नयी दिल्ली : पटना के गांधी मैदान में रावण दहन के मौके पर एक अफवाह के बाद भगदड़ मच गयी. इस भगदड़ में 32 लोगों ने अपनी जान गवां दी. घायलों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. लोगों का इलाज पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में किया जा रहा है.
हादसे के बाद से बिहार सरकार सवालों के घेरे में है. बिहार इस वर्ष कई हादसों का गवाह बना. लोकसभा चुनाव के दौरान इसी गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली में जोरदार बम धमाका किया गया. आतंकी हमले में कई लोगों ने अपनी जान गवा दी. पिछले साल छठ के मौके पर लकड़ी की पुल टूट जाने से कई लोगों की मौत पानी में डूब जाने से हुई.
इन सभी हादसों के बाद बिहार सरकार के साथ-साथ प्रशासन सवालों के घेरे में है. बिहार की मुख्य विपक्षी दलों ने बिहार सरकार और प्रशासन पर इन हादसों के लिए जिम्मेदार ठहराया है. आइये जानते हैं इस हादसे के पीछे कौन से कारण हैं जिम्मेदार
* प्रशासन की उदासीनता
गांधी मैदान में प्रति वर्ष दशहरे के मौके पर रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है. इस मौके पर लाखों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए आते हैं. प्रशासन को इसके लिए पहले से तैयारी करनी चाहिए थी. भीड़ को मद्देनजर रखते हुए अगर पहले से उचित व्यवस्था की जाती तो हादसा से बचा जा सकता था. लोगों के अनुसार प्रशासन की उदासीनता के कारण यह हादसा हुआ.
* केवल एक ही निकासी द्वार की व्यवस्था
सूत्रों के हवाले से खबर है कि गांधी मैदान में रावण दहन के मौके पर केवल एक ही द्वार का व्यवस्था किया था. इसी द्वार से लोगों को आने-जाने दिया जा रहा था. भगदड़ के बाद लोगों को बाहर निकलने के लिए रास्ता नहीं मिल पा रहा था. जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया.
* सड़कों में प्रकाश की कमी
पटना हादसे ने एक बार फिर से बिहार सरकार और प्रशासन की पोल खोल दी है. हादसे के पीछे केवल प्रशासन को दोषी ठहराया जा रहा है. बताया जा रहा है कि भगदड़ के दौरान लोगों को सड़कों पर कुछ दिख नहीं रहा था कि वे कहां जाएं और कहां नहीं. कारण कि सड़कों पर लाइट का उचित प्रबंध नहीं किया था.
* अफवाह के कारण हुआ हादसा
पटना में हुए भीषण भगदड़ के बाद 34 लोगों की मौत हो गयी. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि किसी व्यक्ति ने हल्ल किया कि बिजली का तार गिर गया है. इसके बाद से लोगों ने अपने को बचाने के लिए भागना शुरू कर दिया और इसके बाद भगदड़ मच गया.