नयी दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से लोगों के साथ – साथ भारत के बड़े नेताओं को भी काफी उम्मीदें है. एक तरफ संभावना जतायी जा रही है कि मोदी के इस दौरे से अमेरिका और भारत के रिश्ते और मजबूत होंगे, तो दूसरी तरफ भारत और अमेरिका व्यवसायिक दृष्टि से भी इस यात्रा को देख रहे है. अमेरिका इस दौरे से उम्मीद रखता है कि भारतीय सैलानियों की संख्या बढ़ेगी. अमेरिका ने भारतीयों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश भी शुरु कर दी है.
मोदी, 26 सितंबर से शुरु हो रही इस यात्रा के दौरान 50 से अधिक कार्य्रकमों में भाग लेंगे जिनमें राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक तथा संयुक्त राष्ट्र आम सभा में भाषण शामिल है.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद अकबरुद्दीन ने नयी दिल्ली में इस यात्रा के बारे में संवाददाताओं को जानकारी दी. गुजरात में 2002 के दंगों के बाद अमेरिका द्वारा मोदी के बहिष्कार संबंधी एक सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसी भी रिश्तें में ‘आगे देखते हैं न कि पीछे’.
उन्होंने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की न्यूयार्क व वाशिंगटन की पहली यात्रा को बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता तथा भारत अमेरिका संबंधों को उन क्षेत्रों में और मजबूत बनाने की इच्छा के संकेत के रुप में देखते हैं जहां हम एक दूसरे की ज्यादा मदद कर सकते हैं. अपनी विदेश नीति के तहत मोदी चीन, जापान और शार्क देश के बहुत करीब आ गये अब अमेरिका यात्रा से उम्मीदें जतायी जा रही है.
मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर वहां स्वागत की जोरदार तैयारी की गयी थी. कई स्थान पर विशेष भोजन का इंतजाम किया गया था. लेकिन संयोगवश मोदी का दौरा नवरात्र के मौक पर पड़ रहा है .मोदी नवरात्र में अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करते. मोदी के उपवास से अमेरिका को पूरी तरह मेहमानवाजी का मौका नहीं मिलेगा.
आर्थिक स्थिति और निवेश की संभावनाओं पर इस दौर को कसौटी में कसने की कोशिश करें तो जापान और चीन के बाद अमेरिका भारत में निवेश के लिए कौैन से नये दरवाजे खोलेगा इस पर भी सबकी नजर होगी.