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स्मार्ट सिटी में बहुत कुछ होगा स्मार्ट

केंद्र सरकार देश में 100 नये-पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक इन शहरों में सार्वजनिक परिवहन, बिजली-पानी सप्लाई आदि की स्मार्ट व्यवस्था होगी. स्मार्ट सिटीज में प्रयोग में लायी जानेवाली टेक्नोलॉजी, ट्रैफिक मैनेजमेंट, लाइटिंग सिस्टम, सिक्योरिटी एंड सर्विलांस सिस्टम, मैन पावर मैनेजमेंट, फायरप्रूफ अलार्म सिस्टम, स्मार्ट स्ट्रीट […]

केंद्र सरकार देश में 100 नये-पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की तैयारी कर रही है. जानकारी के मुताबिक इन शहरों में सार्वजनिक परिवहन, बिजली-पानी सप्लाई आदि की स्मार्ट व्यवस्था होगी. स्मार्ट सिटीज में प्रयोग में लायी जानेवाली टेक्नोलॉजी, ट्रैफिक मैनेजमेंट, लाइटिंग सिस्टम, सिक्योरिटी एंड सर्विलांस सिस्टम, मैन पावर मैनेजमेंट, फायरप्रूफ अलार्म सिस्टम, स्मार्ट स्ट्रीट लाइट आदि के बारे में जानकारी दे रहा है नॉलेज..
नयी दिल्ली : केंद्र सरकार देश के विभिन्न इलाकों में 100 नये-पुराने शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना पर काम कर रही है. इसकी जिम्मेवारी शहरी विकास मंत्रालय को सौंपी गयी है.
मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इन शहरों में 24 घंटे बिजली और पानी मुहैया कराने के अलावा ऐसा ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाया जायेगा, जिसके माध्यम से यहां रहनेवाले लोग पूरे शहर में कहीं भी 30 से 45 मिनट के भीतर पहुंच सकें. इस तरह के इंतजाम भी किये जायेंगे, ताकि प्रत्येक घर से सार्वजनिक परिवहन की पहुंच वॉकिंग डिस्टेंस (ज्यादा से ज्यादा 800 मीटर) पर हो. हर सिटी में हाइटेक हेल्थ सर्विस, स्कूल और हायर स्टडी सेंटर का भी इंतजाम किया जायेगा.
सरकार का कहना है कि स्मार्ट सिटी में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए ऊर्जा, जल, कूड़ा प्रबंधन, सीवरेज, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट, साइबर कनेक्शन, कनेक्टिविटी (रेल, हवाई और रोड), आवासीय व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही आदि के मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए.
स्मार्ट शहरों में क्या होगा स्मार्ट
शायद आपने अपना ‘आधार कार्ड’ बनवाया होगा. उस दौरान आपकी सभी अंगुलियों और आंखों की पुतलियों का बायोमेट्रिक पिंट्र लिया गया होगा. बायोमेट्रिक पिंट्र से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है. स्मार्ट सिटीज में सुरक्षा के लिए इस प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जायेगा.
न्यूज स्क्रॉल डॉट इन की एक रिपोर्ट में जानकारी दी गयी है कि स्मार्ट शहरों में इलेक्ट्रिसिटी, गैस, पानी, यातायात और अन्य उपभोक्ता आंकड़ों को सेंसरों के माध्यम से एकत्रित किया जायेगा और निरंतर उनकी निगरानी की जायेगी, ताकि सभी चीजों को ठीक से मैनेज किया जा सके. सभी आंकड़ों को कंप्यूटर में दर्ज करते हुए ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बनाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि शहर में इन सुविधाओं को मुहैया करानेवाले प्राधिकरणों को संबंधित रीयल-टाइम सूचना मिलती है और उन्हें सही तरीके से संचालित करने में यानी चीजों की मांग और आपूर्ति के बीच का संतुलन बनाये रखने में आसानी होती है. जैसे बिजली की मांग की रीयल टाइम सूचना से ग्रिड से बिजली को जरूरी क्षेत्रों में भेजा जा सकता है. इसी तरह से सार्वजनिक परिवहन के सिगनलों को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
स्मार्ट तकनीक की एक बानगी
दिल्ली मेट्रो में पिछले दिनों यात्रा के दौरान एक यात्राी ने मेट्रो स्टेशन पर सामान की जांच करनेवाली मशीन (स्कैनर) में डेढ़ लाख रुपये से भरा अपना बैग रखा, लेकिन दूसरी ओर से कोई अन्य व्यक्ति उस बैग को लेकर गायब हो गया. पुलिस को सूचना देने पर मामले की त्वरित जांच की गयी और सीसीटीवी फुटेज से एक व्यक्ति को बैग उठाते देखा गया. इतने में वह व्यक्ति बैग के साथ मेट्रो ट्रेन में सवार हो चुका था. चलती ट्रेन को तुरंत रुकवाया गया और रुपये भरे बैग समेत उस व्यक्ति को पकड़ लिया गया. दरअसल, इस खबर को बताने का मकसद था कि आधुनिक तकनीक की मदद से अपराधी को न केवल पकड़ा जा सकता, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि उसे तत्काल पकड़ा जा सकता है.
सार्वजनिक परिवहन प्रणाली
स्मार्ट सिटी में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था बेहतर होगी. कहा जा रहा है कि यह इंतजाम कुछ इस तरह का होगा कि आधे घंटे से 45 मिनट में एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंचा जा सके. ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि हर घर से 800 मीटर के दायरे में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध हो सके. मेट्रो और मास रैपिड सिस्टम जैसे यातायात के साधनों पर जोर दिया जा सकता है. इसके अलावा, फुटपाथ की चौड़ाई कम से कम दो मीटर हो. साइकिल लेन बने.
ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम
स्मार्ट शहरों में यातायात का संचालन सुव्यवस्थित तरीके से किया जायेगा. इसके लिए जीपीएस या इससे भी आधुनिक तकनीक आधारित प्रणालियों की मदद ली जा सकती है, ताकि यातायात सुचारु तरीके से संचालित हो और दुर्घटना की संभावना को कम से कम किया जा सके. विशेषज्ञों का मानना है कि एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली को पूरे शहर में लागू किया जा सकता है. वहीं मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी इसका विकल्प हो सकता है. इन प्रणालियों की मदद से पूरे शहर के यातायात पर निगरानी रखी जा सकती है और किसी भी समय किसी वाहन को रोका जा सकता है.
स्मार्ट लाइटिंग सिस्टम
इन शहरों में एलक्ष्डी उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा सकता है, क्योंकि ये उत्पाद घरों और स्ट्रीट लाइट के लिए टिकाऊ व ऊर्जा की कम खपत करनेवाले हैं. एलक्ष्डी उत्पाद स्मार्ट शहरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सटीक उत्पाद हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्ट शहरों को स्मार्ट तरीके से आपस में जोड़ा जायेगा. ये शहर आंकड़ों के एकीकरण के गवाह बनेंगे और पारंपरिक लाइटिंग सिस्टम के जरिये ऐसा नहीं किया जा सकता है. ऐसे में यदि स्मार्ट शहर विकसित किये जायेंगे, तो निश्चित रूप से एलक्ष्डी लाइटिंग की इसमें अहम भूमिका होगी. ऊर्जा बचाने के लिए भी यह तकनीक लाजवाब होगी.
ड्रोन से सुरक्षा और सेंसर आधारित बाड़
मेजर हिम्मत मेहता
(स्लिंगशॉट सिक्योरिटी सॉल्यूशंस के भारत में कंट्री हेड)
स्मा र्ट सिटी की कोई तय परिभाषा नहीं है. यह एक ऐसा शब्द है, जिसका व्यापक अर्थ है. पर्यावरण या पारिस्थितिकी के अनुकूल, आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित, पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया ऐसा शहर, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए क्षमता में बढ़ोतरी की गुंजाइश हो, स्मार्ट सिटी कहलाने के योग्य है.
स्मार्ट सिटी में सभी चीजें व्यवस्थित होती हैं- चाहे वह आवासीय क्षेत्र हो या फिर औद्योगिक परिसर. इन शहरों में स्मार्ट सेंसरों के माध्यम से तमाम आंकड़े एकत्रित किये जाने चाहिए, ताकि किसी प्रकार के विपरीत हालात पैदा होने की दशा में उस पर नियंत्रण के लिए इन आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए त्वरित कार्रवाई की जा सके.
शुरू से ही निगरानी के दायरे में
माना जा रहा है कि स्मार्ट सिटी में प्रवेश करते ही कोई व्यक्ति उस शहर में लगे हुए तमाम कैमरों की निगरानी के दायरे में आ जायेगा, जो एक खास सर्वर से जुड़े होंगे. यदि वह व्यक्ति किसी अनधिकृत इलाके में प्रवेश करेगा, तो तत्काल उसका पता लगाया जा सकता है. यदि वह व्यक्ति कहीं छुप जायेगा, तो उसे ड्रोन की मदद से खोजा जा सकता है. शहर के अनेक इलाकों में ड्रोन का संचालन किया जा सकता है, ताकि आपात स्थिति में उनकी सेवाएं ली जा सकें. स्मार्ट सिटी बनाते समय यदि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर को सही तरीके से तैयार करेगी, तो किसी अपराधी को अपराध करने से पहले ही पकड़ा जा सकता है. जैसे यदि कोई व्यक्ति किसी मेडिकल स्टोर से मीथेन या इस तरह के घातक तत्वों की खरीदारी करता है, जिससे विस्फोटक भी बनाये जाते हैं, तो ऐसे व्यक्ति को तत्काल निगरानी के दायरे में रखा जा सकता है.
बेहतर सुरक्षा घेरा
स्मार्ट सिटी के चारों ओर सेंसर आधारित और सेंट्रली कनेक्टेड बाड़ लगायी जा सकती है. इसका बड़ा फायदा यह होगा कि किसी भी प्रकार की अवैध घुसपैठ की दशा में तुरंत उसके बारे में पता लगाया जा सकता है. इस तकनीक को इंस्टॉल कराने से उस स्थान तक गये बिना यह पता लगाया जा सकता है कि घुसपैठ कहां से की जा रही और अतिक्रमण करने वाली चीज क्या है. कोई जानवर घुस रहा है या घुसपैठ करने वाला किसी उपकरण का इस्तेमाल कर रहा है. इस तकनीक से बड़ा फायदा यह होगा कि इससे जुड़े सभी सॉफ्टवेयर में अलार्म लगे होंगे, जो शहरभर में सुरक्षा से जुड़ी सभी एजेंसियों को तत्काल इसकी सूचना दे पायेंगे.
सर्विलांस का व्यापक दायरा
सर्विलांस का अर्थ होता है- नियमित निगरानी के दायरे में होना. स्मार्ट सिटी की सभी चीजें नियमित निगरानी के दायरे में होंगी. कोई खास व्यक्ति या खास वहान किस समय कहां मौजूद है, इसके बारे में तत्काल पता लगाया जा सकता है. इन शहरों से किसी व्यक्ति का अपहरण करना आसान नहीं होगा. चूंकि बाहर निकलने के सभी रास्तों पर निगरानी के इंतजाम होंगे, इसलिए अपहरण करने के बाद कोई अपहर्ता किसी व्यक्ति को शहर से बाहर नहीं ले जा पायेगा. और शहर के भीतर किसी व्यक्ति को खोज निकालना मुश्किल नहीं होगा.
ऑटोमेटिक स्ट्रीट लाइट संचालन
आप देखते होंगे कि अक्सर कई स्थानों पर दिन में स्ट्रीट लाइट जलती रहती है. उस लाइट को बंद करने की पर्याप्त व्यवस्था न होने या किसी खराबी की वजह से ऐसा होता है. स्मार्ट सिटी में स्ट्रीट लाइट जलाने के लिए स्विच का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. इसके लिए खास सॉफ्टवेयर लगाये जायेंगे, जो अंधेरा होते ही स्ट्रीट लाइट्स को ऑन कर देंगे और सवेरे उसे ऑफ कर देंगे.
(बातचीत पर आधारित)
सुरक्षा और यातायात अहम
कमलेश कोठारी त्न डायरेक्टर, इएसएसएल
केंद्र सरकार अपनी ओर से भले ही जिस तरह के इंतजाम करे, लेकिन आज स्मार्ट सिटी की बसावट में तकनीक काफी आगे पहुंच चुकी है. ऐसी-ऐसी तकनीकों का इजाद हो चुका है कि उन्हें इंस्टॉल करते हुए वाकई में किसी शहर को स्मार्ट बनाया जा सकता है. मौजूदा दौर में देश-दुनिया में अनेक ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं, जो इन स्मार्ट शहरों को बिलकुल अलग बना सकती हैं. नये सिरे से बसाये जाने वाले इन शहरों में सुरक्षा और यातायात सबसे अहम हैं. खासकर सुरक्षा के मामले में आज हम तकनीकी रूप से इतने सक्षम हो चुके हैं कि किसी खास शहर में किसी व्यक्ति को आसानी से ट्रैक कर सकते हैं. इससे जहां एक ओर अपराध में कमी आयेगी, वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था को भी तेजी से गति मिलेगी. किस तरह की तकनीक आज हमारे पास मौजूद है, जानते हैं उनमें से कुछ अहम तकनीकों के बारे में :
मैन पावर मैनेजमेंट
स्मार्ट शहरों में ‘मैन पावर मैनेजमेंट’ की अहम भूमिका हो सकती है. मैन पावर मैनेजमेंट का तात्पर्य उस तकनीक से है, जिसके तहत किसी खास शहर में रहने वाले सभी लोगों का डाटाबेस तैयार किया जायेगा और शहर से बाहर जाने या फिर वापस शहर में आने की दशा में संबंधित तमाम सूचना दर्ज की जायेगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि शहर में अवांछित या असामाजिक तत्वों की घुसपैठ को रोका जा सकेगा. यदि किसी व्यक्ति को उस शहर में आने की मंजूरी नहीं है, तो उसे शहर की सीमा पर ही रोक लिया जायेगा और उसे अंदर नहीं आने दिया जायेगा. इतना ही नहीं, आवासीय परिसरों में भी इस तरह के इंतजाम किये जायेंगे, ताकि किसी भी व्यक्ति का अनाधिकृत प्रवेश बाधित किया जा सके. इसकेलिए या तो सभी व्यक्तियों का बायोमेट्रिक डाटाबेस तैयार किया जायेगा या फिर चेहरा आधारित डाटा तैयार किया जायेगा.
घरों की सुरक्षा
स्मार्ट सिटी में घरों यानी आवास की सुरक्षा बेहद अहम है. इस तरह के शहर में बहुमंजिला मकान बनाये जायेंगे. इनमें आने-जाने के लिए लिफ्ट लगे होंगे. लिफ्ट से कोई व्यक्ति केवल अपने आवास वाले मंजिल पर ही उतर या चढ़ सकता है. यदि वह किसी अन्य मंजिल पर चढ़ना या उतरना चाहेगा तो इसके लिए उसे अलग से मंजूरी लेनी होगी. सभी लिफ्ट में व्यक्तियों को पहचानने की तकनीक लगी होगी और उसमें यह भी दर्ज होगा कि किस व्यक्ति को किस मंजिल तक आने-जाने की मंजूरी है.
जरूरी सेवाओं के ग्रिड
बिजली से लेकर पानी, स्वास्थ्य सेवाओं और फायर ब्रिगेड के लिए ग्रिड का निर्माण किया जा सकता है. इससे इस बात की जानकारी आसानी मिलती रहेगी कि किस इलाके में इनमें से किस चीज की कमी है यानी आपूर्ति से उसकी मांग ज्यादा हो गयी है और किस इलाके में आपूर्ति ज्यादा है और मांग फिलहाल कम है. ऐसे में ज्यादा मांग वाले इलाके में तत्काल आपूर्ति बढ़ायी जा सकती है. साथ ही, इससे इनकी निगरानी में भी मदद मिलेगी.
वाहनों की ट्रैकिंग आसान
किसी भी वाहन के बारे में तत्काल यह जाना जा सकता है कि उसकी रीयल टाइम पोजिशन क्या है, यानी किसी खास समय में वह कहां है और किन-किन इलाकों से गुजरा है. इसके लिए जीपीएस सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे वाहनों की चोरी पर लगाम लगायी जा सकती है. जीपीएस सिस्टम के तहत तत्काल यह पता लग जायेगा कि कोई खास वाहन कहां है. इतना ही नहीं, ऐसे सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं, जिनके इस्तेमाल से उस वाहन का संचालन भी दूर से ही बंद किया जा सकता है. अनावश्यक वाहनों को शहर में आने से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है.
फायरप्रूफ अलार्म सिस्टम
स्मार्ट सिटी में सभी भवनों में फायरप्रूफ अलार्म सिस्टम लगाये जा सकते हैं. इस अलार्म सिस्टम को फायर ब्रिगेड के नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है, ताकि आग लगने की दशा में तुरंत फायर ब्रिगेड को उसकी जानकारी मिले और यह भी कि किस स्थान पर आग लगी है. इसके लिए सभी भवनों को फायर ब्रिगेड द्वारा निर्मित ग्रिड से जोड़ा जा सकता है. इससे उस जगह को खोजने में उन्हें दिक्कत नहीं होगी और तत्काल आग पर काबू पाया जा सकता है.
सीसीटीवी कैमरे
पूरे स्मार्ट सिटी को सीसीटीवी कैमरे के दायरे में रखा जा सकता है और यह मुमकिन भी हो सकता है. सभी भवनों, चौराहों, सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक परिवहन के साधनों में इसका इस्तेमाल करते हुए प्रत्येक स्थान को निगरानी के दायरे में रखा जा सकता है.
(बातचीत : कन्हैया झा)

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