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..तो वसूलेंगे 40 करोड़ टैक्स

।। प्रसनजीत ।। गया : राजस्व के मामले में वर्षों से नुकसान झेल रहा नगर निगम अब गंभीर होता दिख रहा है. शहर की इमारतों के वर्षों से नहीं हुए टैक्स असेसमेंट की प्रक्रिया पितृपक्ष के बाद शुरू करने की तैयारी हो रही है. इसके लिए निगम अधिकारियों की हर कुछ दिनों पर अनौपचारिक बैठक […]

।। प्रसनजीत ।।

गया : राजस्व के मामले में वर्षों से नुकसान झेल रहा नगर निगम अब गंभीर होता दिख रहा है. शहर की इमारतों के वर्षों से नहीं हुए टैक्स असेसमेंट की प्रक्रिया पितृपक्ष के बाद शुरू करने की तैयारी हो रही है. इसके लिए निगम अधिकारियों की हर कुछ दिनों पर अनौपचारिक बैठक भी हो रही है. पिछले दिनों नगर आयुक्त ने निगम के तमाम राजस्व कर्मचारियों के साथ बैठक कर स्थिति की जानकारी ली थी. इसके बाद ही टैक्स असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनी.

निगम का मानना है कि पिछले कई वर्षों में शहर में तेजी से नये मकान बने हैं. इनमें अधिकतर का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन, मकान मालिक आवासीय टैक्स ही जमा कर रहे हैं.

* चार करोड़ भी मुश्किल से : निगम से मिले आंकड़ों के अनुसार, शहर में रिकॉर्डेड होल्डिंग की संख्या 60 हजार के करीब है, जबकि जनगणना के आंकड़ों की मानें, तो यह आंकड़ा 85 हजार के आसपास है. 2006 के बाद से टैक्स असेसमेंट नहीं होने की वजह से नये मकानों के रिकॉर्ड भी दर्ज नहीं हो सके हैं.

वर्तमान में निगम के राजस्व की स्थिति को देखें, तो साल भर में कलेक्शन चार करोड़ रुपये भी मुश्किल से पहुंचता है. इधर, अधिकारियों का दावा है कि साल भर में टैक्स का आंकड़ा 40 करोड़ तक पहुंच सकता है. लेकिन, आठ वर्षों से असेसमेंट नहीं होने की वजह से राजस्व नहीं बढ़ पा रहा है.

* कर्मचारी झेल रहे परेशानी : आय कम होने की वजह से निगम को जो सबसे बड़ा नुकसान होता है, वह है कर्मचारियों के वेतन का. हर कुछ महीने में वेतन को लेकर कर्मचारियों व प्रबंधन के बीच तनातनी की खबरें आती हैं. अब भी निगम के अधिकतर कर्मचारियों के दो से तीन महीने से अधिक का वेतन बकाया है. इसके अलावा निजी संसाधनों को बढ़ाने में भी पैसे की कमी आड़े आती है.

* कोचिंग व नर्सिंग होम भी निशाने पर

असेसमेंट की प्रक्रिया में निगम का पहला ध्यान शहर के सभी व्यावसायिक भवनों पर होगा. अधिकारियों ने माना है कि शहर के 90 प्रतिशत मकान, जिनका व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है, वे आवासीय टैक्स दे रहे हैं. खास कर शहर में हर रोज नये खुल रहे कोचिंग व नर्सिंग होम. व्यावसायिक इस्तेमाल के इन मकानों का होल्डिंग आवासीय स्तर पर जमा होने के कारण निगम को बड़ा नुकसान हो रहा है. इनके अलावा मैरेज हाउस, दुकान आदि पर भी निगम शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. गौरतलब है कि पिछले दिनों शहर के कुछ कोचिंग संस्थानों पर इनकम टैक्स के छापे के बाद करोड़ों के सरकारी राजस्व की हेर-फेर की बात सामने आयी थी. इसके बाद ही निगम अब सभी व्यावसायिक इमारतों के रिकॉर्ड तैयार करने में लग गया है.

नगर निगम क्षेत्र से वार्षिक आय लगभग 40 करोड़ की होनी चाहिए, लेकिन यहां साल भर में चार करोड़ रुपये मुश्किल से आते हैं. राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है. यही कारण है कि निगम के संसाधन व कामकाज प्रभावित होते हैं. साथ ही, कर्मचारियों के वेतन में भी समस्या आती है. अब ऐसा नहीं होगा. शहर के सभी भवनों का टैक्स असेसमेंट शुरू किया जायेगा. पितृपक्ष के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी.

डॉ निलेश देवरे, नगर आयुक्त

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