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मोदी और ओबामा का संयुक्त बयान: अधिकारी WTO पर तत्काल बातचीत शुरू करें

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने अपने अधिकारियों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अन्य सदस्यों के साथ तत्काल बातचीत शुरू करने के लिए कहा है ताकि आपसी गतिरोध दूर हो सके. डब्ल्यूटीओ की बैठक में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत के कडा रुख अपनाने के कारण गतिरोध उत्पन्न हो गया है. भारत ने डब्ल्यूटीओ […]

वाशिंगटन: भारत और अमेरिका ने अपने अधिकारियों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अन्य सदस्यों के साथ तत्काल बातचीत शुरू करने के लिए कहा है ताकि आपसी गतिरोध दूर हो सके.

डब्ल्यूटीओ की बैठक में खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर भारत के कडा रुख अपनाने के कारण गतिरोध उत्पन्न हो गया है.
भारत ने डब्ल्यूटीओ के तहत व्यापार सरलीकरण समझौते (टीएफए) का अनुमोदन करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया है कि इसके साथ साथ खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का भी स्थायी समाधान निकाला जाए.
जिससे भारत जैसे देशों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की सरकारी खरीद और गरीबों के लिए सस्ती दरों पर अनाज सुलभ कराने के कार्यक्रमों को डब्ल्यूटीओ में चुनौती न दी जा सके. टीएफए समझौते को स्वीकार करने के लिए विकसित देश भारत पर दबाव बनाये हुए हैं जबकि भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे के समाधान पर अड़ा है.
मोदी ओबामा शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि दोनों नेताओं ने डब्ल्यूटीओ में वर्तमान गतिरोध और बहुस्तरीय कारोबारी प्रणाली पर इसके प्रभावों से जुडी चिंताओं के बारे में चर्चा की और अपने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अगले कदम के संदर्भ में डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों से अविलंब विचार विमर्श करें.
भारत ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न की खरीदारी करने और उसे गरीबों को सस्ते दाम पर बेचने के मामले में डब्ल्यूटीओ से कृषि सब्सिडी की गणना के तौर तरीकों में संशोधन करने को कहा है.
डब्ल्यूटीओ के मौजूदा नियमों में खाद्य सब्सिडी को किसी देश के खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य का 10 प्रतिशत पर सीमित किया गया है. सब्सिडी की गणना के लिए दो दशक पहले के अंतराष्ट्रीय मूल्यों के आधार बनाया गया है.
ऐसी आशंका है कि जैसे ही भारत अपने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को पूरी तरह लागू करेगा, देश की खाद्य सब्सिडी का आंकडा डब्ल्यूटीओ द्वारा निर्धारित 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक हो जायेगा.
डब्ल्यूटीओ के दस्तावेज के अनुसार, भारत 56 अरब डालर की कृषि सब्सिडी प्रदान करता है जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाली सब्सिडी केवल 13.8 अरब डालर है जो चावल और गेहूं समेत 23 उत्पादों से जुडी है.
धान के मामले में भारत सरकार की ओर से 2010.11 में प्रदान की गई सब्सिडी उत्पादों के मूल्य के संदर्भ में कुल उत्पादन का केवल 6 प्रतिशत था जबकि गेहूं के संदर्भ में उल्टे किसान ही एक प्रतिशत सब्सिडी दे रहे थे.

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