कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट ने तृणमूल सांसद तापस पाल के मीडिया में आये आपत्तिजनक बयान के मामले में बुधवार को राज्य सरकार को जमकर फटकार लगायी.
न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे ने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया. सुनवाई की शुरुआत में ही तापस पाल के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की तबीयत खराब है लिहाजा सुनवाई स्थगित की जाये. लेकिन इसे मंजूर नहीं किया गया. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने कहा कि न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने मीडिया की फुटेज देखकर मामले पर अपनी राय दी थी. रिट अदालत का यह अख्तिायर नहीं है.
इस पर न्यायाधीश ने कहा कि क्या जज एफिल टावर पर रहते हैं. क्या उन्हें आसपास की घटनाओं से सरोकार नहीं होता. न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मामले में पुलिस क्या कर रही है. बंदूक लेकर ही क्या वह बैठी रहती है. अब तक मामले की जांच क्यों नहीं हुई. इंटरनेट पर काटरून डालने से पुलिस हरकत में आ जाती है.
यहां वीडियो फुटेज रहने के बाद भी कोई जांच क्यों नहीं की गयी. अदालत ने तो इसके लिए मना नहीं किया था. कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह अपराध अदालत ग्रहण योग्य नहीं है. लेकिन राज्य सरकार ने मामले की जीडी की है. इसपर न्यायाधीश का कहना था कि यदि अपराध नहीं है तो सांसद ने खुद माफी क्यों मांगी. इसे कोई कैसे समर्थन कर सकता है. कल्याण बनर्जी का कहना था कि तापस पाल के वक्तव्य के बाद कोई अपराध नहीं हुआ. अदालत ने इसपर पूछा कि तब क्या आप अपराध होने का इंतजार कर रहे हैं. पुलिस जांच पर आवेदनकारी के वकील अनिरुद्ध चटर्जी ने आपत्ति व्यक्त की और सीआइडी जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि सह सचिव ने इस बाबत डीजी को पत्र भी लिखा है. अदालत ने जब डीजी के कदम के बारे में जानना चाहा तो कल्याण बनर्जी ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं. मामले की सुनवाई गुरुवार को फिर होगी. गौरतलब है कि एक सभा में तापस पाल विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को धमकी देते नजर आये थे.