नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार जनता की एक दुखती रग पर हाथ रखने की फिराक में है. सरकारी खजाने का बोझ कम करने के लिए सब्सिडी पर मिलने वाले रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या 12 से घटाकर नौ करने का विचार किया जा रहा है.
इससे पहले सरकार डीजल पर सब्सिडी खत्म कर ही चुकी है. इस साल सब्सिडी 30 प्रतिशत बढकर 60,000 करोड़ तक पहुंच सकती है. जिससे सरकारी खजाने पर काफी बोझ बढ़ सकता है. वित्त मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय को निर्देश दिया है कि गैस सब्सिडी कम करने और कालाबाजारी रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं.
लोकसभा चुनाव 2014 से पहले यूपीए-2 की सरकार ने मतदाताओं के लुभाने के लिए सब्सिडाइज्ड सिलिंडरों की संख्या बढाकर 12 कर दी थी. यूपीए सरकार के समय में जब सब्सिडाइज्ड सिलेंडर की संख्या 9 हुई थी तब कमर्शियल उपयोग में लाए जाने वाले सिलिंडर के दाम बढ़ये गये हैं.
अक्टूबर 2012 से जनवरी 2013 के बीच सब्सिडाइज्ड सिलिंडर की बिक्री में 4.9 प्रतिशत कम हो गई थी. क्योंकि तब सिर्फ 6 सब्सिडाइज्ड सिलंडर ही मिल पा रहे थे. फरवरी 2013 में संख्या नौ करने पर फरवरी 2013 और जनवरी 2014 के बीच इसकी बिक्री 2.2 प्रतिशत कम हुई. बाद में वित्त वर्ष में यह संख्या बढाकर 12 कर दी गई. जिसके बाद इसकी बिक्री 12.7 प्रतिशत की बढ गई.
हालांकि देखा जाए तो अनुमान के मुताबिक एक परिवार को साल में औसतन 7.2 सिलिंडर की जरूरत होती है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक सब्सिडी का लाभ अमीरों को ज्यादा मिल रहा है.
दो साल पहले पूर्व तेल मंत्री जयपाल रेड्डी ने सब्सिडाइज्ड सिलेंडर की संख्या 6 तय की थी और जब वीरप्पा मोइली के हाथ में कमान आई तो उन्होंने संख्या बढ़ाकर 9 और फिर 12 कर दी थी.
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