II राहुल सिंह II
एक ओर जहां आज शाम चुनाव आयोग महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित करने जा रही है, वहीं महाराष्ट्रकी राजनीति में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य में नया राजनीतिक समीकरण बनने का संकेत दिया है. नासिक नगर निगम में अल्पमत में आयी मनसे ने कांग्रेस-राकांपा के समर्थन से मेयर के पद पर अपना कब्जा बरकरार रख लिया है. मनसे ने मेयर पद पर कब्जा 2012 के चुनाव के बाद भाजपा के समर्थन से किया.
122 सदस्यीय इस नगर निगम में मनसे ने 40 सीटें जीती थीं. जबकि भाजपा ने 14 व कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने 35 सीटें जीती थीं. हाल में विधानसभा चुनाव के पूर्व राजनीतिक मजबूरी वश भाजपा को मनसे से अपना समर्थन वापस लेना पड़ा. उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में भाजपा व शिवसेना के रिश्तों को लेकर सवाल बार-बार उठता रहा है. मीडिया में इस तरह की खबरें भी उछली कि क्या भाजपा भविष्य में शिवसेना को छोड़ कर मनसे से गंठबंधन करेगी.
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की राज ठाकरे द्वारा तारीफ किये जाने से भी इस चर्चा को बल मिला था. पर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पिछले सप्ताह मुंबई दौरे के दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से हुई बातचीत के बाद कड़वाहट कम हुई है. राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन है कि राज्य में भाजपा-शिवसेना की पकड़ मजबूत हुई है और कांग्रेस-राकांपा गंठबंधन कमजोर हुआ है.
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में फिलहाल भाजपा-शिवसेना गंठबंधन के पास 91 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस-राकांपाके पास 144 सीट है. भाजपा-शिवसेना गठजोड़ को 2009 के चुनाव में 30.28 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस-राकांपा को 37.38 प्रतिशत वोट मिले थे. भाजपा-शिवसेना गठजोड़ में भाजपा को 14.2 प्रतिशत व शिवसेना को 16.26 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस को 21.01 प्रतिशत व राकांपा को 16.37 प्रतिशत वोट मिला था. उस चुनाव में मनसे ने 5.71 प्रतिशत वोट हासिल किया था.
वहीं, इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 23, शिवसेना को 18 व कांग्रेस को चार व राकांपा को दो सीटें मिली. भाजपा-शिवसेना गठजोड़ को मिली इस शानदार जीत ने दोनों दलों का उत्साह बढ़ गया है, वहीं मनसे लोकसभा में कोई अहम खेल नहीं कर सकी. इस बार लोकसभा चुनाव ने इस धारणा को भी गलत करार दिया कि वह चुनावों में शिवसेना को नुकसान पहुंचाती है औरकांग्रेस-राकांपा को लाभ पहुंचाती. ऐसे में यह संभावना मजबूत हुई कि तीनों दल भाजपा-शिवसेना के विजय-रथ को रोकने के लिए एक साथ हो सकते हैं.