नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज राजीव गांधी की हत्या के अपराध में जेल में बंदनलिनी की रिहाई वाली याचिका को अस्वीकार कर दिया है.नलिनी राजीव गांधी की हत्या की साजिश के आरोप में जेल में बंद है. नंदिनी की मौत की सजा को 2000 में उम्रकैद में बदल दिया गया था.
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुये कहा, सॉरी, हमारी दिलचस्पी नहीं है. नलिनी ने इस याचिका में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435 (1) को चुनौती दी थी जिसके तहत यदि केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच से संबंधित कोई मामला है तो ऐसे दोषी को समय से पहले रिहा करने के लिये राज्य सरकार को केंद्र से परामर्श करना होगा.
नलिनी पिछले 23 साल से जेल में है. मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किये जाने के कारण वह यह सजा भुगत रही है. निचली अदालत ने इस मामले में उसे 28 जनवरी, 1998 में मौत की सजा सुनायी थी. तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था.
नलिनी ने अपनी याचिका में कहा था कि तमिलनाडु सरकार ने उम्र कैद की सजा भुगत रहे 2200 कैदियों को पिछले करीब 15 साल में दस साल से भी कम समय जेल में बिताने पर रिहा कर दिया था लेकिन इसके मामले पर सिर्फ इस आधार पर विचार नहीं किया गया कि उसके अपराध की जांच सीबीआई ने की थी.
केंद्र सरकार ने इससे पहले न्यायालय में दलील दी थी कि उसकी सहमति के बगैर तमिलनाडु सरकार ऐसे कैदी को रिहा नहीं कर सकती है. केंद्र सरकार के इस रुख के कारण राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा करने का राज्य सरकार का निर्णय परवान नहीं चढ सका था.
इस हत्याकांड के तीन दोषियों मुरुगन, संतन और पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के शीर्ष अदालत के निर्णय के बाद तमिलनाडु सरकार 19 फरवरी को सभी सात कैदियों की सजा माफ करके उन्हें रिहा करना चाहती थी. तमिलनाडु सरकार के इस निर्णय को केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.
न्यायालय ने 20 फरवरी को राज्य सरकार के इस निर्णय पर रोक लगाते हुये सारा मामला संविधान पीठ को सौंप दिया था. न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी मुरुगन, संतन, पेरारिवलन, नलिनी, राबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई नहीं हो सकी.