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अब ट्रैफिक रूल्‍स तोड़ा तो देना होगा 3 लाख जुर्माना या होगी 7 साल कैद

नयी दिल्ली : सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों की नकेल कसने की तैयारी कर ली है. वाहन चलाते समय नियमों का उल्लंघन करने पर अब 3 लाख रुपये तक का भारी-भरकम जुर्माना लग सकता है जबकि कुछ खास परिस्थितियों में बच्चे की मौत होने पर न्यनूतम 7 साल की कैद […]

नयी दिल्ली : सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों की नकेल कसने की तैयारी कर ली है. वाहन चलाते समय नियमों का उल्लंघन करने पर अब 3 लाख रुपये तक का भारी-भरकम जुर्माना लग सकता है जबकि कुछ खास परिस्थितियों में बच्चे की मौत होने पर न्यनूतम 7 साल की कैद का प्रावधान किया गया है. सरकार ने इसके लिये एक नया विधेयक तैयार किया है.

इस नए सडक सुरक्षा एवं परिवहन विधेयक, 2014 में तेज और लापरवाही से वाहन चलाने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है,इसके अलावा विनिर्माण डिजाइन में खराबी के संबंध में 5 लाख रुपये प्रति वाहन का जुर्माना और सजा का भी प्रस्ताव है. सरकार ने फिलहाल इस विधेयक के प्रारुप को विभिन्न पक्षों से उनकी राय जानने के लिये जारी किया है. असुरक्षित हालात में वाहन का उपयोग किये जाने की स्थिति में 1 लाख रुपये तक जुर्माना या छह महीने की सजा जो बढाकर 1 साल की जा सकती है या दोनों ही भुगतने पड सकते हैं ऐसा प्रावधान किया गया है.

पहली बार शराब पीकर गाडी चलाने के मामले में 25,000 का जुर्माना या अधिकतम 3 महीने की कैद या दोनों और छह महीने के लिए लाइसेंस रद्द किया जाना शामिल है. दूसरी बार शराब पीकर गाडी चलाने पर 50,000 रुपये का जुर्माना या एक साल तक की कैद या दोनों और एक साल के लिए लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान किया गया है. विधेयक में कहा गया ‘इसके बाद भी यदि अपराध दोहराया जाता है तो लाइसेंस रद्द होगा और वाहन जब्त किया जाएगा जिसकी अवधि बढाकर 30 दिन की जा सकती है.’ यदि स्कूल बस का ड्राइवर शराब पीकर गाडी चलाता हुआ पाया जाता है तो 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा और तीन साल की कैद होगी.

यदि 18 से 25 साल के नौजवान ड्राइवर ऐसे मामलों में पकडे जाते हैं तो उनका लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जायेगा. विधेयक में कहा गया कि कुछ परिस्थितियों में बच्चे की मौत होने के मामले में तीन लाख का जुर्माना और न्यूनतम 7 साल की कैद होगी जबकि तीन बार यातायात सिग्नल का उल्लंघन करने पर 15,000 रुपये का जुर्माना लगेगा, एक महीने लाइसेंस रद्द होगा और अनिवार्य तौर पर नये सिरे से प्रशिक्षण होगा. जुर्माना लगाने के लिए ग्रेड प्रणाली का भी प्रावधान है. मंत्रालय ने विधेयक के प्रारुप पर आम जनता और संबद्ध पक्षों से टिप्पणी और सुझाव मांगे हैं जिसके बाद इसे अंतिम स्वरुप प्रदान कर संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.

विधेयक का लक्ष्य पहले पांच साल में जानलेवा सडक दुर्घटनाओं में दो लाख की कमी लाना है. इसके मुताबिक सडक परिवहन को दक्ष और सुरक्षित बनाने से सकल घरेलू उत्पाद में चार प्रतिशत की वृद्धि होगी. इस विधेयक के उद्देश्य में कहा गया है कि इस क्षेत्र में निवेश बढाकर 10 लाख रोजगार के मौके पैदा किए जाएंगे. भारत में सालाना करीब 5 लाख सडक दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें करीब 1.4 लाख लोगों की मौत हो जाती है. विधेयक पर सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा ‘देश भर में सुरक्षित, दक्ष, सस्ती एवं तेज परिवहन व्यवस्था मुहैया कराना हमारा लक्ष्य है.’

उन्होंने ट्विटर पर कहा ‘हमारा नया विधेयक परिवहन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए इ-संचालन पर जोर देता है. हमारी ‘स्वर्णिम अवधि’ की नीति दुर्घटना पीडित को फौरन राहत मुहैया कराएगी और इससे कई लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा.’ ‘गोल्डन आवर’ यानी स्वर्णिम समय की नीति के तहत एक घंटे के भीतर सडक दुर्घटना के पीडितों को इलाज मुहैया कराया जा सकेगा. विधेयक के मसौदे के मुताबिक (भारतीय मोटर वाहन नियमन एवं सडक सुरक्षा प्राधिकार) एक स्वतंत्र एजेंसी होगी. मोटर वाहन का नियमन बेहतर डिजाइन एवं सरल एकल खिडकी चालित लाइसेंस प्रणाली के जरिए होगा जिनमें एकीकृत बायोमेट्रिक प्रणाली शामिल है ताकि नकली लाइसेंस न बनाए जा सकें.

अन्य विशेषताओं में एकीकृत वाहन पंजीकरण प्रणाली, एकल राष्ट्रीय सडक परिवहन एवं बहुराष्ट्रीय संयोजन प्राधिकार और वस्तु परिवहन एवं राष्ट्रीय मालवहन नीति शामिल है. इसमें वाहन सुरक्षा प्रावधान के तहत कई तरह के वाहन सुरक्षा उपकरण का उपयोग शामिल है. वाहन की गति, ड्राइवर को सचेत करने सहित कई तरह की प्रौद्योगिकी का इसमें इस्तेमाल का प्रावधान किया गया है. विधेयक छह विकसित देशों अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के बेहतरीन नियमों के अनुरुप तैयार किया गया है. सडक परिवहन और सुरक्षा विधेयक 2014 की कुछ खास बातों में एक मोटर दुर्घटना कोष बनाने का प्रावधान है जिसमें दुर्घटना के अहम् समय में दुर्घटना के घायलों को राहत पहुंचाना शामिल है. वाहन निर्माताओं, परिवहन विभागों, बीमा कंपनियों और प्रवर्तन एजेंसियों के लिये एकीकृत डाटाबेस उपलब्ध कराना भी शामिल है.

– सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक 2014

– अपराध और दंड

* असुरक्षित हालत में वाहन का उपयोग

एक लाख रुपये तक जुर्माना या छह माह से एक साल तक की सजा या दोनों

* शराब पीकर गाड़ी चलाने पर

पहली बार 25,000 का जुर्माना या अधिकतम तीन महीने की कैद या दोनों. छह महीने के लिए लाइसेंस रद्द. दूसरी बार 50,000 रुपये का जुर्माना या एक साल तक की कैद या दोनों. एक साल के लिए लाइसेंस रद्द. फिर दोहराने पर लाइसेंस रद्द. वाहन होगा जब्त.

* स्कूली बस ड्राइवर द्वारा शराब के नशे में गाड़ी चलाने पर

50 हजार रुपये का जुर्माना, तीन साल की कैद. यदि 18 से 25 आयु वर्ग के ड्राइवर ऐसा करते हैं, तो तुरंत होगा लाइसेंस रद्द.

* बच्चों की मौत (विशेष परिस्थिति)

तीन लाख का जुर्माना और न्यूनतम सात साल की कैद.

* तीन बार सिग्नल का उल्लंघन

15,000 रुपये का जुर्माना, एक महीने लाइसेंस रद्द. नये सिरे से प्रशिक्षण.

* विनिर्माण डिजाइन में खराबी पर

पांच लाख रुपये प्रति वाहन का जुर्माना और सजा

– कुछ खास बातें

* भारतीय मोटर वाहन नियमन एवं सड़क सुरक्षा प्राधिकार की होगी स्थापना

* मोटर दुर्घटना कोष की स्थापना, ताकि दुर्घटना के समय में घायलों को राहत पहुंचाया जा सके

* वाहन निर्माताओं, परिवहन विभागों, बीमा कंपनियों और प्रवर्तन एजेंसियों के लिये एकीकृत डाटाबेस

* मोटर वाहन का नियमन बेहतर डिजाइन व सरल एकल खिड़की चालित लाइसेंस प्रणाली के जरिये

* एकीकृत बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग, ताकि नकली लाइसेंस नहीं बनाये जा सकें

* एकीकृत वाहन पंजीकरण प्रणाली, एकल राष्ट्रीय सड़क परिवहन एवं बहुराष्ट्रीय संयोजन प्राधिकार

– वस्तु परिवहन एवं राष्ट्रीय मालवहन नीति

– प्रस्ताव यह भी

* वाहन सुरक्षा प्रावधान के तहत कई तरह के वाहन सुरक्षा उपकरण का होगा उपयोग

* वाहन की गति, ड्राइवर को सचेत करने सहित कई तरह की नयी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल

– क्या है स्थिति

* देश भर में सालाना करीब पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं

* करीब 1.4 लाख लोगों की होती है मौत

देश भर में सुरक्षित, दक्ष, सस्ती एवं तेज परिवहन व्यवस्था मुहैया कराना हमारा लक्ष्य है. हमारा नया विधेयक परिवहन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए ई-संचालन पर जोर देता है. हमारी स्वर्णिम अवधि की नीति दुर्घटना पीडि़त को फौरन राहत मुहैया करायेगी. इससे कई लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा. स्वर्णिम समय की नीति के तहत सड़क दुर्घटना के पीडि़तों को इलाज मुहैया कराया जा सकेगा.

नितिन गडकरी

( केंद्रीय मंत्री , सड़क परिवहन व राजमार्ग)

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