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सबसे ख़तरनाक मोर्चे पर तैनात

नील अरुण बीबीसी न्यूज इराक़ में किरकुक के पुलिस प्रमुख दुनिया के शायद सबसे मुश्किल और ख़तरनाक मोर्चे पर तैनात हैं. वह एक ही साथ न केवल इस्लामिक स्टेट से संघर्ष कर रहे हैं बल्कि उन दुश्मनों के भी निशाने पर हैं, जो उन्हें ख़त्म कर देना चाहते हैं. इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों के हमले […]

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इराक़ में किरकुक के पुलिस प्रमुख दुनिया के शायद सबसे मुश्किल और ख़तरनाक मोर्चे पर तैनात हैं. वह एक ही साथ न केवल इस्लामिक स्टेट से संघर्ष कर रहे हैं बल्कि उन दुश्मनों के भी निशाने पर हैं, जो उन्हें ख़त्म कर देना चाहते हैं.

इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों के हमले का डट कर मुक़ाबला करने वाले जनरल सरहद क़ादिर पिछले ग्यारह सालों से किरकुक पुलिस प्रमुख के पद पर हैं.

सरहद क़ादिर, एक पूर्व कुर्दिश पेशमर्ग गुरिल्ला हैं जो कई साल सद्दाम हुसैन की सेना के लिए लड़ते और अपनी जान की बाज़ी लगाते रहे.

क़ादिर इराक़ की सेना में तब शामिल हुए थे जब इराक़ पर अमरीका के नेतृत्व में हमला किया गया था. संघर्ष और अशांति के उस दौर में सेना उनके नेतृत्व में बहादुरी से लड़ती रही.

बहादुरी और साहस की कीमत

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चरमपंथियों के लिए वे एक चुनौती बन गए. इसीलिए उनको बम, गोली और ज़हर की मदद से मारने के दर्जनों प्रयास किए गए.

पिछले साल किरकुक के एक पुलिस स्टेशन में उन पर आत्मघाती हमला हुआ. इस हमले में क़रीब 30 लोगों की मौत हो गई, मगर वे बाल-बाल बच गए.

चरमपंथियों का निशाना बन चुके सरहद क़ादिर के परिवार को उनकी बहादुरी और साहस की भारी क़ीमत चुकानी पड़ी. साल 2005 में विद्रोहियों ने उनके भाई की हत्या कर दी थी.

इसके विपरीत इराक़ी सेना के कुछ अधिकारी पिछले जून में नागरिक वेश में इराक़ के मोसूल शहर की ओर भाग गए.

इसका परिणाम ये हुआ कि इस्लामिक स्टेट ने बड़े आराम से शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया और वे किरकुक के आस पास के क़स्बों और गांवों की ओर भी बढ़ने लगे.

क़ादिर किरकुक में संघर्ष करते हुए कई तरह की भूमिका में सामने आए.

इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों पर गोला-बारूद से हमले करते समय उनकी भूमिका युद्ध कमांडर की होती है.

आलोचना

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पिछले साल पुलिस स्टेशन में जनरल कादिर पर आत्मघाती हमला हुआ था.

अरब के सुन्नी बहुल गांव में संदिग्ध विद्रोहियों को गिरफ़्तार करते वक़्त वे चरमपंथ विरोध अभियान पर होते हैं.

इस्लामिक स्टेट के लिए बिचौलिया का काम करने वाले शेख के साथ संवाद करते समय वो क़बायली नेता की भूमिका में होते हैं.

अपने आलोचकों के लिए क़ादिर सबसे पहले एक कुर्द हैं. एक ऐसी सेना की अगुआई करने वाला कुर्द जिसमें कुर्दिश समूह के लोग भारी संख्या में भर्ती किए गए.

सरहद क़ादिर पर कुर्दों के हितों के लिए काम करने के आरोप लगे. उन्होंने इसे सिरे से ख़ारिज किया है.

क़ादिर का कहना है कि वे किरकुक के सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए लड़ते हैं लेकिन विडंबना है कि उनकी ख़ुद की ज़िंदगी पर हमेशा तलवार लटकती रहती है.

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