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निवेशोन्मुखी देश है भारत

नार्वे यात्रा. राष्ट्रपति ने भारत को जोरदार ढंग से किया पेश कहा, एजेंसियां, हेलसिंकीविदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रयासों के तहत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे यात्रा के दौरान अपनी अहम भूमिका निभायी है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के मद्देनजर भारत 2014-16 के लिए दौरान एफडीआइ की दृष्टि […]

नार्वे यात्रा. राष्ट्रपति ने भारत को जोरदार ढंग से किया पेश कहा, एजेंसियां, हेलसिंकीविदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रयासों के तहत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे यात्रा के दौरान अपनी अहम भूमिका निभायी है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों के मद्देनजर भारत 2014-16 के लिए दौरान एफडीआइ की दृष्टि से चौथा सबसे आकर्षक बाजार है. उन्होंने इस संदर्भ में सरकार द्वारा निवेशक अनुकूल माहौल तैयार करने, कारोबार के नियम प्रक्रियाओं को आसान बनाने तथा वृद्धि को बल देनेवाले कदमों का उल्लेख किया. राष्ट्रपति यहां फिनप्रो में कारोबारी बैठक को संबोधित कर रहे थे.ऊंची है भारत की वृद्धि दरउन्होंने कहा कि भारत सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. हमारी अर्थव्यवस्था में लचीलापन है. उसका सबूत यह है कि वैश्विक वित्तीय संकट का असर अन्य देशों की तुलना में भारत में बहुत कम रहा. उन्होंने कहा कि 2014-15 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही. उन्होंने कहा कि पिछले दशक में हमारी अर्थव्यवस्था में जो मजबूत वृद्धि (औसतन 7.6 प्रतिशत) दर्ज की गई उससे निवेशकों की भारत में रुचि बढ़ी है. हालांकि, बीते दो साल में हमारी वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कम रही है, पर यह अब भी चीन को छोड़ कर बाकी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ऊंची है.अर्थव्यवस्था में सुधार के सकारात्मक संकेतराष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि अब ऐसे सकारात्मक संकेत सामने आ रहे हैं, जिनके अनुसार वृद्धि में सुधार होनेवाला है. उन्होंने कहा कि निवेशकों की रुचि बढ़ाने, व्यापक आर्थिक नींव को मजबूत करनेवाले तथा ढांचागत क्षेत्र को बल देने को लक्षित कदमों के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर सात प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने को तैयार है. उन्हांेने कहा कि स्थिर विनिमय दर के साथ अर्थव्यवस्था का बाह्य क्षेत्र मजबूत हुआ है, एकीकृत कदमों से राजकोषीय स्थिति में सुधरी है, कीमत स्तर नीचे आया है तथा विनिर्माण क्षेत्र पटरी पर लौटने लगा है. खाद्यान्न उत्पादन पिछले साल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 2013-14 में 4.7 प्रतिशत रही.उदार है प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीतिराष्ट्रपति ने कहा कि इस समय हमारी एफडीआइ नीति उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उदार मानी जाती है, जिसमें अनेक क्षेत्रों व गतिविधियों में स्वत:स्वीकृत मार्ग से शत-प्रतिशत तक की एफडीआइ की अनुमति है. यह भारत को आकर्षक निवेश गंतव्य बनाता है. उन्हांेने कहा कि वृद्धि कर रहे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फिनलैंड की कंपनियों के लिए निवेश के अच्छे अवसर हैं. भारत की नयी सरकार के अगुवाई में हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने का इच्छुक है. नयी सरकार ने बुनियादी ढांचे तथा विनिर्माण को उन दो प्रमुख क्षेत्रों के रूप में चुना है, जिन पर वह ध्यान केंद्रित करेगी.पर्यटन क्षेत्र में असीमित है संभावनाप्रणब ने कहा कि पर्यटन हमारे द्विपक्षीय संबधों में असीमित संभावनाओंवाला दूसरा क्षेत्र है. आपको यह जानकार खुशी होगी कि फिनलैंड के पर्यटक अब भारतीय हवाई अड्डों पर पहुंच कर वीजा हासिल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु है. आनेवाले सालों में इसमें 1000 अरब डॉलर से अधिक के निवेश की उम्मीद की जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचे में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं व कार्यक्रम तैयार किये हैं, जिनमें औद्योगिक गलियारे, औद्योगिक ढांचा उन्नयन योजना, राष्ट्रीय निवेश व विनिर्माण क्षेत्रों की स्थापना, औद्योगिक संकुल तथा स्मार्ट शहर की योजनाएं शामिल हंै.बुनियादी ढांचे से विदेशी कंपनियां लाभ में होंगी भागीदारराष्ट्रपति प्रणब ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल हमारे देश में आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा, बल्कि भारत में निवेश करनेवाली विदेशी कंपनियों के लिए हमारी वृद्धि के लाभ में भागीदारी का अवसर भी होगा. उन्हांेने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद द्विपक्षीय व्यापार में अच्छी खासी वृद्धि दर्ज की गयी है. यह 2013 में बढ़ कर 1.5 अरब डॉलर हो गया. यह उत्साजनक है. उन्होंने कहा कि हालांकि मेरी यही राय है कि व्यापार का यह स्तर दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग की मौजूदा संभावनाओं से न्याय नहीं करता है.बॉक्स आइटममोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा में हो सकते हैं कई प्रमुख समझौतमेलबर्न. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवंबर में ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान दोनों पक्ष व्यापार, निवेश तथा रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समझौता कर सकते हैं. एक विशेषज्ञ ने यह बात कही. करीब तीन दशक बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करेगा. मोदी की दो दिवसीय यात्रा 15 नवंबर से शुरू होगी. वह दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1986 में ऑस्ट्रेलिया यात्रा के बाद पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जो ऑस्ट्रेलिया की यात्रा करेंगे. वहे ऑस्ट्रेलिया की संसद को संबोधित भी करेंगे. मेलबर्न स्थित शोध संस्थान ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक अमिताभ मट्टू ने कहा कि करीब तीन दशक बाद भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर आ रहे हैं. इस लिहाज से मोदी की यात्रा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मोदी की यात्रा का मुख्य मकसद भारत मंे निवेश आकर्षित करना होगा. ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां तथा सेवा प्रदाताएं भारत में अवसरों को भुनाने के लिए सकारात्मक नजरिया दिखा सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट सितंबर में भारत की यात्रा पर गये थे.पांच साल में व्यापार दोगुना करने पर काम करें अमेरिकी देश : सीतारमननयी दिल्ली. भारत ने गुरुवार को लातिन अमेरिकी देशों से निवेश बढ़ाने और साथ मिल कर काम करते हुए अगले पांच साल में व्यापार दोगुना करने पर जोर दिया. द्विपक्षीय व्यापार फिलहाल 42 अरब डॉलर है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत और लातिन अमेरिकी देशों के बीच फिलहाल 42 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जो दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध संभावनाओं को परिलक्षित नहीं करता है. केंद्रीय मंत्री ने भारत-लातिन अमेरिकी देश निवेश सम्मेलन में कहा कि द्विपक्षीय निवेश से लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि व्यापार एवं आर्थिक संबंध बढ़ा कर और वस्तु एवं सेवा व्यापार खंड के विविधीकरण के जरिये यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. मंत्री ने कहा कि सरकार ने निवेशकों के लिए कारोबारी माहौल सुधारने और कारोबार सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं. निवेश संबंध का मौजूदा स्तर कमतर है और संभावनाओं से कहीं कम है. भारत ने निवेशकों के अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की व्यवस्था लागू की है.

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