गांधी मैदान हादसे में घायल मरीजों को देखने पहुंचे थे मुख्यमंत्री मरीजों की शिकायत पर किया इमरजेंसी व आरएसबी का निरीक्षण उपाधीक्षक व प्राचार्य छोड़ सभी विभागों के अध्यक्ष व सीनियर डॉक्टर नदारद
पटना: गांधी मैदान भगदड़ में घायल लोगों को देखने रविवार की शाम सात बजे मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, प्रधान सचिव दीपक कुमार समेत अन्य अधिकारी पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले इमरजेंसी में भगदड़ में घायल तन्नू कुमारी से पूछा कि डॉक्टर साहब देखने आते हैं, दवा मिलती है, खाना मिलता है. बच्ची ने कहा, डॉक्टर साहब नहीं आते हैं.
इतना सुनने के बाद तुरंत मुख्यमंत्री ने अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद को खोजा,लेकिन अधीक्षक इमरजेंसी में नहीं थे. उसके बाद उन्हें फोन लगाया गया, लेकिन वह सीएम के रहते अस्पताल नहीं पहुंच पाये. इसके बाद उपाधीक्षक डॉ सुधांशु सिंह व प्राचार्य डॉ एसएन सिन्हा को तलब किया गया. पूछा डॉक्टर साहब बच्ची को देखने क्यों नहीं आते हैं. बच्ची को कौन डॉक्टर देख रहे हैं.
तभी एक जूनियर को आगे किया गया. इसके बाद डॉक्टर साहब को सीएम की फटकार लगी. इसके बाद इमरजेंसी में भरती अन्य दो मरीजों से पूछा कि दवा मिलती है,तो उसने कहा कि नहीं डॉक्टर भी नहीं आते हैं और दवा भी नहीं मिलती है. इसके बाद वह आइसीयू में भरती लोगों से मिलने पहुंचे, जहां मरीजों ने सब कुछ ठीक कहा. इमरजेंसी में मरीजों के बेड पर चादर नहीं था. उपाधीक्षक से पूछा गया,लेकिन उनके पास कोई जवाब नहीं था. इसके बाद जब सीएम बाहर निकले लगे, तो एक अपंग व्यक्ति उनके सामने आ कर रोने लगा. उसने कहा कि हम गांधी मैदान में घायल हुए हैं और डॉक्टर साहब हमें भरती नहीं ले रहे हैं. सीएम ने डीएम साहब को बुलाया और पूछा कि क्या मामला है इसे भरती क्यों नहीं ले रहे हैं. इसके बाद उसका नाम लिखा गया.
सर, बाथरूम में पानी नहीं आता
सीएम के बाहर निकलने के पहले एक मरीज के परिजन ने कहा कि सर बाथरूम में पानी नहीं आता है और कोई हमारी बात नहीं सुनता है. सीएम दोबारा इमरजेंसी में लौटे और बाथरूम चले गये, जहां सही में पानी नहीं था. इसके बाद दूसरे बाथरूम गये,जो बहुत गंदा था. इसके बाद तीसरे बाथरूम गये, जहां ताला लगा हुआ था. इसके बाद प्राचार्य को बुला सीएम ने कहा कि आप लोग प्राचार्य व अधीक्षक हैं और मरीज जानवर. सबको ठीक करे देंगे किसी को नहीं छोड़ेंगे.
बाहर से मंगायी जाती है दवा. इतना कहने के बाद सीएम इमरजेंसी से बाहर निकले और गाड़ी में बैठने लगे. इतने में मरीज के परिजनों ने कहा सर थोड़ा हमारे वार्ड को भी देख लें. इसके बाद बाद सीएम आरएसबी की तरफ बढ़े और उनके पीछे भीड़. आरएसबी में सबसे नीचे भरती मरीजों से मिले , जिसके बाहर इएफ वार्ड लिखा था. वार्ड में घुसते ही मरीजों से दवा,डॉक्टर व खाने के बारे में पूछा. एक भी मरीज ने यह नहीं कहा कि यहां सब ठीक है, इसके बाद दोबारा से प्राचार्य व उपाधीक्षक को बुलाया और कहा कि मरीजों को दवा बाहर से क्यों लाने कहा जाता है. दवा आपलोग नहीं देते हैं. इसके बाद वार्ड में आगे पहुंचे, तो एक मरीज ने शिकायत की हमारे मरीज की ड्रेसिंग नहीं होती है. इसी बीच एक व्यक्ति ने शिकायत की कि नर्स नहीं आती है. नर्स को हटाने के लिए कहा गया.
ड्रेसिंग के लिए मांगते हैं पैसे
यूरोलॉजी यूनिट में भी मरीजों ने दवा नहीं मिलने की शिकायत सीएम से की. तभी एक मरीज का परिजन रोने लगा और कहा हम गरीब हैं और दवा नहीं मिलती है. जो पैसा लाये थे वह खत्म हो गया. तभी सिस्टर को बुलाया गया. एक सिस्टर आयी,तो प्रधान सचिव ने पूछा दवा क्यों नहीं मिलती है. सिस्टर ने कहा जो दवा पीएमसीएच में रहती है वह दी जाती है. इसके बाद प्रधान सचिव भी नाराज हो गये. सीएम ऑर्थो के टीबी ट्रैक्शन वार्ड पहुंचे, जहां मरीजों ने डॉक्टरों के नहीं आने की बात कहीं. उपाधीक्षक को सीएम ने कहा कि कौन डॉक्टर इलाज कर रहे हैं. उनका नाम नोट करें. इसके बाद वार्ड पहुंचे,जहां मरीजों ने ड्रेसिंग के लिए पैसे मांगने की बात कही. उसके बाद सीएम नाराज हो गये और कहा कि यह कैसी व्यवस्था है. क्या मरीज आदमी नहीं हैं? हम किसी को नहीं छोड़ेंगे. इतना कहने के बाद सीएम आरएसबी से बाहर निकलने लगे और कहा कि सभी लोगों पर कार्रवाई होगी. फैसला सोमवार को होगा. इसके बाद वह पीएमसीएच से निकल गये. सीएम के जाने के बाद अधीक्षक समेत कुछ चिकित्सक पहुंचे और कंट्रोल रूम में बैठ गये.