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34वें नेशनल गेम घोटाला: सरकार को हुआ करोड़ों का घाटा, कंपनी ने नहीं लौटायी राशि

रांची: 34वें नेशनल गेम के लिए सामान की आपूर्ति का काम विभिन्न कंपनियों को देने के मामले में हाशमी और पीसी मिश्र ने नियमों की अनदेखी की थी. इसका खुलासा निगरानी जांच में भी हुआ है. निगरानी ने जांच में पाया है कि नेशनल गेम के लिए हाउस कीपिंग और एलाइड सर्विस कार्य के लिए […]

रांची: 34वें नेशनल गेम के लिए सामान की आपूर्ति का काम विभिन्न कंपनियों को देने के मामले में हाशमी और पीसी मिश्र ने नियमों की अनदेखी की थी. इसका खुलासा निगरानी जांच में भी हुआ है.

निगरानी ने जांच में पाया है कि नेशनल गेम के लिए हाउस कीपिंग और एलाइड सर्विस कार्य के लिए निविदा समिति ने गत 06 अगस्त 2008 को एल-वन बीडर के रूप में मेसर्स लालजी एंड संस कंपनी का चयन किया था, लेकिन आयोजन के सचिव एसएम हाशमी के हस्तक्षेप की वजह से 12 अगस्त 2008 को उक्त कंपनी को काम नहीं दिया गया.

फिर से काम का टेंडर हुआ, जिसमें दिल्ली की कंपनी मेसर्स न्यू वेराइटी डेकोरेटर्स का चयन हुआ. इसके लिए 25 अक्तूबर 2008 को तीसरी बार टेंडर हुआ था.

इससे स्पष्ट है कि एनजीओ के पदाधिकारियों ने एल वन बीडर को 2.33.08 करोड़ रुपये का काम नहीं देकर दूसरी कंपनी को अधिक दर पर 2.80.29 करोड़ रुपये का काम दिया. इसमें सरकार को 47.21 लाख रुपये का नुकसान हुआ. एनजीओसी के पदाधिकारी ने यह काम न्यू वेराइटी डेकोरेटर्स को लाभ पहुंचाने के लिए दिया था.

कंपनी ने नहीं लौटायी राशि, फिर भी कार्रवाई नहीं

उद्घाटन एवं समापन समारोह के लिए चार कंपनियों ने निविदा डाली थी. इसमें गुड़गांव की कंपनी इनकंपस इवेंट प्राइवेट लिमिटेड को तकनीकी रूप से अयोग्य करार दिया गया था. इसके बाद मेसर्स बिज क्राफ्ट कंपनी का चयन किया गया. इस कंपनी को कुल 8,6514,728 रुपये में काम दिया गया. मोबिलाइजेशन एडवांस के रूप में कंपनी को 2,59,54,000 रुपये का भुगतान चेक के जरिये 23 दिसंबर 2008 को किया गया. इसी बीच खेल की तिथि कई बार स्थगित हुई.

पांच अक्तूबर को एनजीओसी कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई. इसमें विजय क्राफ्ट इंटरनेशनल कंपनी को नेशनल गेम के उद्घाटन और समापन समारोह के टेंडर से बाहर कर दिया गया. एडवांस में दी गयी राशि लेने का निर्णय बैठक में लिया गया. रुपये वापस करने के लिए पत्रचार भी किया गया, लेकिन कंपनी ने एडवांस की राशि नहीं लौटायी. इसके बावजूद भी टेंडर समिति ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.

एल-वन बिडर घोषित होने के बाद भी नहीं दिया काम

निगरानी जांच में यह भी पाया कि उद्घाटन और समापन समारोह के लिए जिन चार कंपनियों ने टेंडर डाला था, उसमें दिल्ली की एक कंपनी मेसर्स ब्रिलियेंट इंटरनेशनल नेट वर्क प्राइवेट लिमिटेड एल-वन बिडर घोषित हुआ था. इसकी निविदा की राशि 6,81,68,000 रुपये थी, लेकिन उक्त कंपनी को काम नहीं देकर दूसरी कंपनी को काम दिया गया. इस वजह से 1,83,46,728 रुपये अधिक खर्च करने की परिस्थिति पैदा हुई.

जांच में निगरानी ने यह भी पाया कि तत्कालीन निदेशक पीसी मिश्र ने मेसर्स बिज क्राफ्ट इंटरनेशनल कंपनी के साथ जो एग्रीमेंट किया था, उसमें इस शर्त का भी उल्लेख था कि नेशनल गेम के स्थगित होने या तिथि में बदलाव होने पर कंपनी खर्च की गयी राशि को जब्त कर सकती है, इससे पहले जिस एग्रीमेंट के प्रस्ताव के प्रारूप को खेल विभाग के सचिव ने तैयार किया था और विभागीय मंत्री ने अपनी सहमति दी थी, उसमें कंपनी द्वारा राशि जब्त करने संबंधित शब्द की चर्चा नहीं थी. निगरानी ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि मेसर्स बिज क्राफ्ट को लाभ पहुंचाने के लिए पीसी मिश्र ने इस प्रकार के शब्द का प्रयोग एग्रीमेंट में किया था.

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