एक गेंदबाज़ पूरी रफ्तार से दौड़ रहा है. बल्लेबाज़ शॉट के लिए मैदान में गैप्स तलाश रहा है और शॉर्ट लेग पर फ़ील्डर कैच लपकने के लिए खड़ा है.
ये नज़ारा उत्तरी लंदन में खेले जा रहे एक टी-20 क्रिकेट मैच का है. तो इसमें क्या ख़ास बात है?
ख़ास ये है कि मैदान पर फेंकी जा रही गेंद एक छोटे आकार के फ़ुटबॉल जैसी है और विकेट सामान्य से बड़े हैं.
फ़ील्डर को गेंद के एक बार टप्पा खा जाने के बावजूद कैच लपकने की छूट है.
और सभी खिलाड़ी नेत्रहीन हैं.
अथर अहमद की रिपोर्ट
हसन ख़ान की आँखों की रोशनी तीन साल की उम्र में ही चली गई थी. किसी जेनेटिक कमज़ोरी ने उनकी आँखों की रोशनी आहिस्ता-आहिस्ता छीन ली थी.
क्रिकेट दोस्त
लेकिन उन्होंने अपने आपको संभाला और अपने क्रिकेट के शौक़ को अंजाम तक पहुंचाने का फ़ैसला किया.
उन्होंने स्कूली स्तर पर क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया और फिर प्रतिभाएं तलाशने वाले एक संगठन की उन पर नज़र गई.
हसन कहते हैं, "अंधेपन की वजह से मुझे ये लगता था कि मेरे होने का कोई मतलब नहीं है लेकिन क्रिकेट ने एक दोस्त की तरह मेरी मुश्किलों से मुझे उबारने में सहारा दिया. क्रिकेट के कारण ही मैं अपनी आंखों के बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचता."
27 साल के हसन ऐसे पहले एशियाई खिलाड़ी हैं जो इंग्लैंड की नेत्रहीन क्रिकेट टीम में शामिल किए गए हैं.
उनकी टीम अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में होने वाले नेत्रहीन क्रिकेट विश्वकप में भाग लेने जा रही है.
घरेलू लीग
हसन कहते हैं, "क्रिकेट ने मुझे खेल से कहीं ज्यादा दिया है. इसने मुझे आज़ादी दी है. मेट्रो स्टेशन जाने जैसे रोज़मर्रा के काम करते वक्त भी मैं पहले बहुत डरा डरा रहता था लेकिन अब मैं अकेले सफर करता हूं."
हसन उन तीन सौ में से हैं जो घरेलू क्रिकेट प्रतिस्पर्द्धाओं के लिए खेलते हैं. ब्रिटेन में फिलहाल ऐसे 17 क्लब हैं जो नेत्रहीन क्रिकेट से जुड़े हुए हैं.
जागरूकता
खेलों का आयोजन करने वाली संस्था का मानना है कि निचले स्तर पर नेत्रहीन क्रिकेट के प्रति जागरूकता और इसके साथ ही उनकी भलाई के लिए काम करने से राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी है.
‘ब्लाइंड क्रिकेट इंग्लैंड एंड वेल्स’ के डेवलपमेंट डायरेक्टर जॉन गार्बेट कहते हैं, "कई लोग हैरत के साथ कहते हैं, नेत्रहीन क्रिकेट, आपको भरोसा है? लेकिन वो देखते हैं कि इसके कायदे भी रेगुलर क्रिकेट की तरह ही हैं. बल्लेबाजी भी वही है और गेंदबाज़ी भी."
दक्षिण एशियाई
इंग्लैंड में नेत्रहीन क्रिकेट की घरेलू प्रतिस्पर्द्धाओं के लिए खेलने वाले खिलाड़ियां का पांचवां हिस्सा दक्षिण एशियाई मूल का है.
हालांकि नेत्रहीन क्रिकेट के अंतरराष्ट्रीय संस्करण के नियम कुछ अलग हैं.
गेंद में स्टील के छल्ले लगे होते हैं ताकि बल्लेबाज़ और फील्डर इसे सुन सकें.
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