दूसरों की बुराइयां देखनेवाले लोग बहुत मिल जाएंगे, लेकिन अपनी ओर निहरने वाले लोग कम ही होते हैं. बहुत कम लोग ही मृत्यु के पूर्व तक खुद को सही मायने में पहचान पाते हैं. मनुष्य के भीतर अनेक गुप्त शक्तियां सुप्त पड़ी होती हैं. हम स्वयं में अपनी योग्यता का पता नहीं करते. यह ठीक है कि वस्तु को समझकर हम ज्ञानी कहलाए, परंतु यह कम आवयश्क नहीं है कि हम अपने आप को भी जानना-समझना भी सीखें. जो स्वयं पर दृष्टि डालने का प्रयास करता है, वही महान बनता है.
यदि हम महापुरुषों का जीवन देखें तो स्वीकार करेंगे कि वे सदैव आत्म निरीक्षण करते थे. उनकी प्रत्येक भूल उन्हें नये सुधार की ओर प्रेरित करती थी. अगर हममे महान बनने की भावने जगे तो दूसरे को कमजोर समझने की भावना त्यागनी होगी. प्रयास यह हो कि दूसरों की त्रुटियां देखने की बजाय अपनी कमियां तलाशें. अपनी शक्ति को पहचानने में ही मनुष्य की अलौकिक शान है. प्रभु ने हमें विभूति-विरासत सौंपते समय विश्वास किया था कि इनका दुरुपयोग कभी न होगा.
आवश्यकता है कि हम स्वयं का महत्व समझें, शक्ति पहचानें व समय का सदुपयोग करें. जीवन का हर क्षण बहुमूल्य है, उसे बरबाद न होने दें. जब भी जिस शुभ कार्य की इच्छा जागृत हो, उसे तत्काल प्रारंभ कर दें. मनुष्य में एक महान व्यक्तित्व समाहित है, जो अन्य बाहरी वयक्तित्व से कई गुणा महान होता है. जिस पल मनुष्य अपनी इस अलौकिक गरिमा की झलक पा लेते हैं, उसके पांव मानव से महामानव बनने के मार्ग पर अग्रसर हो जाते हैं. मनुष्य का स्वभाव कुछ ऐसा ही है कि जब तक इसे विपत्तियां परेशान न करें, इसकी विभूतियों की चमक तीव्र नहीं होती. अत: आत्म निरीक्षण से स्वयं की गरिमा पहचानें.
।। मो तेसाम अंसारी, पंचेत, धनबाद ।।