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हांगकांग प्रदर्शन : प्रदर्शन पड़ा धीमा, काम पर लौटे सरकारी कर्मी

हांगकांग : हांगकांग में लोकतंत्र की मांग करे प्रदर्शनकारियों की लय धीमी होने के बीच आज से सरकारी कर्मी मुख्‍यालय में काम पर लौटने लगे हैं. प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन से यह क्षेत्र पिछले कई दिनों से बंद पड़ा था. प्रदर्शनकारियों को सरकार की ओर से जगह खाली करने के लिए समयसीमा दी गयी थी. इसके […]

हांगकांग : हांगकांग में लोकतंत्र की मांग करे प्रदर्शनकारियों की लय धीमी होने के बीच आज से सरकारी कर्मी मुख्‍यालय में काम पर लौटने लगे हैं. प्रदर्शनकारियों के प्रदर्शन से यह क्षेत्र पिछले कई दिनों से बंद पड़ा था. प्रदर्शनकारियों को सरकार की ओर से जगह खाली करने के लिए समयसीमा दी गयी थी. इसके कारण वहां प्रदर्शन धीमे पड़ने लगे हैं. सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की पेशकश भी की थी, जिसके तहत बातचीत के बाद कुठ पर सहमती बनीं और कुछ को लेकर प्रदर्शन जारी है.

हालांकि शहर के प्रमुख प्रदर्शन स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या में नाटकीय ढंग से कमी आयी है लेकिन कई लोगों ने कहा है कि वे स्वतंत्र चुनावों के लिए अभियान को दोबारा शुरु करने के लिए वापस लौटेंगे. भारी विरोध प्रदर्शनों के चलते सडकें बाधित हो जाने पर सरकार को शुक्रवार को अपने मुख्यालय बंद करने के लिए विवश होना पडा था. इसकी वजह से तीन हजार सरकारी कर्मियों को घर पर ही रहना पडा था.

हांगकांग में परेशानियों से घिरे नेता लेउंग चुन-यिंग ने दफ्तरों को आज खोले जाने के लिए जोर डाला था और चेतावनी दी थी कि ‘वह सामाजिक व्यवस्था बहाल करने के लिए हर जरुरी कार्रवाई करेंगे.’ पुलिस द्वारा एक सप्ताह पहले भीड पर आंसू गैस छोडे जाने के वीभत्स दृश्य दोहराए जाने के डर से कई लोग तो इस प्रदर्शन से अलग हो गए, जबकि पूरी तरह से समर्पित लगभग एक हजार लोग जुटे रहे और रातभर जागते रहे.

जैसे ही सुबह हुई, प्रदर्शनकारियों ने परिसर के प्रवेश द्वार को अवरोधकों की मदद से आंशिक रुप से बंद रखा लेकिन कर्मचारियों के निकलने के लिए एक छोटा सा रास्ता खुला भी छोड दिया. एक महिला कर्मी ने कहा, मैं खुश हूं कि प्रदर्शनकारियों ने आज अवरोध खोल दिए. मुझे काम करना है. प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा है कि ऐसा नहीं है कि एक सप्ताह लंबे गतिरोध के बाद उनका अभियान अपनी शक्ति खो रहा है.

सडक पर दोस्तों के साथ हल्की झपकी लेने के बाद उठे 20 वर्षीय छात्र जरकिन वोंग ने कहा, हम यहां तब तक बैठे रहेंगे, जब तक सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल जाती. हमें यहां रहना ही होगा. यह हमारे भविष्य के लिए है. सरकारी कार्यालयों में आज दो विधायी बैठकें रद्द हो गईं लेकिन एक सरकारी प्रवक्ता इसके बारे में तुरंत कोई वजह नहीं बता सकीं.

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