पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से गांधी मैदान और अदालत घाट हादसों की जांच के संबंध में तीन नवंबर तक स्थिति साफ करने को कहा है. मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा और पीके झा के खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि दोनों हादसों की जांच कहां तक पहुंची है? याचिकाकर्ता का कहना था कि वर्ष 2012 में छठ के दौरान अदालत घाट पर हुई भगदड़ में भी दो दर्जन लोगों की मौत हो गयी थी.
यह एक प्रशासनिक लापरवाही का मामला था, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी जांच गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को सौंप कर मामले की लीपापोती कर दी है. दो साल बाद भी उसके दोषियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकी है. दो साल बाद दशहरे पर गांधी मैदान में एक बार फिर इसी तरह की प्रशासनिक लापरवाही के कारण 33 लोगों की जान चली गयी.
राज्य सरकार ने एक बार फिर उसी अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा, जो दो साल पहले हुए हादसे की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं सौंप सके हैं. इससे लगता है कि गृह सचिव को गांधी मैदान हादसे की जांच सौंप कर इसका भी वही हाल करना है, जो छठ हादसे की जांच का हुआ है. इस पर कोर्ट ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि वह तीन नवंबर तक बताएं कि दोनों ही हादसों की जांच कहां तक पहुंची है.