप से नहीं किये जा रहे थे. एटीएम के आगाज को इन समस्याओं के समाधान के रूप में देखा गया. ऐसे में यह जानना जरूरी हो गया है कि जब ग्राहक दूसरे वैकल्पिक माध्यमों से ट्रांजेक्शन करने के लिए आदी हो गये हैं, तो क्यों बैंक उन्हें फिर से बैंक परिसर जाने के लिए मजबूर करना चाहता है?
एटीएम के मेंटेनेंस की बढ़ती लागत
एटीएम बैंकों के लिए सफेद हाथी बनता जा रहा है. इनके रख-रखाव पर हर महीने औसतन 50,000 से 75,000 रुपये खर्च होते हैं. इस खर्च की भरपाई तभी हो सकती है, जब एक एटीएम मशीन में प्रतिदिन 200 ट्रांजेक्शन या प्रतिमाह 6,000 ट्रांजेक्शन हो. जबकि प्रतिदिन औसतन 125 से 130 ट्रांजेक्शन हो रहे हैं. इससे बैंकों को नुकसान हो रहा है. ऐसे में बैंकों के पास यही विकल्प है कि वे मेट्रो सिटी के ग्राहकों से एटीएम ट्रांजेक्शन पर शुल्क की वसूली करें, क्योंकि मेट्रो सिटी में एटीएम से ट्रांजेक्शन का औसत राष्ट्रीय औसत से बेहतर है. बैंकों का मानना है कि एटीएम ट्रांजेक्शन पर शुल्क लगाने के बाद भी मेट्रो के अधिकांश ग्राहकों के आर्थिक रूप से संपन्न होने, वक्त की कमी व एटीएम कार्ड से ट्रांजेक्शन करने के आदी होने के कारण वे बैंक जाने से परहेज करेंगे, जिससे हालत सुधर सकती है.
हम आसानी से बरत सकते हैं कुछ सावधानियां
उन उपायों को जानना जरूरी है, जिसकी मदद से एटीएम कार्ड के इस्तेमाल को कम किया जा सकता है. अक्सर हम एटीएम का इस्तेमाल अपने खाते में बैलेंस जानने के लिए या फिर मिनी-स्टेटमेंट देखने के लिए करते हैं. गैर-वित्तीय ट्रांजेक्शन पर लगने वाले शुल्क को बचाने के लिए हम ऐसा करने से परहेज कर सकते हैं, क्योंकि बैंकों की एसएमएस सुविधा या फोन बैंकिंग सुविधा का इस्तेमाल करके भी इसे जाना जा सकता है. लिहाजा, हमें सिर्फ नकद निकालने के लिए एटीएम का इस्तेमाल करना चाहिए.
एटीएम की विकासयात्रा
एटीएम की शुरुआत सबसे पहले ब्रिटेन में बार्कलज बैंक ने जून, 1967 में की थी. पहले एटीएम का निर्माण बरे कंपनी ने प्रथम नकदी वितरक यंत्र (कैश डिस्पेंसर) के रूप में किया था. इसके ठीक दो दिनों बाद नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक भी चब कंपनी द्वारा निर्मित मशीन की स्थापना करके इस दौड़ में शामिल हो गया. मोटे तौर पर एटीएम की विकासयात्रा को पांच चरणों में बांटा जा सकता है :
प्रथम चरण : शुरुआती दौर में एटीएम नकदी वितरण के अलावा बहुत ही सीमित बैकिंग सुविधा प्रदान करता था. फिर भी दो सालों के अंदर अनेक यूरोपियन राष्ट्रों, जापान, अमेरिका आदि देशों में एटीएम स्थापित किये गये. पहला एटीएम नेटवर्क स्विट्जरलैंड में शुरू किया गया. 1970 के मध्य तक लेन-देन संबंधी सेवाओं वाले एटीएम विकसित किये गये. इस क्रम में 1972 में ब्रिटेन में लॉयड्स बैंक ने बैकिंग प्रणाली से जुड़ा पहला ऑनलाइन एटीएम स्थापित किया.
दूसरा चरण : 1970 से 1980 के बीच वाले समय को एटीएम का दूसरा चरण माना जाता है. इस कालखंड में एटीएम में माइक्रो कंप्यूटर प्रौद्योगिकी इस्तेमाल किया जाने लगा, जिससे एटीएम की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार हुआ.
तीसरा चरण : 1980 के मध्यकाल में मॉड्यूलर एटीएम का विकास किया गया, जिसकी मदद से बैंक एटीएम को जरूरत के मुताबिक अपग्रेड करने में समर्थ हुए.
चौथा चरण : इस काल में एटीएम को ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित बनाया गया, जिससे इसकी क्षमता में विकास हुआ तथा यह विविध सेवाएं देने में सक्षम हो सका. इसके बाद विकसित देशों के बैंकों ने अनिवार्य रूप से एटीएम जारी किये. एटीएम बैंक परिसर (ऑनसाइट) एवं बाहर (ऑफसाइट) लगाये जाने लगे.
पांचवां चरण : मौजूदा समय को पांचवां चरण कहा गया है. इस काल में वेब आधारित एटीएम की सुविधा ग्राहकों को दी जा रही है, जो प्रौद्योगिकी एवं सुविधा देने के मामले में सबसे बेहतर है.
भारत में एटीएम की शुरुआत
भारत में हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने 1987 में पहला एटीएम कोलकाता में लगाया था. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इंडियन बैंक ने पहला एटीएम लगाया. भारतीय स्टेट बैंक ने अपना पहला एटीएम 1993 में जमशेदपुर में स्थापित किया. 1997 में भारतीय बैंक संघ ने मुंबई में ‘स्वधन’ नाम से एटीएम नेटवर्क प्रारंभ किया, जिसमें किसी भी सदस्य बैंक के एटीएम से नकदी निकाला जा सकता था, लेकिन यह ऑफलाइन सेवा प्रदान करता था. लिहाजा यह लोकप्रिय नहीं हो सका, उस वक्त विदेशी बैंक के नेटवर्क से जुड़े एटीएम की सुविधाएं बेहद लोकप्रिय थी.
एटीएम और एटीएम कार्ड
ऑटोमेटेड या ऑटोमेटिक टेलर मशीन यानी एटीएम (जिसे ऑटोमेटेड बैकिंग मशीन (एबीएम) कैश मशीन, कैश प्वॉइंट, कैश लाइन आदि भी कहते हैं) एक ऐसा इलेक्ट्रिक टेलीकम्यूनिकेशन डिवाइस है, जो बैंक ग्राहकों को डेबिट सह एटीएम कार्ड के रूप में जारी करता है. अमूमन यह प्लास्टिक से बना मैग्नेटिक स्ट्रिप कोटेड या फिर चिप युक्त स्मार्ट कार्ड होता है, जिसमें यूनिक कार्ड नंबर, सुरक्षा से जुड़े सवाल जैसे- कार्ड की समाप्ति तिथि आदि दर्ज होते हैं. यह कार्ड ग्राहकों को वित्तीय लेन-देन में मदद करता है.
विविध प्रकार के एटीएम
मौजूदा समय में पारंपरिक एटीएम के अलावा बैंक ने ग्राहकों की सुविधा के लिए अन्य एटीएम मशीनों को भी उपलब्ध कराया है, जो इस प्रकार हैं.
बायोमेट्रिक एटीएम : भारत में ज्यादातर एटीएम नगरों एवं महानगरों में स्थित हैं. ग्रामीण इलाकों में एटीएम की अब भी भारी कमी है. एटीएम कार्ड के इस्तेमाल के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोगों को पूरी जानकारी नहीं है. उन्हें यह नहीं पता है कि एटीएम कार्ड के माध्यम से एटीएम से क्या-क्या काम हो सकते हैं यानी किस तरह के ट्रांजेक्शन इससे किये जा सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आसान तरीके से एटीएम का इस्तेमाल मुहैया कराने के लिए बायोमेट्रिक इनेबल एटीएम मशीन लगाये जा रहे हैं.
व्हाइट लेवल एटीएम : अमेरिका में प्रचलित व्हाइट लेवल एटीएम की संकल्पना अब भारत तक पहुंच चुकी है. इसके तहत एटीएम का मालिकाना हक बैंक की बजाय थर्ड पार्टी के पास होता है.
मोबाइल एटीएम : भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहां आर्थिक, भौगोलिक, सामाजिक स्तर पर बहुत ज्यादा असमानता है. इसलिए मोबाइल एटीएम वैन की अवधारणा को साकार किया गया है, ताकि जरूरतमंद लोगों के बीच एटीएम की सुविधा पहुंच सके. यह मूलत: पारंपरिक एटीएम मशीन है, जिसे आकर्षक तरीके से पेश किया गया है.
एटीएम से मिलने वाली सुविधाएं
एटीएम कार्ड की मदद से मौजूदा समय में ग्राहक रकम जमा करने और अग्रिम खातों मसलन, ओवरड्राफ्ट, केसीसी आदि से नकदी निकालने और ट्रांसफर करने, बिल पेमेंट, खाते की जांच, मिनी-स्टेटमेंट, मोबाइल रिचार्ज, संबंधित बैंकों द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान आदि कर सकते हैं. ग्राहक को इससे दूसरे फायदे भी हैं, मसलन 365 दिन और 24 घंटे बैंकिंग सुविधा मिलने की गारंटी, समय एवं पैसों की बचत, देश-विदेश में नकदी का विकल्प, खाते का प्रबंधन, सामाजिक अपराधों को कम करने में सहायक, टेक्नोसेवी (संबंधित तकनीक के इस्तेमाल के प्रति आपकी रुचि बढ़ाने और उसे इस्तेमाल में लाने के लिए प्रेरित करने) बनाने में मददगार, वित्तीय समावेशन को लागू कराने में सहायक, वित्तीय अनुशासन विकसित करने में मददगार आदि.