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मंजीत व शशि को मारने का तीसरा प्रयास

शशिभूषण सिंह व मंजीत सिंह पर यह तीसरी बार हमला है. इन लोगों को लगातार धमकी भी मिलती रही है. तिहरे हत्याकांड के गवाह मंजीत सिंह पर चार जून, 2012 को पहली बार तब हमला हुआ, जब वह अपनी दवा की दुकान पर बैठे थे. इसके बाद छह जनवरी, 2014 को सोनपुर थाना क्षेत्र के […]

शशिभूषण सिंह व मंजीत सिंह पर यह तीसरी बार हमला है. इन लोगों को लगातार धमकी भी मिलती रही है. तिहरे हत्याकांड के गवाह मंजीत सिंह पर चार जून, 2012 को पहली बार तब हमला हुआ, जब वह अपनी दवा की दुकान पर बैठे थे. इसके बाद छह जनवरी, 2014 को सोनपुर थाना क्षेत्र के गोविंदचक ढाले के समीप शशिभूषण सिंह पर बम से हमला किया गया. शुक्रवार को तीसरा हमला दोनों पर एक साथ किया गया.

छपरा कोर्ट परिसर में सांसद आवास पर तिहरे हत्याकांड के गवाह पर बम से हुए हमले के बाद एक बार फिर पुलिस की चौकसी की पोल खुल गयी. बम विस्फोट के बाद शशिभूषण की सुरक्षा में तैनात पुलिस या सिविल कोर्ट परिसर के विभिन्न न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा में लगे जवान या सामान्य सुरक्षा में लगे जवान व पदाधिकारी दो मंजिले कोर्ट की छत से हमला करनेवाले को पकड़ने के बदले आम लोगों के समान अपनी जान बचा कर भागते दिखे. सीजेएम कोर्ट के ठीक ऊपर एडीजे वन के बरामदे से हमला करनेवाले अपराधियों को पुलिस के जवानों व पदाधिकारियों ने पकड़ने की जरूरत नहीं समझी.
हालांकि प्रत्यक्षदर्शी अधिवक्ताओं व मुवक्किलों के अनुसार, चमड़े के काले बैग से बम निकाल कर फेंकनेवाले व उनके साथ वहां पर स्थित अपराधियों में से एक अपराधी को कोर्ट में उपस्थित एक व्यक्ति ने पकड़ लिया. वहीं, बकझक होनी लगी. इस बीच एक सुरक्षाकर्मी ने ही उसे छुड़ा दिया. इसके बाद दोमंजिले से उतर कर अपराधी भागने में सफल रहे. कोर्ट में उपस्थित लोगों के अनुसार, यदि तैनात पुलिसकर्मियों ने एक साथ सक्रियता दिखाई होती, तो निश्चित तौर पर अपराधी गिरफ्त में आ सकते थे. हालांकि घटना के दौरान नीचे खड़े एक युवक को अपराधी के द्वारा बम फेंके जाने व नीचे की स्थितियों की घटना के बाद वर्णन करने को लेकर मौके से ही उसे रोक कर रखा गया है तथा उससे पूछताछ की जा रही है.
डीएम ने लिया जायजा : घटना के बाद न्यायालय परिसर में डीएम कुंदन कुमार, एसडीओ क्यूम अंसारी, एएसपी सुशील कुमार आदि पहुंचे और घटनास्थल का मुआयना किया. अधिकारियों ने घटनास्थल पर मौजूद लोगों से पूछताछ की व घटनास्थल का जायजा लिया.
कोर्ट की घटना के बाद गड़खा में दहशत
गड़खा. अपराधियों के बढ़ते मनोबल को देख गड़खा के पूर्वी क्षेत्र के ग्रामीणों में फिर से दहशत पैदा हो गया है. लोग अपने घर से निकलने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. अगर कोई व्यक्ति अपने काम के लिए घर से निकला और देर तक घर वापस नहीं आया, तो उनके परिजन काफी परेशान हो जा रहे हैं. गड़खा थाना और अवतार नगर थाना क्षेत्र के सीमावर्ती इलाका बसंत, रामगढ़ा गांव क्षेत्रों में वर्चस्व एवं बदले की लड़ाई में अभी तक आधा दर्जन से अधिक लोगों की जान खूनी खेल में जा चुकी है और अब भी बदला लेने की आग चरम सीमा पर सुलग रही है, जिससे इस इलाके के लोगों में दहशत व्याप्त है. कब कहां कौन-सी घटना हो जाये, कहना मुश्किल है. 23 अगस्त को तिहरे हत्याकांड के गवाह लौवा बसंत के मृत्युंजय सिंह की हत्या हुई थी, जिसमें दो बाइकों पर छह लोग दिनदहाड़े देशी और स्वचालित हथियारों से हत्या कर हथियार लहराते हुए निकल गये थे. उस घटना को अभी इस इलाके के लोग भूल भी नहीं पाये थे कि शशिभूषण सिंह के ऊपर बमों के हमले से इस इलाके में और दहशत पैदा हो गया है.
अभी मृत्युंजय की मौत के सदमे में परिवारवाले ङोल ही रहे थे कि उनके परिवार के शशिभूषण पर एक और हमला हो गया. अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ा है कि रात्रि से ज्यादा उन्हें दिन में हमला करने में सुविधा दिख रही है. अपराधियों को प्रशासन से कोई भय नहीं दिख रहा है. मणिभूषण सिंह, दिनेश राय, सतजोड़ा के मुखिया देवेंद्र सिंह, मिर्जापुर के मुखिया संजय सिंह की हत्या दिनदहाड़े किया गया था. वहीं खोड़ीपाकर के श्रवण राय की हत्या, चिंतामनगंज बाजार पर मंजीत सिंह पर जानलेवा हमला, शशिभूषण सिंह पर नयागांव गांव के रेलवे ढाला पर बमबारी और भी कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें अपराधी दिनदहाड़े प्रशासन को नजरअंदाज कर घटना को अंजाम दे निकल जा रहे हैं.

जानकारी को ले एएसपी पहुंचे छपरा जेल
छपरा (सदर). छपरा कोर्ट में बम से हमले के बाद अपर पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार मंडल कारा, छपरा पहुंचे. उन्होंने काराधीक्षक सत्येंद्र कुमार से शशिभूषण सिंह के मामले में मंडल कारा में बंद अभियुक्तों की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने बताया कि संबंधित अभियुक्त घटना के दौरान संबंधित कोर्ट में ही पेशी के लिए गये थे. इस घटना के बाद पुलिस की नजर छपरा जेल में बंद कुछ बंदियों पर है.
बमबाजी के मामले में पुलिस ने एक को लिया हिरासत में
व्यवहार न्यायालय परिसर में तिहरे हत्याकांड के गवाह पर बमबारी करने के मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति दाउदपुर थाना क्षेत्र के जैतपुर निवासी आरके तिवारी बताया जाता है. हिरासत में लिये गये व्यक्ति से पुलिस पूछताछ कर रही है. घटना के तुरंत बाद पूरे शहर में पुलिस चौकसी बढ़ा दी गयी और शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर पुलिस ने वाहन जांच शुरू कर दी. एसपी द्वारा गठित क्यूआरटी भी सक्रिय हो गयी. क्यूआरटी के द्वारा भी कई स्थानों पर शहर में छापेमारी शुरू कर दी गयी. होटलों व रेस्टोरेंट में भी जांच की गयी. घटना के तुरंत बाद वायरलेस से सभी थानों को सूचना दी गयी और तत्काल वाहन जांच शुरू करने का निर्देश दिया गया. नगर थाना चौक, नगरपालिका चौक, साढ़ा ढाला, भिखारी मोड़, भगवान बाजार, बह्मपुर पुल समेत कई स्थानों पर वाहन जांच कुछ ही देर बाद शुरू हो गयी. व्यवहार न्यायालय परिसर में हुई घटना के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने पटना हाइकोर्ट को एक रिपोर्ट भेजी है और वस्तुस्थिति से अवगत कराया है. जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपराधियों द्वारा न्यायालय परिसर में बमबारी करने के मामले की विस्तृत जानकारी रिपोर्ट में दी है.
आने-जाने वालों की नहीं होती है जांच
न्यायालय परिसर में शुक्रवार को बम विस्फोट की घटना ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. सांप के बिल में घुसने के उपरांत लकीर को पीटने वाला पुलिस प्रशासन सुरक्षा को लेकर सचेत होने की कवायद कर रहा है, जो सचमुच धरातल पर दिखेगा, इस पर संशय बरकरार है.
न्यायालय में प्रवेश के हैं कई द्वार
व्यवहार न्यायालय में प्रवेश के लिए पांच द्वार हैं, जबकि एक द्वार हमेशा बंद रहता है. न्यायालय परिसर में न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता एवं पैरवीकार से लेकर आम लोग सभी द्वार से प्रवेश या निकास कर सकते हैं. अमूमन न्यायिक पदाधिकारी या चार पहिया वाहन वाले अधिवक्ता हथुआ मार्केट के पूर्वी भाग वाले द्वार का प्रयोग करते हैं. वहीं, बाकी किसी भी द्वार से आ जा सकते हैं.
नहीं होती है जांच
न्यायालय में प्रवेश करनेवाले किसी भी पैरवीकार या उसके साथ आये लोगों की तलाशी नहीं ली जाती. कोई भी कहीं आ-जा सकता है.
वाहन खड़ा करने की है छूट
कोर्ट परिसर में चरपहिया और दो पहिया वाहनों को नो पार्किग में पकड़ा जा रहा ह,ै तब से तो लोग परिसर में ही वाहन को खड़ा कर खरीदारी करते हैं. लॉक वाहन घंटों खड़ा रहता है, पर कोई पूछनेवाला नहीं है.
कहीं नहीं है सीसीटीवी कैमरा
कोर्ट या उसके परिसर में आने-जाने वालों की पहचान के लिए कहीं भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है. परिसर तो परिसर, न्यायिक पदाधिकारियों के कोर्ट में भी कहीं कैमरा नहीं है, जिससे वहां आने-जाने वालों की पहचान की जा सके.
किसी भी गेट पर नहीं रहती पुलिस
कोर्ट में सुरक्षा के मद्देनजर गेट पर पुलिस की तैनाती होनी चाहिए थी, जो कही दिखाई नहीं पड़ती. अब तक अपराधियों द्वारा कई बार घटना को अंजाम दिया जा चुका है, फिर भी पुलिस सचेत नहीं हुई. हर घटना के बाद सक्रियता दिखती है, परंतु समय बीतते ही सब यथावत हो जाता है.

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