हाजीपुर : नगर के गांधी चौक स्थित बाबा नागेश्वर नाथ मंदिर में भव्य पूजा की तैयारी की गयी. दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित इस मंदिर में माता की पूजा पूरे शास्त्रीय विधान पर आधारित होती है. मंदिर की भव्यता ऐसी है कि यहां पंडाल बनाने की आवश्यकता नहीं होती.
मंदिर में वास्तु शास्त्र के अनुसार महादेव सहित सभी प्रमुख देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित है. नगर के अलावा सुदूर ग्रामीण इलाकों से श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. नगर का मुख्य चौराहा होने के कारण सप्तमी, अष्टमी, नौवमी एवं दसवीं को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है.
कब से प्रारंभ हुई पूजा : पूजा का शुभारंभ 1948 में स्व शिव गुलाम साह एवं उनकी पत्नी स्व जानकी ने किया. तभी से यहां प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने की परंपरा चली आ रही है. तब से लेकर आज तक निर्बाध रुप से पूजा की जा रही है. बीच के वर्षो में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया जो दक्षिण भारतीय शैली की है. प्रतिदिन यहां भजन कीर्तन के आयोजन में स्थानीय कलाकार जुटते हैं.
कौन बना रहा है प्रतिमा : माता के प्रतिमा का निर्माण बागमली निवासी अशोक पंडित कर रहे हैं. श्री पंडित अपने सहयोगियों के साथ प्रतिमा को भव्य व आकर्षक बनाने में जुटे हुए हैं. वे कहते हैं कि माता के आशीर्वाद से जीवन चल रहा है. मेहनताना के रुप में जो मिल जाता है. संतुष्ट रहता हूं. वैसे जिंदगी की गाड़ी बमुश्किल चल पाती है. मंदिर की ऊंचाई 76 फुट है इसलिए यहां पंडाल बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
कितनी आयेगी लागत : पूरे आयोजन के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये का बजट निर्धारित है. जिसे पूजा समिति के सदस्य, व्यवसायी और मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालु आपसी सहयोग से जुटाते हैं. पहले प्रारंभ में पूजा का बजट एक से ढ़ाई हजार रुपये तक आता था. 90 के दशक में यह 25 हजार का बजट अब वर्तमान में डेढ़ लाख रुपये का हो गया है.
पूजा समिति में लोग-
पूजा एवं मंदिर संचालन के लिए कमेटी बनी हुई है. जिसमें अध्यक्ष अजय निषाद, सचिव डॉ शंकर पटेल, कोषाध्यक्ष आनंद शर्मा, संयोजक प्रो सुरेश प्रसाद गुप्ता, मुख्य पुजारी पंडित विजय बाबा के अलावा सदस्यों में प्रकाश कुमार, सूरज प्रसाद, अनिल चौधरी, राजू साह, शंभु सिंह सहित अन्य श्रद्धालु शामिल है.
क्या होगा खास-
76 फुट ऊंची दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित मंदिर में माता का दर्शन
आकर्षक बिजली व आंतरिक सजावट
सुरक्षा के विशेष इंतजाम
कलश स्थापन के दिन से प्रतिदिन प्रसाद का वितरण व आरती
मंदिर में अन्य देवी-देवताओं के अलावा भगवान बुद्ध का दर्शन
क्या कहते हैं आयोजक-
मंदिर से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी है. सभी के सहयोग से इतनी बड़ी पूजा को संपन्न किया जाता है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है. प्रेम और सौहार्द से पूजा संपन्न कराने का प्रयास किया जाता है.
प्रो रामलखन साह, अध्यक्ष
मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी रहती है. कोई भी श्रद्धालु यहां की पूजा-अर्चना में शामिल हो सकता है. संस्कृति और अध्यात्म के अनुरूप श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. पूरे शास्त्रीय विधान के साथ पूजा की तैयारी की जा रही है.
-पंडित विजय बाबा, मुख्य पुजारी