अपनी आवाज से सब पर जादू चलानेवाली स्वर कोकिला लता मंगेशकार का आज 85 वां जन्मदिन है. लता का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था जो रंगमंच के कलाकार और गायक थे. लता ने पांच साल की उम्र में अपने पिता के साथ रंगमंच पर अभिनय करना शुरू कर दिया था.
लता बचपन से ही गायक बनना चाहती थी. जब लता तेरह साल की थी उनके पिता का देहांत हो गया और घर में पैसे की तंगी होने लगी. ऐसी हालात में उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में काम भी किया. 1947 में लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों "अंग्रेजी छोरा चला गया" और "दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने" जैसे गानों से घर की स्थिति को सुधारा.
इसके बाद वर्ष 1949 में लता को मौका मिला फिल्म ‘महल’ में ‘आयेगा आनेवाला’ गीत गाने का. यह गाना बेहद खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था. यह फिल्म बेहद सफल रही और यह लता के लिए बेहद शुभ साबित हुई. इसके बाद लता फलता की सीढी चढती गई और उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा.
वर्ष 1960 में ‘ओ सजना बरखा बहार आई’, 1958 में ‘आजा रे परदेसी’, 1961 में ‘इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा’, ‘अल्लाह तेरो नाम’, ‘एहसान तेरा होगा मुझ पर’ और 1965 में ‘ये समां, समां है ये प्यार का’ जैसे गीतों के साथ उनकी आवाज के चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ती गई. इन गानों ने लोगों को लता के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया. उनके गाने लोगों बेहद पसंद आने लगे.
अपने 7 दशक के लंबे करियर में 36 भाषाओं और हजार से अधिक फिल्मों में गाना गा चुकीं लता ने बॉलिवुड के लिए अपना अब तक का आखिरी गीत ‘तेरे हंसने से मुझको आती है हंसी…’ 2011 में आई फिल्म सतरंगी पैराशूट के लिए गाया था.भारत सरकार ने लता को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया गया. सिनेमा जगत में उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और फिल्म फेयर पुरस्कारों सहित कई अन्य सम्मानों से भी नवाजा गया है.
अब लता को बॉलीवुड में अपनापन महसूस होता नजर नहीं आ रहा है. इसलिए उन्होंने पिछले करीब साढ़े तीन साल से बॉलीवुड की किसी फिल्म में कोई गीत नहीं गाया है. वे आजकल के गानों में अपनेआप को ढूंढ नहीं पा रही है. फिर भी लता मंगेशकर के गानों की जगह आज भी कोई ले नहीं सकता. उनके गायकी के प्रशसंक तो आज भी जमाने में भरे पडे है.