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केंद्र पर उपेक्षा का आरोप: नीतीश करेंगे संपर्क यात्रा

पटना: केंद्र सरकार की बिहार के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति और भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ जदयू 20 अक्तूबर को राज्यव्यापी धरना देगा. सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देकर पार्टी केंद्र सरकार द्वारा की गयी वादाखिलाफी को उजागर करेगी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार की यात्रा पर निकलेंगे. इस यात्रा का […]

पटना: केंद्र सरकार की बिहार के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति और भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ जदयू 20 अक्तूबर को राज्यव्यापी धरना देगा. सभी जिला मुख्यालयों पर धरना देकर पार्टी केंद्र सरकार द्वारा की गयी वादाखिलाफी को उजागर करेगी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार की यात्रा पर निकलेंगे. इस यात्रा का नाम दिया गया है ‘संपर्क यात्रा’. यात्रा कहां से आरंभ होगी, इसकी आधिकारिक घोषणा बाद में होगी. लेकिन, नीतीश कुमार की पहले की विकास यात्रा, सेवा यात्रा, न्याय यात्रा व धन्यवाद यात्रा के तर्ज पर ही यह यात्रा भी होगी. यह निर्णय गुरुवार को जदयू के जिला अध्यक्षों, प्रकोष्ठ अध्यक्षों, संगठन मंत्रियों, प्रवक्ताओं और राज्य पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया.

वादे भूल गये नरेंद्र मोदी : गुरुवार को नीतीश कुमार के आवास पर आयोजित बैठक में नीतीश कुमार ने पदाधिकारियों से कहा कि उन्होंने सभी जिलों के कार्यकर्ताओं के साथ अलग-अलग बैठकें की हैं, जो उपयोगी रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज व विशेष ध्यान देने की बात कही थी, लेकिन अब वे यह सब भूल गये. अब सिर्फ विदेशी निवेश लाने की कोशिश कर रहे हैं.

इसमें वे बिहार को हिस्सेदारी नहीं दे रहे हैं. लगता है कि उन्होंने यह मान लिया है कि बिहार देश का हिस्सा ही नहीं है. बिहार की इसी उपेक्षा को देखते हुए जदयू ने फिर से आंदोलन चलाने की तैयारी की है. 20 अक्तूबर को सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम महत्वपूर्ण है और राज्य के विकास से जुड़ा हुआ है. धरने की तैयारी के लिए पार्टी के उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और संगठन मंत्रियों को जिलों का जिम्मा सौंप दिया गया है. नीतीश कुमार ने कहा कि विशेष राज्य के दज्रे को लेकर जदयू पहले भी अभियान चला चुका है.

पटना व दिल्ली में अधिकार रैली और हस्ताक्षर अभियान चला कर विशेष राज्य के दज्रे के लिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था. इस पर केंद्र ने सहमति भी जतायी थी कि बिहार पिछड़े राज्यों में एक है, लेकिन केंद्र की कुछ नीतियों की वजह से विशेष दर्जा नहीं मिल सका था. नरेंद्र मोदी ने भी अपने चुनावी भाषणों में कहा था कि बिहार के साथ नाइंसाफी हुई है और उनके ऊपर बिहार का कर्ज है उसे वे लौटायेंगे, लेकिन केंद्र में जैसे ही उनकी सरकार बनी उनका रवैया ही बदल गया.

केंद्र पूर्वाग्रह से ग्रसित : वशिष्ठ
प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जदयू बिहार का विकास करना चाहता है और करेगा. पहले भी पौधारोपण, विशेष राज्य के दर्जे के लिए हस्ताक्षर अभियान व अधिकार रैली हो चुकी है, लेकिन केंद्र की नाइंसाफी कायम है और उसका रवैया पूर्वाग्रह से ग्रसित है.

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