बेंगलूर : भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस टेक्नोलाजीज के अंतिम संस्थापक सदस्य एस गोपालकृष्णन ने आप संगठन से विदाई ले ली है. कंपनी के स्थापना के 33 साल बाद गोपालकृष्णन एकमात्र संस्थापक सदस्य रह गये थे.
इस अवसर पर कंपनी के सह संस्थापक और भारतीय साफ्टवेयर सेवा उद्योग की नामी हस्ती एनआर नारायणमूर्ति ने कंपनी में दोबारा आने के अपने पिछले निर्णय का उन्हें कोई मलाल नहीं है. नारायणमूर्ति अब कंपनी से हट चुके हैं पर उनका दोबारा आने का निर्णय विवादास्पद रहा था. उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, मुझे कतई कोई मलाल नहीं है. जीवन में आप कुछ चीजे कर पाते हैं, कुछ नहीं कर पाते. अंत में देखा जाता है कि कुल मिला कर नतीजा क्या रहा… इस लिए मुझे कोई मलाल नहीं है.
इस अवसर पर नंदन नीलेकणि सहित कंपनी के उनके अन्य सह संस्थापक सहयोगी भी थे. वहीं इस अवसर पर गोपालकृष्णन ने कहा कि राजनीति उनके बस की बात नहीं है. नीलेकणि पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लडे थे पर कामयाब नहीं हुए.
नारायणमूर्ति की अगुवाई में सात लोगों ने 1981 में बेंगलूर में इस कंपनी का गठन किया था. मूर्ति सबसे ज्यादा यानी 21 साल तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रहे. बाद में उन्होंने नंदन नीलेकणि को यह बागडोर सौंप दी. उसके बाद गोपालकृष्णन और एस डी शिबूलाल भी कंपनी के सीईओ बने.
इन्फोसिस की स्थिति खराब होने के बाद मूर्ति पिछले साल जून में दूसरी बार कंपनी के चेयरमैन बने. उस समय इन्फोसिस अपनी समकक्ष कंपनियों टीसीएस व एचसीएल टेक्नोलाजीज से पिछड गई थी. बाद में कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारियों द्वारा लगातार इन्फोसिस से नाता तोडने के बीच मूर्ति ने बीच में ही चेयरमैन का पद छोड़ दिया. 14 जून को मूर्ति व गोपालकृष्णन ने कंपनी के चेयरमैन व कार्यकारी वाइस चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया. हालांकि, गैर कार्यकारी चेयरमैन और गैर कार्यकारी वाइस चेयरमैन के रुप में दोनों 10 अक्तूबर तक कंपनी के बोर्ड में बने रहे.
कंपनी में अपने कार्यकाल के दौरान उपलब्धि के बारे में पूछे जाने पर मूर्ति ने कहा कि यह मौका नास्डैक में कंपनी के सूचीबद्ध होने पर आया था. इन्फोसिस पहली कंपनी थी जिसे यह उपलब्धि हासिल हुई थी. मूर्ति 11 अक्तूबर से कंपनी के मानद चेयरमैन होंगे. कृस के नाम से प्रसिद्ध गोपालकृष्णन ने कहा कि वह राजनीति में नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा, कम से कम इस समय मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. मुझे नहीं लगता कि मैं राजनीति में जाउंगा. उनसे पूछा गया था कि क्या वह भी पूर्व सहयोगियों नीलेकणि व वी बालाकृष्णन की तरह राजनीति में जाएंगे.
उन्होंने कहा कि आगे चलकर वह दो क्षेत्रों अनुसंधान एवं उद्यमशीलता पर ध्यान केंद्रित करेंगे. इस साल अगस्त में इन्फोसिस ने सैप के पूर्व बोर्ड सदस्य विशाल सिक्का को अपना सीईओ व प्रबंध निदेशक नियुक्त किया था. उन्होंने शिबूलाल का स्थान लिया है. सिक्का सीईओ का पद संभालने वाले सह संस्थापकों के क्लब से बाहर के पहले व्यक्ति हैं.
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