वाशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी पहली शिखर स्तरीय बैठक में भारत, अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को ‘नये स्तर’ पर ले जाने, असैन्य परमाणु करार को लागू करने में आ रही बाधाओं को दूर करने तथा आतंकवाद से लड़ने में परस्पर सहयोग करने की प्रतिबद्धता जतायी. दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे चली बातचीत में आर्थिक सहयोग, व्यापार और निवेश सहित व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई.
मोदी ने अमेरिका में भारतीय सेवा क्षेत्र की पहुंच को सुगम बनाने की मांग की. दोनों देशों के बीच अपने रक्षा सहयोग को 10 वर्ष और बढ़ाने पर सहमति बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी कंपनियों को भारतीय रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भागीदारी करने का निमंत्रण दिया.
असैन्य परमाणु सहयोग : दोनों देश असैन्य परमाणु सहयोग करार को आगे ले जाने पर सहमत हुए हैं. इससे जुड़े मुद्दों का शीघ्र समाधान निकालने के प्रति गंभीरता की बात कही. गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन संप्रग सरकार और अमेरिका में बुश प्रशासन के दौरान दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार हुआ था लेकिन जवाबदेही कानूनों से जुड़े मुद्दों पर यह आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
रक्षा-सुरक्षा : दोनों पक्षों ने सुरक्षा और रक्षा संबंधी वार्ता को और आगे बढ़ाने का निर्णय किया. अमेरिकी रक्षा कंपनियों से भारतीय रक्षा उत्पादन क्षेत्र में सहयोग करने की अपील की गयी. उल्लेखनीय है कि भारत ने हाल ही में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है.
आतंकवाद : दक्षिण एवं पश्चिम एशिया में उभरती आतंकवाद की चुनौतियों से निबटने के लिए दोनों देश आतंकवाद निरोधक तंत्र और खुफिया सूचनाओं के आदान -प्रदान में सहयोग और बढ़ाने पर सहमत हुए.
राष्ट्रपति ओबामा से मिलकर खुशी हुई. इस यात्र से मेरा विश्वास दृढ़ हुआ है कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक वैश्विक साङोदार हैं. निकट भविष्य में भारत बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास की ओर बढ़ेगा.
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी की ऊर्जा काबिले तारीफ है. मुङो भारत के साथ संबंधों को बनाने और उसके साथ और प्रगति करने का इंतजार है.
बराक ओबामा, अमेरिकी राष्ट्रपति
हम चलें एक साथ आगे चलें साथ-साथ
नरेंद्र मोदी/बराक ओबामा
लोकतंत्र, आजादी, विविधता और उद्यमता के मामले में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के मूल्य और हित एक समान हैं. हमने मानव इतिहास के पथ में राष्ट्र को सकारात्मक आकार दिया है. दोनों देश अपने वैभवशाली मानव इतिहास, संयुक्त प्रयास, स्वाभाविक और अनोखी साङोदारी की मदद से आनेवाले समय में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए काम कर सकते हैं. दोनों देश के नागरिकों की न्याय और समानता की आकांक्षाओं में भारत और अमेरिका के रिश्ते जुड़े हैं. 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुई विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में हिंदू धर्म को विश्व धर्म के रूप में पेश किया था.
वहीं, मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के साथ हो रहे भेदभाव का विरोध किया. वे महात्मा गांधी की अहिंसा की शिक्षाओं से प्रेरित थे. स्वयं गांधी भी मशहूर लेखक हेनरी डेविड थोरो के लेखन से प्रभावित थे.
अपने नागरिकों को प्रगति के मार्ग पर ले जाने के लिए दोनों राष्ट्र कई दशकों से भागीदारी निभा रहे हैं. भारत के लोग हमारे सहयोग की बुनियाद को अच्छी तरह से जानते हैं. हरित क्र ांति की बात करें या फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) की, इस तरह की चीजें हमारे सहयोग के बिना संभव ही नहीं थीं. आज हमारी साङोदारी सुदृढ़, विश्वसनीय एवं स्थायी है और यह आगे बढ़ रही है. हमारे संबंध पहले से अधिक बहुपक्षीय सहयोग के हैं. ऐसा न केवल संघीय स्तर पर है, बल्किराज्य व स्थानीय, हमारी दोनों सेनाओं के बीच, निजी क्षेत्रों और नागरिक समाज स्तर पर भी है. हमारे संबंधों में इतना कुछ हुआ है कि साल 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह घोषणा की थी कि हम स्वाभाविक मित्र हैं.
आज इतने सालों बाद यह सहयोग बढ़ता ही जा रहा है. दोनों देशों के छात्र रिसर्च प्रोजेक्ट में एक साथ काम कर रहे हैं. हमारे वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित कर रहे हैं. हमारे शीर्ष, अधिकारी वैश्विक मुद्दों पर साथ विचार-विमर्श करते हैं. हमारी सेनाएं समुद्र, हवा और जमीन में संयुक्त अभ्यास करती हैं. पृथ्वी से लेकर मंगल ग्रह तक दोनों देश सहयोगी बन चुके हैं. भारतीय अमेरिकी समुदाय का सहयोग तो सबसे ज्यादा जीवंत है. उसने एक पुल का काम किया है. यह सफलता हमारे लोगों की जीवन शक्ति, खुले अमेरिकी समाज और ताकत का सच्चा आईना है. यह दर्शाता है कि हम लोग साथ मिल कर क्या-क्या सकते हैं.
हालांकि, अभी हम अपने संबंधों की वास्तविक क्षमताओं को समझ रहे हैं. भारत में नयी सरकार बनना हमारे रिश्तों को व्यापक और दृढ़ बनाने के लिए स्वाभाविक अवसर है. नयी आकांक्षा और दृढ़ विश्वास की नयी ऊर्जा के साथ हम सुदृढ़ व पारंपरिक लक्ष्यों से आगे बढ़ सकते हैं. यह समय अपने नागरिकों के लिए ठोस लाभ हासिल करने वाला नया एजेंडा तय करने का है. एजेंडा ऐसा होना चाहिए, जिससे हम आपसी सहयोग से व्यापार, निवेश और तकनीक का विस्तार कर सकें. यह भारत के महत्वाकांक्षी विकासशील एजेंडे के अनुकूल होगा और वैश्विक रूप से अमेरिका की ग्रोथ को बरकरार रखेगा. आज, जब हम वाशिंगटन में मिले तो हमारे बीच उत्पादन बढ़ाने और सस्ती अक्षय ऊर्जा का विस्तार करने, समान वातावरण के भविष्य को सुरक्षित बनाते हुए विनिर्माण को बढ़ावा देने पर व्यापक चर्चा हुई.
हमने उन विषयों पर भी चर्चा की, जिनमें हम अपने व्यापारियों, वैज्ञानिकों और सरकारों को साझीदार बना सकते हैं क्योंकि भारत, खासतौर पर नागरिकों के सबसे गरीब वर्ग के लिए, बुनियादी सेवाओं की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार के लिए काम करता है. इस संबंध में अमेरिका सहायता के लिए तैयार है. एक मजबूत समर्थन का तत्काल क्षेत्र ‘स्वच्छ भारत अभियान’ है, जिसमें हम संपूर्ण भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार के लिए निजी और नागरिक समाज के नवाचार, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी का लाभ लेंगे.
जहां एक ओर साझा प्रयासों से हमारे अपने लोगों को लाभ मिलेगा, वहीं, हमारी भागीदारी भी अपने हिस्से के योगदान को और व्यापक बनाने की इच्छा रखती है. राष्ट्रों के तौर पर, लोगों के रूप में हम सभी के लिए एक बेहतर भविष्य की कामना करते हैं, जिनमें से एक, हमारी रणनीतिक साङोदारी भी व्यापक स्तर पर दुनिया के लिए लाभों का सृजन करती है. जहां एक तरफ, भारत को अमेरिकी निवेश और तकनीकी साङोदारियों से उत्पन्न वृद्धि से लाभ मिलेगा तो वहीं अमेरिका को एक मजबूत और अधिक समृद्ध भारत से लाभ पहुंचेगा. इसके फलस्वरूप, क्षेत्र और दुनिया हमारी मित्रता से उत्पन्न व्यापक स्थिरता और सुरक्षा से लाभान्वित होगी. हम दक्षिण एशिया को एकीकृत बनाने के व्यापक प्रयासों के साथ-साथ इसे मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया के लोगों और इसके बाजारों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
एक वैश्विक साङोदार के रूप में हम आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और कानून प्रवर्तन सहयोग के माध्यम से गुप्तचर सूचनाओं के आदान-प्रदान के द्वारा अपने देशों की सुरक्षा बढ़ाने, समुद्री क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता और वैध व्यापार को बनाये रखने के लिए भी हम संयुक्त रूप से कार्य करने को प्रतिबद्ध हैं. हमारे स्वास्थ्य सहयोग से हमें सबसे मुश्किल चुनौतियों जैसे इबोला के प्रसार, कैंसर इलाज के अनुसंधान अथवा तपेदिक, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से निपटने में सफलता पाने में मदद मिलेगी. हम महिला सशक्तीकरण, क्षमता संवर्धन और अफगानिस्तान व अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा के लिए एक साथ काम करने की अपनी हाल की परंपरा का विस्तार करने के भी इच्छुक हैं.
हमारी कल्पनाओं को सजीव रखने के लिए अंतरिक्ष में खोज का काम जारी रहेगा और हम नयी चुनौतियां स्वीकार करते रहेंगे. दोनों ही देशों के सेटेलाइट्स, मंगल के बारे में जानकारियां जुटा रहे हैं. बेहतर भविष्य निर्माण का लक्ष्य सिर्फभारत व अमेरिका के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कियह बेहतर विश्व निर्माण के लिए भी आवश्यक है. 21वीं सदी के लिए हमारी साङोदारी का यही मुख्य आधार होगा. इस दिशा में हम चलें एक साथ.. आगे- चलें साथ-साथ.
खास बातें
– हमारी भागीदारी मजबूत, विश्वसनीय और टिकाऊ है. इसमें विस्तार हो रहा है.
– साल 2000 में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिसके चलते तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी कह सके कि हम स्वाभाविक साझीदार हैं.
– हमारे संबंधों की वास्तविक क्षमता को पूरी तरह हकीकत का रूप दिया जाना बाकी है.
I am thankful to President Obama for his warm welcome. I am glad to have been able to meet the President in the early part of my tenure: PM
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
President Obama and I talked about economic issues. Our economic relations will improve even further: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
I urged President Obama to take steps whereby our service companies can get access to the American economy: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
We had an open discussion on WTO issue. We support trade facilitation but a solution that takes care of our food security must be found: PM
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
We both are committed to helping Afghanistan and improving our coordination in this area: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
I have invited President Obama and his family to visit India: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014
The interaction has concluded.
— PMO India (@PMOIndia) September 30, 2014