मुझे नहीं पता कि मैं कितने दिन और ज़िंदा रहूंगी. मेरा शरीर मुझे बहुत तक़लीफ़ देता है. मैंने एक करोड़ रुपए अभी जीते हैं. मैं इतनी जल्दी नहीं मरना चाहती.
अपनी बेटी की शादी देखनी है. बेटे को कामयाबी पाते देखना चाहती हूं.
साल 2006 में मुझे स्तन कैंसर का पता लगा. डॉक्टरों ने बताया कि मैं छह महीने से ज़्यादा ज़िंदा नहीं रहूंगी.
लेकिन मेरे पति ने कह दिया, "तुम टेंशन मत लो. मैं हूं ना."
तब से लेकर मेरे इलाज में 35 लाख रुपए ख़र्च हो चुके है.
कैंसर का दूसरा हमला
जब मैं उससे उबरने लगी तो पता चला कि मुझे लिवर कैंसर भी हो गया है.
मुझे नहीं पता कि और कितना पैसा लगेगा. और मैं बचूंगी भी या नहीं. हालांकि पैसे जीतने के बाद इलाज के लिए लिया गया उधार अब हमने चुका दिया है.
मेरे पति ने मेरे लिए कैंसर को बड़ी मामूली सी चीज़ बना दिया.
उन्होंने तमाम आर्थिक तंगी के बावजूद मुझे ये महसूस नहीं होने दिया कि मुझे कोई गंभीर बीमारी हुई है.
परिवार का सहयोग
उन्हीं की वजह से मेरी इच्छाशक्ति इतनी मज़बूत बन सकी.
मैं घर पर ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हूं.
केबीसी में हिस्सा लेने के लिए मेरे बेटे ने मुझे प्रेरित किया.
मैं खूब किताबें पढ़ने लगी. पिछले साल भी मैंने काफ़ी कोशिश की लेकिन शो में शामिल नहीं हो पाई.
इस साल मुझे हॉट सीट तक पहुंचने का मौक़ा मिला, जिसका मैंने फ़ायदा उठाया.
बिग बी भी प्रभावित
ख़ुद अमिताभ बच्चन मेरे हौसले को देखकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके.
मैं अपनी बेटी को आर्किटेक्ट बनाना चाहती हूं. लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि मैं ज़िंदा रहूं.
हौसला और इच्छाशक्ति की मेरे पास कोई कमी नहीं है. मेरा परिवार मेरे साथ है. अब मुझमें दोबारा जीने की इच्छा जाग पड़ी.
इनाम तो जीत लिया. बस ज़िंदगी के थोड़े दिन और चाहती हूं.
(मुंबई में मधु पाल से बातचीत पर आधारित)