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पहले दिन भर गयीं अधिकतर खाली सीटें

एमबीबीएस दाखिला पटना : पटना हाइकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की खाली रह गयी 230 सीटों को भरने के लिए सोमवार से बीसीइसीइ बोर्ड कार्यालय में काउंसेलिंग शुरू की गयी, जो मंगलवार तक चलेगी. पहले दिन देर रात तक काउंसेलिंग चली और अधिकतर सीटें भर गयीं. शेष सभी सीटें […]

एमबीबीएस दाखिला
पटना : पटना हाइकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की खाली रह गयी 230 सीटों को भरने के लिए सोमवार से बीसीइसीइ बोर्ड कार्यालय में काउंसेलिंग शुरू की गयी, जो मंगलवार तक चलेगी. पहले दिन देर रात तक काउंसेलिंग चली और अधिकतर सीटें भर गयीं.
शेष सभी सीटें मंगलवार को भर जाने की संभावना है. राज्य सरकार ने एसटी- एसटी एवं विकलांग कोटे की खाली सीटें भरने के लिए कट ऑफ प्रतिशत 40 से घटा कर 32 कर दिया है. मंगलवार की देर रात छात्रों के बीच मेडिकल कॉलेजों का आवंटन किया गया. काउंसेलिंग में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य मौजूद थे और उनके साथ उनके स्टाफ भी थे.
स्वास्थ्य विभाग ने 30 तक सभी प्राचार्यो को नामांकन की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है. जानकारी के मुताबिक पहले दिन कट ऑफ मार्क्‍स 500 से 600 के बीच रहा. खाली सीटों को ठीक से भरा जाये, इसके लिए सरकार ने तीन वरीय आइएएस पदाधिकारियों को जिम्मेवारी सौंपी है. इनमें बीसीइसीइ के परीक्षा नियंत्रक जेआरके राव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव अरविंद कुमार चौधरी शामिल है.
यह है पूरा मामला, फिर फंसेगा पेच
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 950 सीटों में 230 खाली रह गयी थीं. साथ ही डेंटल की 50 में 18 सीटें खाली रह गयी थीं. एक पेच यह भी फंसा था कि राज्य में 150 एसटी- एसटी एवं विकलांग कोटे की करीब 80 सीटें खाली रह गयी थीं, क्योंकि एमसीआइ की शर्तो के अनुसार सामान्य सीटों पर कम-से- कम 50 प्रतिशत अंक और एसटी- एसटी एवं विकलांग कोटे की आरक्षित सीटों पर नामांकन के लिए 40 प्रतिशत अंक का होना अनिवार्य है.
नामांकन के मामले में तीन रिट याचिकाएं दायर हुईं, जिनमें राज्य सरकार को तुरंत निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गयी.
25 सितंबर को पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार और बीसीइसीइ को 30 सितंबर तक हर हाल में खाली सीटें भरने का निर्देश दिया था. इसके आलोक में मुख्यमंत्री के लंदन प्रवास से लौटने के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की पहल से त्वरित कार्रवाई शुरू हुई और एसटी- एसटी व विकलांग छात्रों के नामांकन के लिए 40 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को शिथिल कर 32 प्रतिशत कर दिया गया. इससे एससी-एसटी व विकलांग छात्रों के नामांकन का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, 40 प्रतिशत से कम अंक पर नामांकित छात्रों को एमसीआइ मान्यता देगी अथवा नहीं, इस पर संशय बना हुआ है.
काउंसेलिंग के साथ ही छात्रवृत्ति
इधर, जिन छात्रों को नामांकन की राशि की समस्या है, उनकी काउंसेलिंग के लिए बोर्ड ने सिर्फ 24 घंटे का समय दिया है. कई छात्रों ने नामांकन के लिए कम समय मे काउंसिलिंग और नामांकन के लिए राशि की समस्या की जानकारी अनुसूचित जाति – जनजाति कल्याण विभाग के प्रधान सचिव हुकुम सिंह मीणा को दी है. श्री मीणा ने बताया कि कम-से-कम सात से 10 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें नामांकन के लिए राशि की समस्या की जानकारी मिली है. ऐसे सभी छात्रों को काउंसेलिंग के वक्त ही नामांकन के लिए राशि देने की व्यवस्था की गयी है.

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