देवघर: देवघर भूमि घोटाला की जांच में कई तथ्य सीबीआइ के पकड़ में आया है. जांच में पाया गया कि सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों से साठ-गांठ कर भू-माफियाओं ने एसपीटी एक्ट की धज्जियां उड़ा कर रख दी.
देवघर, मोहनपुर व मधुपुर अंचल घोटाले का केंद्र बिंदु था. झारखंड गठन के बाद देवघर में बेहताशा जमीन खरीद-बिक्री हुई. 2010-11 के दौरान देवघर में करीब 4010 रजिस्ट्री हुई. जो 10 वर्ष के पहले की तुलना में 20 गुना के बराबर है. 2011 में देवघर में 5.6 करोड़ रुपये की जमीन की रजिस्ट्री हुई. इसमें 3.86 करोड़ रुपये की स्टांप की बिक्री व 1.2 करोड़ रुपये का निबंध शुल्क आया था.
जबकि देवघर में 10 फीसदी जमीन ही बिक्री योग्य थी. लेकिन राज्य बनने के बाद नियम-कानून को तक पर रख दिया गया. अचानक जमीन बिक्री में उछाल आने पर तत्कालीन डीसी मस्तराम मीणा को शक हुआ व इसकी जांच करवायी. जांच में मामला पकड़ में आ गया, उसके बाद पहले निगरानी जांच की अनुशंसा की गयी.