बाघमारा. बाघमारा-डुमरा पथ पर तेलोटांड़ स्थित वैष्णवी काली मंदिर कोयलांचल में ख्याति प्राप्त है़ इस मार्ग से गुजरने वाले प्राय: सभी लोगों का माथा स्वत: यहां पहुंचते ही झुक जाता है. लोगों की आस्था इस मंदिर से करीब 100 वषार्ें से भी अधिक समय से बनी हुई है़ लोग बताते हैं कि पहले यहां बली प्रथा से मां की पूजा की जाती है, लेकिन वर्ष सन 62-63 में एक साधु का इस मंदिर में आगमन हुआ. साधु के कहने पर लोगों ने यहां बली प्रथा समाप्त कर वैष्णव प्रथा शुरू की. समय के साथ मंदिर जब जर्जर स्थिति में पहुंच गया तो बाघमारा बाजार के लोगों ने सार्वजनिक बैठक कर इसके जीणार्ेद्धार का बीड़ा उठाया. इसमें महत्वपूर्ण योगदान बाघमारा के तत्कालीन बीडीओ प्रभाकर सिंह का रहा. वर्ष 2007 में मंदिर का जीणार्ेद्धार संपन्न हुआ. लोग यह भी बताते हैं कि मंदिर का जीर्णोद्धार होते ही बीडीओ श्री सिंह की भी मुराद पूरी हुई़ इस वर्ष भी यहां पूजा हषार्ेल्लास से मनाने के लिए कमेटी सक्रिय है. मनोरंजन के लिए इस बार मेले क ा भी भव्य आयोजन किया जा रहा है. तारामाची, ब्रेक डांस, ड्रैगन सहित अन्य बाघमारा पहुंच चुके हैं़ मेले का आयोजन बिहारशरीफ के विजय कुमार के नेतृत्व में होता है. वही मंदिर के पुजारी मुरलीधर पांडे एवं सरयू पांडे बताते है कि मां की पूजा इस वर्ष 23 अक्तूबर की मध्यरात्रि में संपन्न होगी़ कमेटी में अध्यक्ष मनोज चौहान, उपाध्यक्ष शंभु महतो, सचिव दीपक प्रसाद, कोषाध्यक्ष मनोज कुमार, संरक्षक गोपाल अग्रवाल व शिवा चौहान हैं.
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आस्था का केंद्र है वैष्णवी काली मंदिर
बाघमारा. बाघमारा-डुमरा पथ पर तेलोटांड़ स्थित वैष्णवी काली मंदिर कोयलांचल में ख्याति प्राप्त है़ इस मार्ग से गुजरने वाले प्राय: सभी लोगों का माथा स्वत: यहां पहुंचते ही झुक जाता है. लोगों की आस्था इस मंदिर से करीब 100 वषार्ें से भी अधिक समय से बनी हुई है़ लोग बताते हैं कि पहले यहां बली […]
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