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सारधा चिटफंड घोटाला:अब कुणाल ने उगला पार्थ का नाम

सीबीआइ ने असम में सारधा कंपनी के पैसे लगानेवाले को किया गिरफ्तार कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष ने अपने बयान से फिर तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. शुक्रवार को बैंकशाल अदालत में कुणाल ने कहा कि सीबीआइ उन्हें प्रभावशाली बताते हुए जमानत का विरोध कर […]

सीबीआइ ने असम में सारधा कंपनी के पैसे लगानेवाले को किया गिरफ्तार

कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के सांसद कुणाल घोष ने अपने बयान से फिर तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

शुक्रवार को बैंकशाल अदालत में कुणाल ने कहा कि सीबीआइ उन्हें प्रभावशाली बताते हुए जमानत का विरोध कर रही है. वह 11 माह से जेल में हैं. वह जेल में रहते हुए कैसे इस मामले को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन जो बाहर प्रभावशाली लोग हैं व जिनके इस मामले से संबंध हैं, सीबीआइ उनके बारे में क्यों कुछ नहीं करती.

कुणाल घोष ने न्यायाधीश को एक पूजा कमेटी का कार्ड पेश किया. उन्होंने कहा कि यह कार्ड बेहला की एक पूजा कमेटी का है. राज्य के तत्कालीन उद्योग मंत्री व वर्तमान शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी इस कमेटी के प्रमुख हैं. कार्ड में कई चिटफंड कंपनियों को कॉरपोरेट पार्टनर बताया गया है. सीबीआइ इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती है. उनसे पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है.

उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व कुणाल घोष ने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उन्हें बैठा कर पूछताछ की जाये. कुणाल घोष ने गुरुवार को गिरफ्तार पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार के बयान को खारिज कर दिया. पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार ने कहा था कि कुणाल के सामने उनसे पूछताछ में कुणाल घोष ने कहा कि सुदीप्त सेन, रजत मजूमदार के माध्यम से ममता व मुकुल को पैसे देते थे. कुणाल ने दावा किया कि रजत का यह आरोप पूरी तरह से गलत है.

उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा. बाद अदालत ने उन्हें जेल हिरासत में भेजने का निर्देश दिया. इससे पूर्व कुणाल ने नाटकीय ढंग से अपने वकील को अपना पक्ष रखने से हटा लिया और अनुरोध किया कि सारधा चिट फंड घोटाले की जांच में ‘सहायता’ करने के लिए उन्हें या तो जमानत दी जाये अथवा सीबीआइ की हिरासत में भेज दिया जाये. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरविंद मिश्र ने उनके अनुरोध को खारिज कर दिया और घोष को 18 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जैसा सीबीआइ ने अनुरोध किया था. न्यायाधीश के समक्ष पेश किये जाने पर घोष ने कहा कि वह अदालत से कुछ कहना चाहते हैं. यद्यपि अदालत ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा कि उनके वकील को उनका पक्ष रखने की इजाजत दी थी और जब तक वह वकील से यह अधिकार वापस नहीं ले लेते, वह अपनी कोई बात नहीं रख सकते. इस पर घोष ने तत्काल एक कागज पर लिखा कि वह अपने वकील को दिया अधिकार वापस ले रहे हैं. न्यायाधीश ने घोष को मामले से इतर कुछ भी नहीं कहने के लिए कहा.

रजत से हुई पूछताछ

दूसरी ओर, सीबीआइ ने शुक्रवार को गिरफ्तार पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार से पूछताछ की. सीबीआइ सूत्रों के अनुसार रजत सीबीआइ से सहयोग नहीं कर रहे हैं. जवाब में नहीं जानते, देखा नहीं आदि उत्तर दे रहे हैं.

गायक सदानंद गोगोई गिरफ्तार

कोलकाता : सीबीआइ ने सारधा घोटाले में शुक्रवार को असम के गायक सदानंद गोगोई को गिरफ्तार किया. इस तरह सारधा घोटाले की जांच शुरू होने के बाद यह सीबीआइ की चौथी गिरफ्तारी है.

इससे पहले, इस्ट बंगाल के वरिष्ठ पदाधिकारी देबव्रत सरकार, व्यवसायी संधीर अग्रवाल व पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार को गिरफ्तार किया गया था. सीबीआइ ने सदानंद को सॉल्टलेक स्थित सीजीओ कंप्लेक्स में पांचवीं बार पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ के दौरान सदानंद से जब्त दस्तावेजों व उनके बयान में विरोधाभास पाया गया. सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सदानंद ने सुदीप्त सेन का असम के कई प्रभावशाली लोगों के साथ परिचय करवाया था. इनमें असम के नेता व मंत्री शामिल थे. सदानंद ने स्वीकार किया था कि बिस्कुट कारखाने के विज्ञापन के लिए उसने सुदीप्त से चार करोड़ रुपये लिये थे. लेकिन सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि यह राशि अधिक होगी.

सीबीआइ का कहना है कि गोगोई वहां एक बिजली प्लांट लगाने के बदले इतनी बड़ी राशि ली थी. इससे साबित होता है कि वह सुदीप्त सेन के साथ बड़ी साजिश में शामिल थे. सीबीआइ इनके माध्यम से प्रभावशाली लोगों तक पहुंचने की कोशिश करेगी. सीबीआइ शनिवार को गोगोई को अलीपुर अदालत में पेश करेगी और कोर्ट से उन्हें सीबीआइ अदालत में भेजने की अपील करेगी.

इस मामले में इससे पहले ही बंगाल पुलिस ने सुदीप्त सेन, देवयानी मुखर्जी, कुणाल घोष, मनोज नागेल तथा सोमनाथ दत्त को गिरफ्तार किया था. इनमें से कई अभी सीबीआइ हिरासत में हैं.

सीबीआइ का अगला निशाना कौन?

सीबीआइ ने सारधा घोटाले की जांच तेज कर दी है. जांच एजेंसी ने अब तक इस्ट बंगाल क्लब के अधिकारी देबब्रत सरकार, पूर्व डीजीपी रजत मजूमदार, व्यवसायी संधीर अग्रवाल व सदानंद गोगोई को गिरफ्तार किया है. इससे पहले बंगाल पुलिस ने सारधा के मालिक सुदीप्त सेन, सांसद कुणाल घोष, सुदीप्त सेन की सहयोगी देबयानी, मनोज नागेल व सोमनाथ दत्त को गिरफ्तार किया था.

तीन फुटबॉल क्लब के सदस्यों को नोटिस

कोलकाता. सारधा मामले की जांच करते हुए इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (इडी) के अधिकारियों ने महानगर के तीन फुटबॉल क्लब के सदस्यों को नोटिस भेज कर सोमवार को इडी कार्यालय बुलाया है. जिन तीनों क्लबों को नोटिस दी गयी है, उनके नाम इस्ट बंगाल , मोहन बागान व कालीघाट मिलन संघ क्लब हैं. अधिकारियों का कहना है कि 50 हजार रुपये व इसके ज्यादा की स्पांसरशिप जिन कंपनियों ने भी इन्हें दी है, उन सभी बैंकों के कागजातों के साथ इन्हें सोमवार को इडी दफ्तर बुलाया गया है. सूत्रों के मुताबिक इसके बाद जल्द ही इडी दो और क्लबों को नोटिस भेजने की तैयारी में है. इन पर चिटफंड कंपनियों द्वारा फंड मिलने की आशंका जतायी गयी है.

हमने नहीं खाया सारधा का पैसा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि तृणमूल के नेताओं या मंत्रियों ने सारधा का पैसा नहीं खाया है. एक निजी चैनल पर उन्होंने कहा कि सारधा घोटाले के आरोपियों को तृणमूल की नेतृत्ववाली सरकार ने ही पकड़ा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस, माकपा व भाजपा ने चिटफंड के पैसे लिये हैं, हमने नहीं. उन्होंने कहा कि तृणमूल को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. यदि किसी पूजा कमेटी ने सारधा का पैसा लिया हो तो और बात है. सारधा के कार्यक्रम में पहुंचने के संबंध में मुख्यमंत्री का कहना था कि अपर्णा सेन वहां की एक पत्रिका की संपादक थीं. यदि वह उन्हें आमंत्रित करती हैं, तो क्या वह नहीं जायेंगी. उन्होंने कहा : हम चिटफंड को अपराध मानते हैं. माकपा के शासन में चिटफंड अस्तित्व में आया. उससे पूछताछ करनी चाहिए.भाजपा भी तो 1998 से 2004 तक केंद्र में थी. तब उसने इस मामले क्यों नहीं कुछ किया.

कैबिनेट की बैठक में नहीं पहुंचे मदन व श्यामा प्रसाद

कोलकाता. सारधा घोटाले की सीबीआइ जांच और तृणमूल के करीबी व प्रभावशाली लोगों के नामों के खुलासे को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. ऐसे में राज्य कैबिनेट की बैठक में परिवहन मंत्री मदन मित्र व कपड़ा मंत्री श्यामा प्रसाद मुखोपाध्याय के अनुपस्थिति को लेकर अटकलें लगानी शुरू हो गयी हैं. कथित तौर पर मदन मित्र ने दावा किया कि गरिया में किसी जरूरी कार्य से गये हुए थे. वापसी के दौरान ट्रैफिक जाम की वजह से वह कैबिनेट की बैठक में हाजिर नहीं हो पाये, इसलिए सीटीसी कार्यालय चले गये. बताया जा रहा है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वह कैबिनेट बैठक में नहीं जा पाये.

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