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मंदिर में बजे शंख, हुई आरती

जिला मुख्यालय समेत आसपास के क्षेत्रों में गुरुवार को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया. विभिन्न पूजा समिति के सदस्यों ने पूजा पंडालों और लोगों ने अपने-अपने घरों में कलश स्थापना कर नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ की जा […]

जिला मुख्यालय समेत आसपास के क्षेत्रों में गुरुवार को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गया. विभिन्न पूजा समिति के सदस्यों ने पूजा पंडालों और लोगों ने अपने-अपने घरों में कलश स्थापना कर नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ की जा रही है.

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए पंडित कृष्णकांत आचार्य उर्फ शिरोमणि झा ने बताया कि मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने से धन, वैभव में वृद्धि होती है और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि मां दुर्गा प्रथम स्वरूप शैलपुत्री,द्वितीय स्वरूप ब्रह् चारिणी, तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा,चौथे स्वरूप कुष्माण्डा, पांचवा स्वरूप स्कंदमाता, छठें स्वरूप कात्यायनी, सातवें स्वरूप कालरात्रि, आठवें स्वरूप महागौरी और नवम् स्वरूप सिद्विदात्री की पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ नौ दिनों तक नियमपूर्वक करने से धन-वैभव व यश की प्राप्ति होती है तथा समस्त शत्रुओं का नाश भी होता है. पंडित श्री आचार्य ने बताया कि एक अक्तूबर को महासप्तमी होगी, जबकि दो अक्तूबर को महाअष्टमी और महानवमी एक साथ होगा. तीन अक्तूबर को विजया दशमी के दिन विसजर्न के पश्चात दुर्गा पूजा का समापन होगा.

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