पटना/फुलवारी शरीफ: मैं अभिषेक की मां मंजू हूं. अपहरण का झूठा केस. तीन दिनों तक थाने में बेटे की पिटाई, 45 दिनों की जेल कभी भूल नहीं सकती. जब निदरेष बेटे को पुलिस पकड़ कर थाने ले गयी थी, तो हमलोग भी पहुंचे थे.
बेटे को पुलिस बुरी तरह पीट रही थी. मां थी इस नाते बरदाश्त नहीं हुआ. कलेजा कांप उठा, मैं रो पड़ी, सिटी एसपी साहब थे, और लोग थे, हम चीखते रह गये, पर किसी ने नहीं सुना, थाने से भगा दिया गया. अब क्या फायदा. इतना कहने के बाद उनके चेहरे का भाव बदल जाता है. गुस्से से चेहरा लाल हो गया, कहती हैं, अरे अब तो सबको तसल्ली मिल गयी न. पड़ गयी कलेजे को ठंडक. इतना बोल कर वह चुप हो जाती हैं, चेहरे का भाव एक बार फिर बदलता है, आक्रोश और पछतावे ने दिल में दबे दर्द को आंखों तक ला दिया है.
कहां जाएं इंसाफ मांगने
अभिषेक की जमानत हो गयी है. अपहरण का आरोप झूठा साबित हो चुका है. इसको लेकर उसके घर में खुशी तो है, पर पुलिस के प्रति आक्रोश भी खूब है. वह मध्यम वर्गीय परिवार से आता है. अभिषेक के पिता प्रेम लाल पटना डेयरी प्रोजेक्ट सुधा में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं. वे बताते हैं कि 16 जुलाई को राजकुमार के अपहरण के केस में उनके बेटे को पुलिस पकड़ कर थाने लायी थी. हम लोगों ने बहुत गुहार लगायी पर, नहीं छोड़ा गया. तीन दिनों तक थाने में रखा गया और बुरी तरह पीटा गया. परिवार को मानसिक यातना से गुजरना पड़ा. अभिषेक की मां मंजू कहती हैं कि इंसाफ मांगने कहां जाएं.
झगड़ा का लिया बदला
रिशु की मां पूनम देवी कहती हैं कि पुलिस ने बिना जांच किये आरोप मढ़ दिया. निदरेष बेटे को जेल की हवा खिला दी. हमें तो बस न्याय चाहिए. मालूम हो कि वृंदावन कॉलोनी निवासी सुमित खगौल के गांधी विद्यालय में आठवीं का छात्र है. उसकी मां उषा देवी कहती हैं कि बेवजह हमारे बेटे को पुलिस ने डेढ़ महीने तक जेल में रखा, जबकि उसके बड़े भाई विकास ने बताया कि हम इंसाफ मांगने जहां भी गये, वहां पैसे की डिमांड की गयी.
क्या है मामला
रामनगर बोचाचक निवासी राजनाथ सिंह का पुत्र राजकुमार (22 वर्ष) जुलाई में अचानक गायब हो गया था. आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी के आवास पर माली का काम करनेवाले राजनाथ सिंह व उनकी पत्नी ने कुरकुरी निवासी अभिषेक, नवादा निवासी ऋषभ व सुमित के खिलाफ अपने बेटे के अपहरण का मामला दर्ज कराया था. इसके बाद पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बाद में पुलिस को जानकारी मिली कि राजकुमार बेंगलुरु में रह रहा था.
बात-बात पर खाने पड़ते थे थप्पड़
अभिषेक, सुमित व रिशु ने बताया जिस वक्त उन्हें जेल भेजा गया, वहां की यातनाओं का जरा भी अंदाजा नहीं था. नाबालिग होने के चलते तीनों को गाय घाट स्थित बाल सुधार गृह भेजा गया. यहां दाखिल होते ही पहले से बंद बंदियों ने बुरा बरताव किया. सीनियरों ने मारपीट की. वहां पर झाड़ लगाना, पानी लाना और बात-बात पर थप्पड़ खाना पड़ता था. अभिषेक के मुताबिक 22 जुलाई को उसे बालिग होने के चलते उसे बेऊर जेल भेज दिया गया. सुमित के पिता की मौत हो चुकी है.
जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा, चुप नहीं बैठेंगे
विकास एवं रिशु के भाई विवेक ने बुधवार को मानवाधिकार आयोग में आवेदन दिया है. उन्होंने थाने से लेकर जेल तक हुए मानसिक प्रताड़ना की शिकायत की है. उन्होंने बताया कि हमलोगों ने सामूहिक रूप से मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है. हम न्याय की आस लगाये बैठे हैं . इस मामले में जो भी दोषी है, उसे सजा मिलनी चाहिए .
यह है घटनाक्रम
15 जुलाई को रिशु, अभिषेक और सुमित के खिलाफ फुलवारीशरीफ थाने में केस दर्ज
16 जुलाई को तीनों छात्रों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
19 दिन बाद उन्हें अपहरण के केस में भेजा गया बाल सुधार गृह
22 जुलाई को बालिग होने की पुष्टि होने के बाद अभिषेक को बेऊर जेल भेज दिया गया
बेंगलुरु में राजकुमार के पकड़े जाने के बाद 30 अगस्त को तीनों को मिली जमानत
आज होगा राजकुमार का कोर्ट में बयान
बुधवार को राजकुमार का कोर्ट में बयान होना था. फुलवारी शरीफ थाने की पुलिस उसे लेकर कोर्ट पहुंची थी, लेकिन मजिस्ट्रेट के नहीं बैठने के कारण बयान नहीं हो सका. गुरुवार को फिर उसे कोर्ट में पेश कराया जायेगा.
राजकुमार का कोर्ट में बयान कराया जाना है. इसके बाद कुछ पहलुओं पर अनुसंधान बाकी है. अनुसंधान चलेगा. स्थिति स्पष्ट होने पर आगे की कार्रवाई की जायेगी. राजकुमार के अपहरण किये जाने का जो आरोप है उसमें कुछ सच्चाई है जिसकी जांच की जा रही है. फिलहाल राजकुमार के खिलाफ झूठा केस कराने का एफआइआर अभी
नहीं दर्ज होगा.
इम्तियाज अहमद, डीएसपी, फुलवारीशरीफ