नयी दिल्ली : भारत अरुणाचल प्रदेश में 1800 किमी हाइवे का निर्माण करेगा. इसके लिए केंद्र सरकार जल्द राज्य सरकार के साथ एक प्रोजेक्ट तैयार करेगी. यह हाइवे भारत-चीन सीमा में बनाया जायेगा. भारत के इस निर्णय का चीन ने विरोध किया है. भारत और चीन के बीच खटास रिश्तों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मोदी सरकार भी अपनी कुटनीति से चीन को सबक सिखाने में जुटी हुई है. आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पड़ोसी देश का साफ तौर पर कह दिया है कि भारत किसी से डरने वाला नहीं है. उन्होंने चीन को दो टूक शब्दों में संदेश देते हुए कहा है कि भारत को कोई चेतावनी नहीं दे सकता है क्योंकि हम एक ताकतवर देश हैं. भारत और चीन को एक साथ बैठकर सीमा से जुड़े विवाद सुलझाने चाहिए.
क्यों है चीन परेशान
भारत की महाशक्ति अमेरिका से बढ़ रही नजदीकियों ने चीन के सिर पर बल पैदा कर दिए हैं. हाल में ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था जो काफी सकारात्मक रहा. इसके पहले मोदी ने जापान का दौरा किया. जापान ने भारत में निवेश करने का मोदी से वादा किया. अमेरिका और जापान को चीन का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. मोदी के दोनों देश के दौरे से चीन सकते में आ गया है. गौरतलब है कि 2005 तक जब अमेरिका और भारत के संबंध थोड़े मजबूत होने लगे थे तो पहली बार चीन ने, भारत से गंभीरता से सीमा मुद्दे पर बातचीत शुरू की. लेकिन जैसे ही भारत-अमेरिका संबंध पटरी से उतरे, चीन ने भारत को के साथ अपने संबंध में खटास लाना शुरु कर दिया था.
चीन बढ़ाता जा रहा है भारत पर दबाव
चीन भारत के पड़ोसियों को अपनी ओर खींचने में लगा हुआ है. चीन भारत के विरोधी पाकिस्तान से अपना रिश्ता मजबूत बनाता जा रहा है. पाकिस्तान को परमाणु शक्तिसंपन्न देश बनाने का मकसद ही यही है कि वह भारत को नियंत्रण में रख सके. इसलिए भारत को चाहिए कि वह अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाये. भारत को अपने पड़ोसियों म्यांमार (बर्मा), नेपाल और बांग्लादेश में दखलअंदाजी बंद करके उनके साथ अच्छे संबंध की शुरुआत करनी होगी. मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सभी पड़ोसी देश के प्रमुखों को बुलाकर चीन की चिंता बढ़ा दी थी.
चीन की अपनी भी है समस्याएं
हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन जारी है जिसे पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक दबाया जा रहा है. इसपर अमेरिका ने चिंता जाहिर की है. यदि पड़ोसी देशों को छोड़ दिया जाए तो चीन के समर्थन में कोई भी देश खड़ा होता नहीं दिखता. टापूओं को लेकर चीन और जापान के बीच लगातार शीतयुद्ध जारी रहता है.