अहमदाबाद : चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग तीन दिन की भारत यात्रा पर आज भारत पहुंच रहे हैं. उनकी यात्रा के दौरान विवादास्पद सीमा मुद्दों को सुलझाने के अलावा व्यापार एवं निवेश बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. भारत को उम्मीद है कि शी की यात्रा से दोनों देशों के हितों व चिंताओं का समाधान किया जाएगा और सीमा विवाद सहित द्विपक्षीय संबंधों के रास्ते बाधा बन रहे सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को निपटाया जाएगा.
भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने का इच्छुक चीनी पक्ष पहले ही संकेत दे चुका है कि वह शी की यात्रा के दौरान भारत के रेलवे, विनिर्माण, ढांचागत परियोजनाओं में अरबों डालर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जाहिर करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शी का स्वागत करने के लिए पहले ही यहां पहुंच चुके हैं. उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ अधिक प्रगाढ संबंध चाहता है, लेकिन साथ ही चिंता के मुद्दों पर प्रगति चाहता है. मोदी ने कहा कि इन चिंताओं के समाधान से संबंधों में माहौल बदलेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं सभी क्षेत्रों में भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने की संभावना देखता हूं, लेकिन साथ ही चिंता के मुद्दों पर प्रगति देखना चाहता हूं क्योंकि इन मुद्दों के समाधान से हमारे संबंधों में माहौल बदलेगा और हमें पूर्ण संभावनाओं का दोहन करने की सहूलियत मिलेगी. मोदी कल यहां होटल में शी और उनके साथ आ रहे उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करेंगे. शी के प्रतिनिधिमंडल में पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य व चीन के वाणिज्य मंत्री भी शामिल हैं.
शी महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम जाएंगे और वहां मोदी के साथ कुछ समय बिताएंगे. मोदी साबरमती के तट पर चीनी राष्ट्रपति को एक निजी भोज देंगे. यहां रात्रिभोज के बाद शी दिल्ली के लिए रवाना होंगे. मोदी व शी गुरवार को दिल्ली में व्यापक बातचीत करेंगे. इसके बाद उनके द्वारा कई प्रकार के करारों पर दस्तखत किए जाने की उम्मीद है. इससे रेलवे व औद्योगिक पार्कों सहित अन्य क्षेत्रों में चीन के निवेश का रास्ता खुल सकेगा.
मुख्य रुप से इसे आर्थिक व व्यापार मुद्दों पर केंद्रित यात्रा बताया जा रहा है. शी द्वारा रेलवे, विनिर्माण के अलावा बुनियादी ढांचे में बडे पैमाने पर निवेश की घोषणा की उम्मीद है. मोदी की हाल की तोक्यो यात्रा के दौरान जापान ने भारत में 35 अरब डालर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई थी.
चीन के अधिकारियों ने कहा कि चीन भारत में 100 अरब डालर से 300 अरब डालर के निवेश की घोषणा कर सकता है. यह निवेश भारतीय रेल के आधुनिकीकरण, औद्योगिक पार्कों की स्थापना के अलावा बडी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश शामिल है. चीन का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे अधिक 3,950 अरब डालर का है. उसने अगले पांच साल में दूसरे देशों में 500 अरब डालर के निवेश की योजना बनाई है.