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फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर में आखिरी टेस्ट की कहानी

नयी दिल्ली : क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर पर एक नयी किताब आयी है, जिसमें उनके आखिरी टेस्ट से जुड़े तमाम जज्बात और रोमांच को बयां किया गया है. इस किताब के लेखक पत्रकार दिलीप डिसूजा हैं. पुस्तक का नाम फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर है. पुस्तक में वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछले साल नवंबर […]

नयी दिल्ली : क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर पर एक नयी किताब आयी है, जिसमें उनके आखिरी टेस्ट से जुड़े तमाम जज्बात और रोमांच को बयां किया गया है. इस किताब के लेखक पत्रकार दिलीप डिसूजा हैं.

पुस्तक का नाम फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर है. पुस्तक में वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछले साल नवंबर में खेले गये तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट का वर्णन है. इसके अलावा मैदान के भीतर और बाहर के मसलों को भी इसमें उठाया गया है.

लेखक ने उन ढाई दिनों में उमड़े जज्बात के तूफान और भारतीय क्रिकेट के चहेते सपूत पर लोगों के प्यार की बौछार को लेखनीबद्ध किया है. उन्होंने लिखा , सचिन जब सीढि़यों से उतरकर मैदान की तरफ बढ़ते हैं तो लोगों की प्रतिक्रिया को शब्दों में बयां करना मुश्किल था.

हम सभी जानते थे कि यह पल बहुत बड़ा होगा लेकिन फिर भी मैंने इतने शोर की कल्पना नहीं की थी कि पूरा आकाश गुंजायमान हो जाये. उन्होंने कहा , यह देश के महान खिलाड़ी को किया जा रहा सजदा था. भारत ने वह मैच 126 रन से जीता था और तेंदुलकर ने 74 रन बनाये. लेखक ने कहा , क्या तेंदुलकर इस तरह से खेल को अलविदा कह सकते थे. आखिरी टेस्ट में उनके प्रशंसक मैदान पर उनकी एक आखिरी झलक पाने की होड में थे.

यदि वह ऐसी पारी नहीं खेलते तो सभी को निराशा होती. उन्होंने कहा , अपने आखिरी टेस्ट का स्थान और समय भले ही उन्होंने खुद चुना हो लेकिन किस तरीके से वह संन्यास लेंगे, यह उन्होंने तय नहीं किया था. अंजलि तेंदुलकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह इसकी आदी हो गयी है कि उसके पति पहले भारत के हैं, फिर उसके और परिवार के.

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