नयी दिल्ली : देश में बढते औद्योगिक तथा वाहन प्रदूषण पर चिंता जताते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंगलवार को कहा कि वह उद्योग के लिये कडे हरित नियम तथा डीजल वाहनों के लिये मजबूत नियमन चाहते हैं. हालांकि मंत्री ने उद्योग से कहा कि सरकार व्यवहारिक रुख अपनाएगी और इस संदर्भ में कोई भी नियम बनाने से पहले उद्योग जगत से सलाह किया जाएगा. उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित नौवें सतत और समावेशी समाधान शिखर सम्मेलन में जावडेकर ने कहा, ‘पिछले सप्ताह हमने केवल सीमेंट उद्योग के लिये पर्यावरण नियमों को ज्यादा कडा बनाया.
मैं भविष्य में सभी उद्योगों के लिये यह करना चाहता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘हम नियमों के साथ आगे बढेंगे और उसका शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करेंगे.’ पिछले दो दशकों में वाहन प्रदूषण दोगुना से अधिक होने को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार कार्बन उत्सर्जन को कम करने को लेकर वाहनों के लिये ‘अतिरिक्त नियम’ बना रही है. बाजार आधारित व्यवस्था में डीजल और पेट्रोल के दाम में अंतर कम होने का जिक्र करते हुए उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा, ‘आखिर पेट्रोल नियमों की तुलना में डीजल के नियम हल्के क्यों हैं?
जावडेकर ने कहा, ‘अब हम डीजल वाहनों के लिये कडे नियमों को भी कुछ पहले लागू सकते हैं. हम कर सकते हैं. हमें करना भी चाहिए. मुझे लगता है कि यह वृद्धि और मजबूती सुनिश्चित करने का मॉडल यही है.’ उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि ‘हमने सब कुछ दूषित कर दिया है. विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में स्थापित 80 प्रतिशत जलमल शोधन संयंत्र काम नहीं कर रहे हैं. मंत्री ने कहा कि हमें निश्चित रुप से पर्यावरण के संरक्षण के लिये बुनियादी ढांचा तैयार करना चाहिए और हमें इसका उपयोग करना चाहिए.
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